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JAC Result: सब्जी और टोपी बेचने वालों की बिटिया मैट्रिक में कर गई टाप... जानिए, मनीषा व सिमरन की कहानी

JAC Result 2022 जैक के परीक्षा परिणाम में ज्यादातर ऐसे बच्चों ने शानदार सफलता हासिल की जिन्होंने काफी अभावों में पढ़ाई की। माता- पिता के संघर्ष को करीब से देखा। अपने माता पिता तथा परिवार को फटेहाल जिंदगी से उबारने के लिए जी-तोड़ मिहनत कर शानदार सफलता पाई।

By Jagran News RanchiEdited By: Updated: Wed, 22 Jun 2022 04:53 PM (IST)
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JAC Result 2022 जैक ने 10 वीं एवं 12वीं के परीक्षा परिणाम जारी किए।

रांची, जासं। जैक से जारी हुए 10 वीं एवं 12वीं के परीक्षा परिणाम कई मायने में खास रहे। इसमें ज्यादातर ऐसे बच्चों ने शानदार सफलता हासिल की जिन्होंने काफी अभावों में पढ़ाई की। माता- पिता के संघर्ष को करीब से देखा। गरीबी की जलालत को नजदीक से समझा। अपने माता पिता तथा परिवार को फटेहाल जिंदगी से उबारने के लिए जी-तोड़ मिहनत की। इसका परिणाम रिजल्ट के रूप में सामने आया। सफलता मिलने के बाद अब इन बच्चों का मनोबल काफी बढ़ा हुआ है। वे आगे और मिहनत कर मुकाम हासिल करना चाहते हैं। आइए जानते हैं- किस किस तरह के परिवार से निकलकर बच्चों ने पाई शानदार सफलता।

सब्जी विक्रेता की बेटी मनीषा को 10वीं में तीसरा स्थान

कहते हैं हौसला हो तो संसाधन की कमी राह नहीं रोक सकती। बस आवश्यकता है लक्ष्य के प्रति जनून और कड़ी मेहनत की। न्यू मधुकम निवासी सब्जी विक्रेता द्वारिका प्रसाद की बेटी मनीषा ने कुछ ऐसा ही कीर्तिमान रचा है। द्वारिका प्रसाद रातू रोड के पहाड़ी मंदिर के समीप सब्जी बेचकर परिवार का गुजारा करते हैं। उनकी बेटी ने मेहनत और लगन के बल पर परिवार ही नहीं, राज्य में अपनी पहचान बनाई है।

पुरुलिया रोड के उर्सलाइन कान्वेंट गर्ल्स हाई स्कूल की छात्रा मनीषा को 10वीं की परीक्षा में पूरे राज्य में तीसरा स्थान मिला है। दो-बहन और दो भाइयों में दूसरे नंबर की मनीषा शुरू से ही मेधावी रही हैं। वह आगे डाक्टर बनना चाहती है। बेटी की इस उपलब्धि पर पिता द्वारिका प्रसाद के आंखों से आंसू छलक पड़े। बताते हैं कम आमदनी के बाद भी पढ़ाई-लिखाई से कभी समझौता नहीं किया। जितना और जिस तरह के खर्च की जरूरत पड़ी, जैसे-तैसे व्यवस्था कर पूरी की। उन्हें उम्मीद थी कि बेटी को अच्छे मार्क्स मिलेंगे, लेकिन राज्य में तीसरा स्थान आएगा, इसकी उम्मीद नहीं थी।

स्मार्ट फोन और इंटरनेट मीडिया से दूर रहती हैं मनीषा

आज के दौर में जब नर्सरी क्लास के बच्चे भी स्मार्ट फोन में डूबे रहते हैं, मनीषा इंटरनेट मीडिया से बिलकुल ही दूर रहती है। स्मार्ट फोन का उपयोग करती है तो सिर्फ स्कूल के वाट्सएप ग्रुप देखने के लिए। मनीषा के अनुसार परीक्षा को कभी टेंशन के रूप में नहीं लिया। स्कूल के अलावा जमकर सेल्फ रीडिंग करती थी। मनीषा को बैडमिंटन खेलना बेहद पसंद है। शाम में निश्चित तौर पर बेडमिंटन जरूर खेलती है। मनीषा की बड़ी बहन निशा भी उर्सलाइन स्कूल में ही 12वीं की छात्रा है। कहती हैं एक ही लक्ष्य है। डाक्टर बनकर परिवार का नाम रौशन करें। साथ ही जरूरतमंदों की सेवा में तत्पर रहें।

पिता फुटपाथ पर बेचते हैं टोपी, बेटी को पांचवां स्थान

उर्सलाइन इंटर कालेज में 12वीं विज्ञान संकाय की छात्रा सिमरन नौरीन ने गरीबी से जूझते हुए शानदार सफलता हासिल की है। 96.6 प्रतिशत अंक के साथ सिमरन रांची जिला की टापर रही। वहीं, पूरे राज्य में उसे पांचवां स्थान मिला है। दो बहनों में छोटी सिमरन के पिता जशीम अख्तर हाट-बाजार में फुटपाथ पर टोपी बेचते हैं। वहीं, मां इशरत जहां घर का कामकाज संभालती हैं। बड़ी बहन आरफा फिजिक्स से पीजी कर रही हैं। रिजल्ट जारी होने के बाद अपनी मां के साथ स्कूल पहुंची सिमरन की खुशी का ठिकाना नहीं था। सिमरन कहती हैं कि 10वीं परीक्षा में भी उसने टाप रैंक हासिल किया था। पूरा भरोसा था कि 12वीं में भी अच्छा रैंक मिलेगा।

सीबीएसई में अभाव के कारण नहीं हुआ नामांकन

सिमरन कहती हैं, 10वीं में टाप करने के बाद उसकी इच्छा आगे सीबीएसई स्कूल में नामांकन कराने का था। लेकिन पिता इतना नहीं कमा पाते थे कि प्राइवेट स्कूल का फीस भर सकते। मन मसोस कर उर्सलाइन से ही पढ़ाई जारी रखी। परिवार की आर्थिक स्थिति ने मन मस्तिष्क पर गहरा असर डाला। माता-पिता की जवानी गरीबी और तंगहाली में गुजरी। ऐसे में इतना पढ़ना चाहती हूं कि परिवार में कभी आर्थिक तंगी न हो।

मां ने कहा, लाकडाउन में लगा कि छूट जाएगी पढ़ाई

सिमरन की मां इशरत जहां कहती हैं पति हाट बाजार में टोपी व अन्य सामान बेचकर घर का खर्च चलाते हैं। लाक डाउन में हाट बाजार लगना बंद हो गया तो परिवार के समक्ष खाने-पीने की समस्या उत्पन्न हो गई। ऐसे में एक समय ऐसा भी आया जब लगा कि आगे बेटियों को पढ़ाना संभव नहीं है। जैसे-तैसे पढ़ाई का खर्च पूरा किया गया। इशरत जहां के अनुसार बुरे दिन बीत गए। मेरी बेटियां अपनी प्रतिभा से झारखंड का नहीं बल्कि देश का नाम रोशन करेंगी।

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