Jharkhand Election: 32 सीटों पर BJP के लिए बड़ी चुनौती, महिलाएं करेंगी हार-जीत का फैसला; पिछली बार कुछ ऐसा रहा हाल
झारखंड विधानसभा चुनाव में महिला बहुल विधानसभा क्षेत्रों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है जो 12 से बढ़कर 32 हो गई है। इनमें अधिसंख्य एसटी सीटें भी शामिल हैं। भाजपा के लिए ये सीटें चुनौती भरी हैं क्योंकि पिछले चुनाव में इनमें से अधिकांश पर आइएनडीआइए का कब्जा था। राजनीतिक दलों ने महिलाओं को आकर्षित करने के लिए विशेष योजनाएं घोषित की हैं।
नीरज अम्बष्ठ, रांची। इस विधानसभा चुनाव की एक खास बात यह है कि इस बार महिला बहुल विधानसभा क्षेत्रों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है। पिछले विधानसभा चुनाव में जहां महिला बहुल सीटों की संख्या 12 थी, जो इस बार बढ़कर 32 हो गई है।
इन सीटों पर जीत भाजपा के लिए बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि वर्तमान में इनमें से अधिसंख्य सीटों पर आइएनडीआइए कब्जा है। इन 32 महिला बहुल सीटों में अधिसंख्य एसटी सीटें भी सम्मिलित हैं, जो पहले से ही भाजपा के लिए चुनौती भरी रही है।
महिला बहुल सीटों की संख्या को देखते हुए ही जहां हेमंत सरकार ने मुख्यमंत्री मंइयां सम्मान योजना लाने का काम किया, जिसकी राशि एक हजार से बढ़ाकर ढाई हजार करने की घोषणा भी आइएनडीआइए ने अपने न्याय पत्र में की है।
वहीं, भाजपा को इसका काट गोगो दीदी जैसी योजना की घोषणा कर करना पड़ा। इसी तरह की योजना का जिक्र आजसू ने भी अपने घोषणा पत्र में किया है।भाजपा के लिए ये महिला बहुल सीटें इस कारण भी चुनौती भरी है, क्योंकि वर्ष 2019 के पिछले विधानसभा चुनाव में जिन 12 सीटों पर महिला मतदाताओं की संख्या अधिक थी वहां एक खूंटी को छोड़कर सभी सीटों पर भाजपा की हार हुई थी। इनमें से पोटका और सिमडेगा दो ऐसी सीटें हैं जो लंबेसमय से भाजपा के कब्जे में थी।
पोटका से मेनका सरकार लगातार जीत हासिल कर रही थीं, लेकिन वे भी अपनी सीट बचा नहीं पाई थीं। यही हाल सिमडेगा में हुआ था, जहां पार्टी ने अपना प्रत्याशी बदल दिया था। हालांकि यहां कांग्रेस के भूषण बाड़ा ने भाजपा प्रत्याशी श्रद्धानंद बेसरा को नजदीकी मुकाबले में महज 285 वोट से हराया था।यह उस विधानसभा चुनाव की सबसे छोटी जीत-हार थी। इस चुनाव में भी दोनों आमने-सामने हैं। इसी तरह, भाजपा की घाटशिला, खरसावां, चाईबासा, मनोहरपुर तथा मझगांव में जीत का सपना पूरा नहीं हो सका था। इन पांचों सीटों पर झामुमो का पहले से कब्जा था।
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