झारखंड: चतरा के इन प्रखंडों के विकास का मॉडल तय करने वाली योजना, फाइलों में दबकर रह गई; देखें रिपोर्ट
Jharkhand Chatra News झारखंड के चतरा जिले में घोर नक्सल प्रभावित कुंदा और लावालौंग प्रखंड के गांवों को विकसित करने वाली योजना फाइलों में सिमटकर रह गई। जिन तीस गांवों को विकास का मॉडल तय करने के लिए चयन किया गया था वहां की जिंदगी आज भी फटेहाल है।
By Sanjay KumarEdited By: Updated: Tue, 30 Aug 2022 10:00 AM (IST)
चतरा, जासं। Jharkhand, Chatra News झारखंड के चतरा जिले में घोर नक्सल प्रभावित कुंदा और लावालौंग प्रखंड के गांवों को विकसित करने वाली योजना फाइलों में सिमटकर रह गई। जिन तीस गांवों को विकास का मॉडल तय करने के लिए चयन किया गया था, वहां की जिंदगी आज भी फटेहाल है। बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। इन गांवों का चयन कुंदा-लावालौंग एक्शन प्लान के तहत किया गया था। यह योजना 2015 की है। इसमें कुंदा प्रखंड के मरगडा, बौधाडीह एवं सिकीद तथा लावालौंग प्रखंड के रिमी व सिलदाग पंचायत के गांव शामिल हैं।
यह सभी गांव घोर उग्रवाद प्रभावित और विकास से कोसो दूर हैं। इसका अंदाजा महज इसी बात से लगाया जा सकता है कि इन में ज्यादातर गांव में पहुंच पथ नहीं है। आज भी यहां तक पहुंचने के लिए पगडंडियों का सहारा लेते हैं।विकसित करने के लिए तय किया गया रूपरेखा, पर हुआ कुछ भी नहीं
इन गांवों को सारंडा के तर्ज पर विकसित करने की योजना थी। सारी बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने का प्लान तैयार किया गया था। विकास एवं जन कल्याणकारी योजनाओं का रूपरेखा तय कर उसे क्रियान्वयन कराने की दिशा में प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। सड़क, शिक्षा, पेयजल, स्वास्थ्य के अलावा जनकल्याणकारी योजनाओं शत प्रतिशत इन गांवों में उताराना था। विकास एवं जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर प्रथम चरण में उपरोक्त गांवों के सारे प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में रिक्त पड़े शिक्षकों के पदों को भर्ती करना था। पहुंच पथ के लिए पांच सड़कों के निर्माण का रूपरेखा तय किया गया था। मगर हुआ कुछ नहीं।
इन गांवों का हुआ था चयन
कुंदा प्रखंड के मरगडा पंचायत के गारो, पिनजनी, पोटमदोहर, बघौता, कुटील दुर्गी, गेंदरा, तिथीबरगांव एवं मरगडा, बौधाडीह पंचायत के बौधाडीह, विशुनपुर व चाया और सिलदाग पंचायत के फुलवरिया, खुशिला, लुकुला, सिलदाग, मदारपुर, खपिया, बारियातु एवं हेसातु तथा लावालौंग प्रखंड के रिमी पंचायत के टिगदा, हरदीपुर, गारहे, मझडीहा, रामपुर, झरदाग, रिमी, कोटारी एवं मनातू-टिकुलिया गांव शामिल है।
क्या कहते है अधिकारी...चतरा डीआरडीए डायरेक्टर अरुण एक्का का कहना है कि योजना पुरानी है। इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। विकास एवं जनकल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन कराए जा रहे हैं।
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