Jharkhand Assembly: राज्यपाल के सुझाव को सरकार ने किया दरकिनार! बिना किसी संशोधन के दोबारा पास हुआ स्थानीयता विधेयक
झारखंड विधानसभा में बुधवार को स्थानीयता विधेयक को दोबारा पारित किया गया। इससे पहले सरकार ने नवंबर 2022 मे भी इस विधेयक को पारित कर राज्यपाल के पास भेजा था। हालांकि राज्यपाल ने अटार्नी जनरल की कानूनी सलाह के बाद संशोधन के सुझाव के साथ वापस लौटा था। विधेयक में राज्य में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर स्थानीय को नौकरी का प्रावधान किया गया।
By Jagran NewsEdited By: Shashank ShekharUpdated: Wed, 20 Dec 2023 10:00 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड विधानसभा में बुधवार को 1932 के खतियान आधरित स्थानीयता का विधेयक बुधवार को दोबारा पारित किया गया। इससे पहले सरकार ने 11 नवंबर 2022 को भी इसे पारित कर राज्यपाल के पास भेजा था, जिसे राज्यपाल ने अटार्नी जनरल की कानूनी सलाह के बाद संशोधन के सुझाव के साथ वापस लौटा था।
सदन में अटार्नी जनरल की आपत्तियों को पढ़कर सुनाया भी गया, लेकिन राज्य सरकार ने राज्यपाल के सुझाव को नहीं माना है और विधेयक में बगैर कोई संशोधन किए दोबारा सदन में पारित किया गया। इस विधेयक के लागू होने के बाद झारखंड में वही लोग स्थानीय कहे जाएंगे, जो 1932 के पहले से राज्य में निवास कर रहे हैं और उनका नाम 1932 में हुए भू-सर्वे के दस्तावेज में दर्ज है।
तृतीय, चतुर्थ श्रेणी के पदों पर केवल स्थानीय को नौकरी
इसके साथ ही इस विधेयक में राज्य में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर केवल स्थानीय को नौकरी के लिए प्रविधान किया गया है। हालांकि, इस विधेयक के लागू होने में कुछ कानूनी अड़चनें हैं, पूर्व में झारखंड हाईकोर्ट 1932 के खतियान आधारित राज्य की डोमिसाइल नीति को खारिज कर चुका है।हालांकि, इस विधेयक के प्रावधानों को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल कराने के बाद लागू करने की व्यवस्था बनाई गई है। केंद्र सरकार अगर इसे नौवीं अनुसूची में शामिल कराती है तभी यह लागू हो पाएगा।
सदन में विधेयक के पक्ष में बोलते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि खतियान आधारित स्थानीयता से राज्य के लाखों आदिवासियों और मूलवासियों की अस्मिता और पहचान जुड़ी हुई है। इसका उद्देश्य है कि स्थानीय लोगों का झारखंड राज्य की संपदा और नौकरियों पर हक बरकरार रहे। मुख्यमंत्री ने अटार्नी जनरल को प्राप्त वैधिक परामर्श पर भी सरकार का पक्ष रखा।
विधेयक को 9वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र के पास भेजेगी राज्य सरकार
उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद-309 के तहत नियम बनाने की यह शक्ति राज्य की विधानसभा को प्राप्त है। इसी कारण से हम लोगों ने विधेयक बनाने और इस पर विधानसभा की सहमति प्राप्त करने का एवं उसे नौवीं अनुसूची में शामिल करने का निर्णय लिया।
कहा कि राज्य के जिन क्षेत्रों में 1932 में सर्वे नहीं हुआ है, वहां ग्राम सभा से पुष्टि कराकर संबंधित व्यक्ति को स्थानीय माना जाएगा। इस विधेयक को एक बार फिर नौवीं अनुसूची में संरक्षित करने के लिए राज्य सरकार केंद्र के पास भेजेगी।विधेयक पारित होते ही सत्ता पक्ष के कई विधायकों ने जय झारखंड के नारे लगाए और भाजपा विधायकों से पूछा कि इस बार विधेयक को नौवीं अनुसूची में संरक्षण देने में भाजपा मदद करेगी या नहीं। भाजपा ने विधेयक का विरोध नहीं किया, लेकिन उसके विधायक खुलकर साथ भी नहीं आए।
सीएम ने कहा कि पिछली बार भी इस विधेयक पर विपक्ष सहमत था, लेकिन विधेयक पास होते ही पीछे से राज्यपाल का कान भरने पहुंच गए।ये भी पढ़ें: झारखंड में आरक्षी के 4919 पदों पर निकली भर्ती, इस तारीख से भरे जाएंगे फॉर्म; यहां जानें आवेदन की पूरी प्रक्रिया
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