Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Jharkhand Army Land Scam: सेना की जमीन मामले में ED ने जयंत करनाड से की पूछताछ, सामने आई चौंकाने वाली जानकारी

जमीन घोटाला मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सेना के उपयोग वाली मोरहाबादी मौजा के प्लॉट नंबर 557 की 4.55 एकड़ जमीन पर दावेदारी करने वाले जयंत करनाड से पूछताछ की। ईडी की इस पूछताछ में कई तरह के चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। इसमें पता चला की जयंत करनाड ने भी जमीन को लेकर कई गड़बड़ी की हैं।

By Dilip Kumar Edited By: Shoyeb Ahmed Updated: Tue, 16 Jul 2024 11:15 PM (IST)
Hero Image
झारखंड के सेना भूमि घोटाले में जयंत करनाड से ईडी ने की पूछताछ

राज्य ब्यूरो, रांची। सेना के उपयोग वाली मोरहाबादी मौजा के प्लॉट नंबर 557 की 4.55 एकड़ जमीन पर दावेदारी करने वाले जयंत करनाड से ईडी की पूछताछ कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।

जमीन घोटाला मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच के क्रम में ईडी ने यह पाया है कि जयंत करनाड भी जमीन का असली रैयत नहीं। वह जाली कागजात पर जमीन के असली रैयत बीएम मुकुंदराव का उत्तराधिकारी बना।

सेना से वसूला किराया और जमीन भी बेची

सेना से किराया भी वसूला और पूरी जमीन वर्ष 2019 में 2.71 करोड़ रुपये में 13 खरीदारों में बेच दी गई। इसमें जयंत करनाड को 2.55 करोड़ रुपये मिले, जो उनके बैंक ऑफ इंडिया टेल्को टाउन शाखा के खाता नंबर 450110110002549 में जमा हुए थे।

इसी खाते में वर्ष 2007 व 2008 में भी 12 लाख रुपये अग्रिम रूप में जमा हुए थे। ईडी की जांच रिपोर्ट के अनुसार जयंत करनाड को बीएम मुकुंदराव का उत्तराधिकारी घोषित कराने में अधिवक्ता हिमांशु कुमार मेहता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

ईडी के सामने स्वीकारी बात

अधिवक्ता हिमांशु कुमार मेहता ने ही जयंत करनाड के पक्ष में सभी कागजात तैयार कर उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। यह स्वीकारोक्ति बयान जयंत करनाड का है, जिसे उसने ईडी के सामने पूछताछ में स्वीकारा है।

उसने बताया है कि उसके पास खुद को उत्तराधिकारी घोषित करने संबंधित कोई दस्तावेज नहीं था। ईडी बहुत जल्द पूरक आरोप पत्र दाखिल कर इस प्रकरण के छुपे हुए तथ्यों को उजागर करेगी।

पूर्व के बयान को खारिज कर चुका है जयंत करनाड

जयंत करनाड ने पूछताछ में बताया था कि उसके पास उक्त सेना के उपयोग वाली जमीन से संबंधित कोई दस्तावेज या उत्तराधिकारी प्रमाणपत्र नहीं है। उसके पास होल्डिंग, मालगुजारी लगान रसीद भी नहीं है। कानूनी रूप से उत्तराधिकारी का कोई सबूत भी नहीं है।

उसने ईडी को बताया है कि बीएम मुकुंदराव के चार सितंबर 1998 में निधन के बाद मोहन कपूर नामक एक व्यक्ति ने पावर आफ अटार्नी होल्डर बता सेना से 417 रुपये मासिक किराया वसूला था। उसने बताया था कि उसने बीएम मुकुंदराव से पावर ऑफ अटॉर्नी ले रखा था।

सेना ने जांच की पूरी

बाद में सेना ने पूरी जांच की और कानूनन यह बात सामने आई कि बीएम मुकुंदराव के निधन के साथ ही पावर भी समाप्त हो चुका है। इसके बाद सेना ने किराया रोक दिया और पूर्व में भुगतान किए गए किराये की मोहन कपूर से वसूली की।

इसके बाद सेना ने उत्तराधिकारी की तलाश के लिए विज्ञापन निकाला, जिसके बाद जयंत करनाड वर्ष 2007 में रांची आया और अधिवक्ता हिमांशु से मिलकर खुद को उत्तराधिकारी बताया, लेकिन कागजात नहीं होने की बात की। इसके बाद हिमांशु ने पेपर तैयार किया।

ऐसे बनाई जमीन बेचने की रणनीति 

वहीं, दूसरे ही दिन जयंत करनाड अपने इस बयान से पलटते हुए कहा कि सेना से विज्ञापन जारी होने के बाद अधिवक्ता हिमांशु ही उससे मिलने टेल्को स्थित उसके आवास पर गए, जिसके बाद उक्त कागजात बनाने से लेकर उसकी खरीद-बिक्री तक की रणनीति बनी।

जयंत करनाड के अनुसार जाली कागजात के आधार पर अधिवक्ता हिमांशु मेहता ने ही उसे उक्त जमीन का असली उत्तराधिकारी घोषित करवाया और सेना से किराया भी दिलवाया।

जयंत करनाड के दोनों ही बयान को ईडी ने सुरक्षित रख लिया है, जिसमें अधिवक्ता हिमांशु मेहता से मिलने व रणनीति बनाने को लेकर बयानों में विरोधाभास है। बहुत जल्द ही ईडी अधिवक्ता हिमांशु मेहता से एक बार फिर पूछताछ करेगी।

ये भी पढे़ं-

'लोको पायलट 18 घंटे से ज्यादा चला रहे हैं ट्रेन', PMO और रेल मंत्री से की शिकायत; सोशल मीडिया पर पोस्ट वायरल

Jharkhand Accident News: गढ़वा में सड़क हादसा! तेज रफ्तार पिकअप ने ऑटो को मारी टक्कर, 2 बच्चों की मौत; कई घायल