JAC का फर्जी मार्कशीट वाट्सएप ग्रुप में वायरल, उपाध्यक्ष ने दिया जांच का आदेश Ranchi News
Jharkhand JAC जैक बोर्ड के एक दैनिक कर्मचारी ने अंकपत्र शेयर किया। अंकपत्र पर लिखे रोल नंबर और रोल कोड फर्जी है। सभी अंक पत्र बोकारो इंडस्ट्रीयल एरिया के हाई स्कूल के हैं।
By Sujeet Kumar SumanEdited By: Updated: Sat, 08 Aug 2020 06:21 PM (IST)
रांची, जासं। Jharkhand Academic Council Fake Marksheet झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) की विश्वसनीयता पर एक बार फिर से प्रश्नचिह्न लग गया है। शुक्रवार को एक वाट्सएप ग्रुप में जैक बोर्ड के एक दैनिक कर्मचारी द्वारा कुछ अंकपत्र शेयर किए गए। मगर इस अंक पत्र पर लिखे रोल नंबर और रोल कोड फर्जी थे। इसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया। थोड़ी ही देर में मैसेज के स्क्रीनशॉट के साथ अंक पत्र वायरल हो गए। ये सभी अंक पत्र बोकारो इंडस्ट्रीयल एरिया के हाई स्कूल के हैं।
इस मामले में जैक के उपाध्यक्ष फूल सिंह ने जांच के आदेश दिए हैं। इसके लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। उन्होंने कहा है कि अगर किसी कर्मचारी की इस मामले में संलिप्तता पाई जाती है, तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। सूत्रों के मुताबिक बोर्ड के कुछ कर्मचारी पहले से फर्जी मार्कशीट बनाने का काम कर रहे थे। मार्कशीट पर विद्यार्थी को अलग-अलग कॉलेज में एडमिशन मिल जाता था। इसके साथ ही विद्यार्थियों को हिदायत दी जाती है कि वे किसी भी हाल में केवल प्राइवेट नौकरी में इसका उपयोग करेंगे।
सरकारी नौकरी का फॉर्म तक भरने की मनाही होती है। हालांकि, वाट्सएप ग्रुप में अंकपत्र शेयर करने वाले व्यक्ति कन्हैया प्रसाद सिंह का कहना है कि उसे पता नहीं है कि उनके पास ये अंक पत्र कहां से आए। वे किसी भी सवाल का जवाब केवल अपने अधिकारियों को देंगे। उनका कहना है कि उन्हें इस मामले में फंसाया जा रहा है। अगर अंकपत्र नकली होते, तो वे खुद को फंसाने के लिए क्यों किसी ग्रुप में उसे शेयर करते।
इससे पहले बनी थी जैक बोर्ड की फर्जी साइट
जून के महीने में उत्तर प्रदेश में जैक बोर्ड की फर्जी साइट बनाकर बच्चों का रिजल्ट घोषित कर दिया गया था। यह वास्तविक की हूबहू नकल है, जो विद्यार्थियों में भ्रम फैला रहा है। बोर्ड ने साइबर क्राइम एसपी को लिखित सूचना देते हुए इस फर्जी वेबसाइट को ब्लॉक कराने की गुजारिश की है। शिकायत में कहा गया है कि संबंधित संस्था व व्यक्ति के विरुद्ध कार्रवाई की जाए। जैक ने इसकी सूचना द नेशनल साइबर कोऑर्डिनेशन सेंटर को भी भेजी थी। बोर्ड का कहना है कि इस साइट के कारण जैक की छवि धूमिल हो रही है। बोर्ड की आपत्ति के बाद इस साइट को बंद किया गया।
जैककर्मी कन्हैया प्रसाद सिंह से बातचीत
संवाददाता : हैलो कन्हैया प्रसाद सिंह बोल रहे हैं?कन्हैया : हां बोल रहा हूं।संवाददाता : अपने एक वाट्सएप ग्रुप में आपने मार्कशीट शेयर किया है?कन्हैया : यह हुआ तो मेरे नंबर से है। मगर मैंने नहीं किया है। मुझे नहीं पता कि ये मेरे पास कहां से आए।
संवाददाता : क्या आपने दिन में किसी को अपना मोबाइल इस्तेमाल के लिए दिया था?कन्हैया : नहीं, मेरा मोबाइल मेरे पास था। मगर मुझे नहीं पता ये मेरे पास कहां से आए।संवाददाता : क्या आपको पता है ये अंकपत्र फर्जी हैं?कन्हैया : हां, मेरे दफ्तर में काम करने वाले एक कर्मचारी ने चेक करके बताया कि वो सभी अंक पत्र फर्जी हैं।
संवाददाता : फिर आप बताएं कि ये अंक पत्र आपको किसने भेजा था? जांच के आदेश भी दिए जा चुके हैं।कन्हैया : दफ्तर में मैं अपने अधिकारियों के सामने अपनी बात रखूंगा।'एक बड़ा गंभीर मामला है। विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। इस जांच में जो भी दोषी पाए जाएंगे, उन पर कड़ी कार्रवाई होगी। जैक एक प्रतिष्ठित बोर्ड है। इससे छवि धूमिल हुई है।' -अरविंद सिंह, अध्यक्ष, झारखंड एकेडमिक काउंसिल।
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