लेक्चरर के बाद डिप्टी कलेक्टर, फिर नौकरी छोड़कर डीएसपी बने, डीआइजी पद से हुए सेवानिवृत्त
Jharkhand Police यह कहानी है राजीव रंजन सिंंह की। जैप वन के टिकू हॉल में डीआइजी राजीव रंजन सिंह को सेवानिवृत्ति पर सोमवार को विदाई दी गई। पुलिस की पूरी नौकरी मुख्यधारा में और वर्दी में की। विशेष शाखा सीआइडी में कभी नहीं हुआ पदस्थापन।
By M EkhlaqueEdited By: Updated: Mon, 31 Jan 2022 07:20 PM (IST)
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड सशस्त्र पुलिस (जैप) के डीआइजी राजीव रंजन सिंह सोमवार को सेवानिवृत्त हो गए। जैप के टिकू हॉल में उन्हें सेवानिवृत्ति पर विदाई भी दी गई। डीआइजी राजीव रंजन सिंह का करियर भी शानदार रहा। वर्ष 1986 से 1990 तक जेजे कॉलेज झुमरी तिलैया में व्याख्याता की नौकरी की। इसके बाद उनका चयन मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग में हो गया और वे वहां वर्ष 1991 से जून 1994 तक डिप्टी कलेक्टर रहे। वर्ष 1994 में उन्होंने बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की और डीएसपी बन गए।
वर्ष 2020 में प्रोन्नति के बाद डीआइजी कोल्हान बनाए गए
डीएसपी बनने के बाद राजीव रंजन सिंह वैशाली के हाजीपुर डीएसपी, जहानाबाद, शेरघाटी, सिटी डीएसपी जमशेदपुर, चतरा में डीएसपी मुख्यालय व डीएसपी हटिया रहे। इसके बाद इन्हें आइपीएस में प्रोन्नति मिली और वर्ष 2011 में इन्हें पहले एएसपी जमशेदपुर व उसके बाद ग्रामीण एसपी जमशेदपुर बनाया गया। रांची में एसपी यातायात के साथ-साथ एसपी, ग्रामीण, एसपी सिटी के भी प्रभार में रहे। इसके बाद सिमडेगा, गोड्डा, झारखंड जगुआर, पाकुड के पुलिस के कप्तान के रूप में सफल पारी खेली। वर्ष 2020 में डीआइजी में प्रोन्नति के बाद डीआइजी कोल्हान बनाए गए। इसके बाद 12 जुलाई 2021 से डीआइजी जैप में स्थानांतरित हुए और यहीं से 31 जनवरी को सेवानिवृत्त हो गए।
राष्ट्रपति वीरता पदक भी पा चुके हैं राजीव रंजन सिंह डीआइजी राजीव रंजन सिंह पुलिस की सेवा में रहते हुए चार महत्वपूर्ण पदक पा चुके हैं। इन्हें सेवा काल में राष्ट्रपति वीरता पदक, राष्ट्रपति सराहनीय पदक, झारखंड राज्य सराहनीय सेवा पदक व आंतरिक सुरक्षा पदक मिल चुका है।
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