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Jharkhand Politics : क्या मोहन झारखंड में भी कर पाएंगे कमाल? BJP ने विधानसभा चुनाव को लेकर खेला बड़ा दांव

झारखंड में इसी साल विधानसभा चुनाव है। भाजपा अपनी रणनीति बनाने में जुट गई है। माना जा रहा है कि ओडिशा में आदिवासी सीएम देकर झारखंड के लिए बड़ा दांव खेला है। लोकसभा चुनाव में झारखंड को छोड़ दें तो बाकी के राज्यों में भाजपा को आदिवासी समुदाय का समर्थन मिला है। ओडिशा में हुई नई राजनीतिक नियुक्ति से विधानसभा चुनाव में भाजपा लाभ की उम्मीद कर रही है।

By Dibyanshu Kumar Edited By: Mukul Kumar Updated: Wed, 12 Jun 2024 07:25 PM (IST)
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ओडिशा के बहाने कहीं झारखंड को साधने की तैयारी तो नहीं
राज्य ब्यूरो, रांची। Jharkhand Politics झारखंड के पड़ोसी राज्य ओडिशा में संताल समुदाय के मोहन चरण माझी को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने झारखंड के आदिवासी समुदाय को फिर से अपनी ओर आने का संदेश दिया है। राज्य से सटे छत्तीसगढ़ में पहले से विष्णुदेव साय मुख्यमंत्री हैं।

दो पड़ोसी राज्य में आदिवासी मुख्यमंत्री देकर भाजपा ने अपने को इस समुदाय के हितों के रक्षक के तौर पर प्रस्तुत करने की तैयारी की है। देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु भी ओडिशा से ही हैं और संताल आदिवासी समुदाय से हैं।

लोकसभा चुनाव में झारखंड को छोड़ दें तो बाकी के राज्यों में भाजपा को आदिवासी समुदाय का समर्थन मिला है। अब इस साल के अंत तक झारखंड में विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Election) होने हैं। ओडिशा में हुई नई राजनीतिक नियुक्ति से विधानसभा चुनाव में भाजपा लाभ की उम्मीद कर रही है।

ओडिशा और छत्तीसगढ़ के साथ झारखंड के लोगों का रोटी-बेटी का रिश्ता

Jharkhand News छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की ननिहाल झारखंड के सिमडेगा जिले के कुरडेग में है। इसी तरह ओडिशा की निवासी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की दादी झारखंड की रहने वाली थीं। इन दोनों ही पड़ोसी राज्यों के साथ झारखंड का रोटी बेटी की रिश्ता है।

ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी संताल समुदाय से हैं जिसकी झारखंड के सात जिलों में बड़ी आबादी है। झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी भी संताल समुदाय से ही हैं।

साल 2019 के विधानसभा चुनाव में संताल परगना और कोलहान के आदिवासी सुरक्षित सीटों पर भाजपा को सफलता नहीं मिली थी। अब मोहन चरण माझी के जरिए भाजपा फिर से संताल समुदाय में पैठ बनाने की कोशिश करेगी।

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