Chandrayaan-3: ISRO की टीम में झारखंड के दो वैज्ञानिक भी शामिल, मून मिशन के लिए दिन-रात कर रहे कड़ी मेहनत
Chandrayaan-3 News चांद पर चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम की लैंडिंग पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। यह देश के लिए एक ऐतिहासिक और गौरवान्वित पल है। इस पूरे मिशन को सफल बनाने की कोशिश में इसरो की टीम दिन-रात मेहनत कर रही है। इस टीम में झारखंड के भी दो वैज्ञानिक शामिल हैं। इनमें से एक सोहन यादव हैं और दूसरे आयुष झा हैं।
By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Wed, 23 Aug 2023 11:21 AM (IST)
जासं, रांची। भारत आज चांद पर फतेह हासिल करने जा रहा है। भारत का मून मिशन यानी कि चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चांद के सतह पर लैंड होगा। यह किसी भी भारतीय के लिए गर्व की बात है। हालांकि, इसे सफल बनाने में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की एक पूरी टीम की मेहनत है। इस टीम में झारखंड के भी दो वैज्ञानिक शामिल हैं।
सोहन सात साल से इसरो से जुड़े हैं
सबसे पहले बात करते हैं राजधानी रांची के तोरपा क्षेत्र के तपकरा गांव निवासी वैज्ञानिक सोहन यादव की, जो चंद्रयान-3 के आर्बिटर इंटिग्रेशन और टेस्टिंग टीम में शामिल हैं। सोहन मिशन गगनयान से भी जुड़े रहे हैं।
सोहन के पिता घूरा यादव ट्रक ड्राइवर हैं, जबकि मां गृहणी। सोहन तपकरा जैसे छोटे से गांव में पढ़ाई कर वैज्ञानिक बने हैं। उन्होंने तपकरा स्थित शिशु मंदिर में प्राथमिक शिक्षा हासिल की है। पिछले सात वर्षों से वह इसरो से जुड़े हैं।
जमशेदपुर के आयुष ने भी बढ़ाया देश का मान
सोहन के अलावा, चंद्रयान-3 के लैंडिंग मैनेजमेंट सिस्टम की टीम में जमशेदपुर के आयुष झा भी शामिल हैं। आयुष जमशेदपुर के डीएवी बिष्टुपुर से 12वीं की पढ़ाई की है। उनका पूरा परिवार पश्चिम सिंहभूम जिले के चक्रधरपुर में रहता है।
आयुष वैसे तो इसरो अहमदाबाद में कार्यरत हैं, लेकिन पिछले एक महीने से वह चंद्रयान-3 की लैंडिंग ऑपरेशन के लिए बैंगलोर में हैं। वहां वह अपनी पूरी टीम के साथ सफलतापूर्वक चंद्रयान-3 की लैंडिंग कराने के काम में जुटे हुए हैं।
चंद्रयान-2 से भी जुड़े रहे आयुष
बता दें कि आयुष चंद्रयान-2 से भी जुड़ा हुआ था। उसने वहां रडार के विकास पर काम किया था। इस बार वह रडार विकास के साथ उसकी लैंडिंग और रियूजेबल लाॅॅन्च व्हीकल मिशन पर काम कर रहे हैं। जेईई में बेहतर रैंक हासिल करने के बाद आयुष ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलाजी तिरुवनंतपुरम से ग्रेजुएशन किया। फिर 2016 में इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर अहमदाबाद में वैज्ञानिक के रूप में योगदान दिया।
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