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झामुमो से लेकर भाजपा तक..., सभी राजनीतिक दलों की पहली पसंद सिटिंग विधायक; नाते-रिश्तेदार को भी जमकर मिली वरीयता

Jharkhand Vidhan Sabha Election 2024 झारखंड विधानसभा चुनाव में इस बार सभी राजनीतिक दलों ने जीत के लिए एक ही फॉर्मूला अपनाया है- सीटिंग विधायकों को फिर से मैदान में उतारना। नए उम्मीदवारों को कम ही मौका मिला है। कुछ सीटों पर पुराने नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट दिया गया है। वहीं कुछ सीटें दल बदलकर आए नेताओं ने झटक ली हैं।

By Jagran News Edited By: Mohit Tripathi Updated: Sun, 27 Oct 2024 10:14 PM (IST)
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झारखंड में सभी दलों की पहली पसंद सीटिंग विधायक।
प्रदीप सिंह, रांची। झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर अलग-अलग राजनीतिक दलों के मुद्दे और एजेंडे भले ही एक-दूसरे से इतर हों, लेकिन जीत हासिल करने के लिए सभी राजनीतिक दलों ने एक ही फार्मूला अपनाया है और वह है सीटिंग विधायकों को फिर से चुनाव मैदान में उतारने का।

सीटिंग विधायकों के स्थान पर नया चेहरा देने का जोखिम दलों ने नहीं लिया है। जहां प्रत्याशी बदले गए हैं, वहां पहले से जमे नेताओं के नाते-रिश्तेदारों को मौका मिला है। शेष सीटें उन लोगों ने झटक ली, जो अपना दल छोड़कर आए। ऐसे में नए उम्मीदवारों को कम ही मौका मिल पाया है।

झारखंड मुक्ति मोर्चा ने लिट्टीपाड़ा में सीटिंग विधायक दिनेश विलियम मरांडी का टिकट काटकर दल के पुराने दिग्गज हेमलाल मुर्मु को टिकट दिया है। इससे विधायक दिनेश बगावत पर उतारू हैं। विधायक नलिन सोरेन के सांसद बन जाने की वजह से झामुमो ने शिकारीपाड़ा में प्रत्याशी बदला। उनके पुत्र आलोक सोरेन को टिकट दिया गया है।

झामुमो से पिछला चुनाव जीते सीता सोरेन, चम्पाई सोरेन और लोबिन हेम्ब्रम भाजपा में चले गए। इनकी सीटों पर झामुमो ने नए प्रत्याशी दिए हैं। भाजपा ने सिमरिया के विधायक किशुन दास की जगह नया प्रत्याशी उतारा। सिंदरी के सीटिंग विधायक इंद्रजीत महतो बीमार हैं। उनके स्थान पर उनकी पत्नी चुनाव मैदान में है।

पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की बहू पूर्णिमा दास साहू जमशेदपुर पूर्वी से, चम्पाई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन घाटशिला से, पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा पोटका से और धनबाद के सांसद ढुलू महतो के भाई शत्रुघ्न महतो को भाजपा ने बाघमारा से चुनाव मैदान में उतारा है।

सीटिंग विधायकों का टिकट कटा तो हुए आगबबूला

बरही से कांग्रेस के विधायक उमाशंकर अकेला ने टिकट कटने पर प्रदेश नेतृत्व को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने पैसे लेकर टिकट बांटने का आरोप लगाया।

इसी तरह लिट्टीपाड़ा के झामुमो विधायक दिनेश विलियम मरांडी को टिकट नहीं मिला तो उन्होंने विरोध किया और झामुमो का अस्तित्व तक समाप्त होने की भविष्यवाणी कर दी।

भाजपा के केदार हाजरा को जमुआ से टिकट नहीं मिलने का अहसास हुआ तो वह झामुमो में शामिल हो गए और अब चुनाव लड़ रहे हैं।

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