झारखंड विधानसभा चुनाव में रांची जिले की सभी सीटों पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा। भाजपा ने ज्यादातर सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है जबकि झामुमो-कांग्रेस में अभी सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है। रांची में भाजपा ने वर्तमान विधायक सीपी सिंह पर फिर से भरोसा जताया है। सिल्ली में आजसू के सुदेश महतो और जेएमएम के अमित महतो के बीच फिर से मुकाबला हो सकता है।
संजय कुमार, रांची। Jharkhand Assembly Elections 2024 झारखंड विधासभा चुनाव की घोषणा होने के बाद भाजपा ने ज्यादातर विधासभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। रविवार को आजसू ने भी प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है।
उधर, झामुमो और कांग्रेस में विधिवत सीटों का बंटवारा तो नहीं हुआ है, लेकिन पिछली बार जो सीट जिस दल के खाते में थी, वह उसी दल को मिलने की संभावना है। इसी आधार पर कांग्रेस ने सोमवार देर रात कई सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है।
रांची की सभी सीटों पर दिलचस्प मुकाबला
अब रांची जिले की सभी सीटों पर इस बार दिलचस्प मुकाबला होने के आसार हैं। रांची में भाजपा ने वर्तमान विधायक सीपी सिंह पर फिर भरोसा जताया। उन्हें पिछली बार झारखंड मुक्ति मोर्चा की महुआ माजी ने कड़ी टक्कर दी थी।मतगणना के दौरान अंतिम समय में सीपी सिंह जीत पाए थे। उस समय ही चर्चा शुरू हो गई थी रांची विधानसभा में भी भाजपा को अब टक्कर मिलने लगी है।
पहले कहा जाता था कि रांची विधानसभा से भाजपा से किसी को भी उम्मीदवार बना दे, जीतेगा ही। चर्चा है कि इस बार फिर महुआ माजी रांची से झामुमो की उम्मीदवार हो सकती हैं।
सिल्ली में फिर आमने-सामने हो सकते हैं सुदेश व अमित
सिल्ली सीट आजसू के खाते में है और उम्मीदवार स्वयं पार्टी सुप्रीमो सुदेश महतो हैं। 2014 के चुनाव में तो जेएमएम के अमित महतो ने उन्हें परास्त कर दिया था।
कोर्ट से सजा मिलने के बाद अमित महतो की विधायकी जाने के बाद उनकी पत्नी ने भी 2019 में सुदेश को कड़ी टक्कर दी थी। कुछ वर्ष पहले अमित महतो जेएमएम से अलग हो गए थे। अब चुनाव के वक्त वापस वह झामुमो में लौट आए हैं।
हटिया में नवीन जायसवाल बनाम अजयनाथ
हटिया की बात करें तो यहां से भाजपा ने नवीन जायसवाल को उम्मीदवार बनाया है। वह यहां से तीन बार से लगातार विधायक हैं। कांग्रेस ने यहां से अजयनाथ शाहदेव को उम्मीदवार बनाया है। मुकाबला रोचक होगा।
खिजरी का क्या है हाल
खिजरी में भाजपा ने पूर्व विधायक रामकुमार पाहन को मैदान में उतारा है। पिछली बार कांग्रेस के उम्मीदवार व वर्तमान विधायक राजेश कच्छप से पाहन बहुत कम वोट से हारे थे। कांग्रेस ने फिर से राजेश कच्छप को ही उम्मीदवार बनाया है। इस बार दोनों दलों में मुकाबला रोचक होगा।
कांके का क्या है सियासी गणित
कांके से भाजपा ने वर्तमान विधायक समरी लाल का टिकट काटकर पूर्व विधायक जीतू चरण राम को अपना उम्मीदवार बनाया है। महागठबंधन में यह सीट कांग्रेस के खाते में जा सकती है, क्योंकि गठबंधन के तहत पिछली बार यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार सुरेश बैठा लड़ रहे थे।
भाजपा ने पिछली बार जीतू चरण राम का टिकट काटकर समरी लाल को उम्मीदवार बनाया था, इस बार फिर से जीतू चरण राम पर विश्वास जताया है। अब यहां के मतदाता किस रूप में इसे लेते हैं, चुनाव के बाद ही पता चलेगा।वैसे आंकड़ों के अनुसार कांके सीट पर भाजपा को छोड़ दूसरे दलों को बहुत कम सफलता मिली है। एनडीए में तमाड़ सीट जदयू के खाते में है और यहां से राजा पीटर को टिकट मिल गया है।झामुमो यहां से अपने विधायक विकास मुंडा को फिर से उम्मीदवार बनाने को तैयार है। राजा पीटर पहले भी यहां से विधायक रहे हैं। वर्षों बाद वह जेल से बाहर निकले हैं।
मांडर का सियासी गुणा-गणित
जहां तक मांडर की बात है तो यहां से भाजपा ने इस बार कुछ वर्ष पहले कांग्रेस से पार्टी में शामिल हुए सन्नी टोप्पो को उम्मीदवार बनाया है। क्षेत्र में पकड़ है।उधर, महागठबंधन में कांग्रेस की विधायक नेहा तिर्की को फिर से टिकट दिया है। 2014 में यहां से भाजपा की गंगोत्री कुजूर विधायक थी। पिछली बार उनका टिकट काट दिया गया था।यहां से झाविमो के बंधु तिर्की विजयी हुए। किसी मामले में सजा होने के बाद सदस्यता चली गई। अब वे कांग्रेस में हैं। उपचुनाव में कांग्रेस ने जहां बंधु तिर्की की पुत्री नेहा तिर्की को उम्मीदवार बनाया वहीं भाजपा ने गंगोत्री कुजूर को उम्मीदवार बनाया। लेकिन गंगोत्री नेहा से हार गईं।
इधर भाजपा में आने के बाद सन्नी टोप्पो ने क्षेत्र में काफी मेहनत किया है। इसलिए इस बार यहां कड़ा मुकाबला होना तय है। इन सभी विधानसभा सीटों पर किसके सर ताज सजेगा यह तो 20 अक्टूबर को ही पता चलेगा, परंतु सभी सीटों पर मुकाबला दिलचस्प होना तय है।
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