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झारखंड से जुड़े IPS अफसरों ने अहम मोर्चे पर संभाल रखी है कमान, जानें

Jharkhand Bureaucracy Jharkhand News Hindi Samachar झारखंड में पले-बढ़े सुबोध कुमार जायसवाल सीबीआइ के नए निदेशक तो राकेश अस्थाना सीमा सुरक्षा बल का नेतृत्व कर रहे हैं। धनबाद में जन्मे सुबोध कुमार जायसवाल की आरंभिक पढ़ाई यहीं से हुई।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Updated: Thu, 27 May 2021 07:32 PM (IST)
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Jharkhand Bureaucracy, Jharkhand News, Hindi Samachar धनबाद में जन्मे सुबोध कुमार जायसवाल की आरंभिक पढ़ाई यहीं से हुई।
रांची, [प्रदीप सिंह]। झारखंड से जुड़े और पले-बढ़े भारतीय पुलिस सेवा के अफसर राष्ट्रीय स्तर पर अपना परचम लहरा रहे हैं। इनके जिम्मे देश की प्रमुख संस्थाओं केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) से लेकर सीमा सुरक्षा बल और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की कमान है। विभिन्न मोर्चों पर इन्हें बेहतर काम कर दिखाया है, जिससे झारखंड की प्रतिष्ठा बढ़ी है। हाल ही में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) के नए बने निदेशक सुबोध कुमार जायसवाल भी इनमें से एक हैं। 22 सितंबर, 1962 को धनबाद में जन्मे सुबोध कुमार जायसवाल की आरंभिक पढ़ाई यहीं से हुई।

महज 23 वर्ष में उन्होंने भारतीय पुलिस सेवा ज्वाइन किया। महाराष्ट्र के अमरावती से उन्होंने बतौर एएसपी अपना करियर आरंभ किया और सीबीआइ निदेशक के प्रतिष्ठित पद तक पहुंचे। वे 2006 मालेगांव विस्फोट की जांच करने वाली आतंक निरोधी दस्ता के साथ भी काम कर चुके हैं। उन्हें प्रधानमंत्री की सुरक्षा का जिम्मा देखने वाली स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) समेत इंटेलिजेंस ब्यूरो (आइबी) और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के साथ भी कार्य करने का अनुभव है। वे महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक भी रह चुके हैं।

झारखंड के प्रतिष्ठित नेतरहाट विद्यालय से शिक्षा ग्रहण करने वाले राकेश अस्थाना के जिम्मे देश के सरहद की सतत चौकसी करने वाले सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की कमान है। 1984 बैच के गुजरात कैडर के आइपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना के पिता नेतरहाट विद्यालय में भौतिकी के शिक्षक थे। उनका रांची से गहरा जुड़ाव है। राष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने कई हाइ प्रोफाइल मामलों की जांच की है।

1997 में सीबीआइ एसपी के पद पर रहते हुए उन्होंने चारा घोटाला मामले में राजद प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को गिरफ्तार किया था। तब झारखंड एकीकृत बिहार का हिस्सा हुआ करता था। 2002 में गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आगजनी और उसके बाद दंगे की जांच भी उन्होंने की थी। उन्होंने 9000 करोड़ रुपये की मनी लौंड्रिंग के आरोपी विजय माल्या केस की जांच को बनी सीबीआइ की विशेष जांच दल का भी नेतृत्व किया था।

आपदाओं से निपटने की जिम्मेदारी भी

प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में कारगर राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरफ) का नेतृत्व झारखंड कैडर के 1988 बैच के तेजतर्रार आइपीएस अधिकारी सत्यनारायण प्रधान के हाथों में हैं। 22 जनवरी 2019 को उन्होंने एनडीआरएफ की कमान संभाली थी। कई आपदाओं में बल ने बेहतर काम कर दिखाया। फिलहाल यास तूफान से बचाव की बेहतर तैयारियां इसका उदाहरण है।

तूफान प्रभावित इलाकों में एनडीआरएफ की टीम ने कुशलतापूर्वक समय रहते गांव खाली कराए और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। यही वजह रही कि जानमाल की हानि काफी कम हुई। एकीकृत बिहार में कई जिलों के पुलिस अधीक्षक के पद पर रहे प्रधान ने हैदराबाद स्थित सरदार वल्लभ भाई पटेल नेशनल पुलिस एकेडमी में भी सेवाएं दी और छह बैच को प्रशिक्षित किया।

विभिन्न सुरक्षा एवं सतर्कता एजेंसियों में भी अहम कार्य

केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर झारखंड कैडर के कई आइपीएस अधिकारी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं। 1989 बैच के अजय भटनागर सीबीआइ में एडिशनल डायरेक्टर, 1993 बैच के एमएस भाटिया आइजी, सीआरपीएफ, नई दिल्ली, 1994 बैच की संपत मीणा सीबीआइ की ज्वाइंट डायरेक्टर, 1995 बैच के संजय आनंद लाटकर आइजी, सीआरपीएफ, महाराष्ट्र, 1996 बैच के बलजीत सिंह इडी (सिक्योरिटी), ओएनजीसी, 1997 बैच के आशीष बत्रा एनआइए के आइजी और 2001 बैच के मनोज कौशिक वित्त विभाग की फाइनेंसियल इंटेलिजेंस, नई दिल्ली के एडिशनल डायरेक्टर के पद पर पदस्थापित हैं।

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