Jharkhand News झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन मंगलवार को 4833.39 करोड़ का अनुपूरक बजट काफी हो-हल्ले के साथ पारित हो गया। कटौती प्रस्ताव के दौरान सदन में सत्तापक्ष और विपक्ष आमने-सामने रहा। आजसू के विधायक लंबोदर महतो व कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने भी अनुपूरक बजट का समर्थन किया। वहीं कुछ समय के लिए सदन स्थगित भी रहा।
राज्य ब्यूरो, रांची। Jharkhand Latest Hindi News: मानसून सत्र के तीसरे दिन मंगलवार को 4833.39 करोड़ के अनुपूरक बजट पर कटौती प्रस्ताव के दौरान सदन में सत्तापक्ष व विपक्ष आमने-सामने रहा।
कटौती प्रस्ताव के समर्थन में भाजपा की ओर से विधायक अनंत कुमार ओझा, भानु प्रताप शाही रहे तो विरोध में सत्तापक्ष से विधायक कल्पना सोरेन, शिल्पी नेहा तिर्की व विनोद सिंह ने अपनी बात रखी। आजसू के विधायक लंबोदर महतो व कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने भी अनुपूरक बजट का समर्थन किया।
आसन के सामने पहुंचे पक्ष-विपक्ष के विधायक
बांग्लादेशी घुसपैठ, बेरोजगारी, नियोजन नीति पर सदन में सत्ता पक्ष व विपक्ष ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए। कई बार दोनों पक्ष के विधायक आसन के सामने पहुंच गए। हो-हल्ला के बीच कटौती प्रस्ताव पर चर्चा के बाद 4833.39 करोड़ का चालू वित्तीय वर्ष का पहला अनुपूरक बजट सदन से पारित हो गया।कटौती प्रस्ताव पर चर्चा के बाद सरकार के जवाब में वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि चर्चा के दौरान विधानसभा सदस्यों की ओर से कुछ सलाह दिया गया है, जिसे सरकार ग्रहण करेगी। उन्होंने अनुपूरक बजट की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और बताया कि नई योजनाओं को लागू करने के लिए यह बजट आया है।
सुखाड़ राहत के लिए बजट की आवश्यकता महसूस हुई। अभी झारखंड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना जैसी महत्वाकांक्षी योजना राज्य में लागू हुई है, जिससे 42 लाख बहनों को इसका लाभ मिलेगा। पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन ने झारखंड में 125 से बढ़ाकर 200 यूनिट फ्रीज बिजली की है। इसका वित्तीय भार पड़ेगा। शिक्षक बहाली चल रही है, जिसके लिए बजट का प्रविधान किया गया है।
इस सरकार ने कुशल वित्तीय प्रबंधन किया है। सरकार के पास 2272 करोड़ रुपये सुरक्षित हैं। इससे ऋणभार को कम करने में लाभ मिलेगा। राज्य सरकार ने पुरानी पेंशन नीति लागू की थी। इसके लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 में 700 करोड़ का निवेश किया था, वर्तमान वित्तीय वर्ष में 780 करोड़ का निवेश किया है।
हमारे संसाधन पर घुसपैठिए हो रहे काबिज : ओझा
राजमहल से भाजपा के विधायक अनंत कुमार ओझा ने अनुपूरक बजट पर कटौती प्रस्ताव का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि राज्य में बेटियों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यहां घुसपैठ हो रहा है, जिसे रोकने व चिह्नित करने की जिम्मेदारी गृह विभाग की है।पहले सरकार कहती थी कि राज्य में एक भी बांग्लादेशी नहीं है। अब सरकार ने भी स्वीकार किया है कि चार बांग्लादेशी आए, जिनपर कानून सम्मत कार्रवाई की गई है। बांग्लादेशी हमारे संसाधन पर काबिज हो रहे हैं। उन्होंने सरकार से कहा कि खुले मन से स्वीकारें कि राज्य में डेमोग्राफी बदल रही है।
उधवा प्रखंड में वर्ष 2014 से 2019 तक आठ हजार मतदाता थे, आज वहां 24 हजार मतदाता हैं। सरकार को चाहिए कि टास्क फोर्स गठित कर बांग्लादेशी घुसपैठ रोके और एनआरसी लागू करे।दुमका के जरमुंडी में एक महिला के छह वर्ष में 13 बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र बनने, फर्जी आधार कार्ड, फर्जी राशन कार्ड बनने का मामला सदन में उठाया और कहा कि सरकार वोट बैंक की राजनीति कर रही है। 1932 के खतियान का क्या हुआ, इसे सरकार को बताना चाहिए।
ये झूठ के बल पर वोट मांगते हैं : कल्पना सोरेन
कटौती प्रस्ताव के विरोध में गांडेय से झामुमो की विधायक कल्पना सोरेन ने कहा कि कटौती प्रस्ताव लाना विपक्ष की आदत है। ये झूठ के बल पर वोट मांगते हैं। मध्य प्रदेश, असम आदि राज्यों में आदिवासियों के साथ अन्याय हो रहा है, यह इन्हें नहीं दिखता।जब हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार राज्य के आदिवासियों के हित में काम कर रही थी तो एक साजिश के तहत उन्हें जेल भिजवाया गया। सरकार गिराने की कोशिश की गई। आने वाले विधानसभा चुनाव में राज्य की जनता इस साजिश का जवाब देगी।
राज्य की महिलाओं के लिए चल रही योजनाओं को कल्पना सोरेन ने महिलाओं के प्रति सरकार का सम्मान बताया और विपक्ष पर निशाना साधा कि ये महिला विरोधी हैं। केंद्र की सरकार गरीबों के लिए योजनाओं में कटौती की है, पिछड़ों के 27 प्रतिशत आरक्षण की कटौती का जिम्मेदार है।
नौकरी, नियोजन नीति का क्या हुआ : भानु
भवनाथपुर सीट से भाजपा के विधायक भानु प्रताप शाही ने कहा कि हेमंत सोरेन की सरकार आदिवासी-मूलवासी के नाम पर बनी। सरकार बनते ही तुष्टीकरण की राजनीति शुरू कर दी। 2019 के विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन ने चुनावी घोषणा पत्र में पांच लाख नौकरी, 1932 का खतियान, मूलवासी-आदिवासी को नौकरी देने की घोषणा की थी।
ये सदन में भी 1932 के खतियान से संबंधित टी-शर्ट पहनकर आए थे। आज तक यह लागू नहीं हुआ। आदिवासियों-मूलवासियों की पीठ में इस सरकार ने छूरा घोंपा। स्थानीय नियोजन नीति नहीं बनी। राज्य में एक भी अनुबंधकर्मी नहीं रहेंगे, उन्हें स्थाई करेंगे का इनका नारा धरा का धरा रह गया।
केंद्र से बकाया मिल जाए तो अनुपूरक बजट की जरूरत नहीं पड़ेगी : शिल्पी नेहा तिर्की
मांडर से कांग्रेस की विधायक शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि केंद्र पर राज्य सरकार का जो बकाया है, वह राज्य को मिल जाए तो अनुपूरक बजट की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
इस सरकार को भाजपा ने अपदस्त करने की कोशिश की। विपक्ष के विधायक झारखंडी मुसलमानों को बांग्लादेशी बोल रहे हैं। ये स्वयं आदिवासियों के दुश्मन हैं।
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