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CM Soren Interview: झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने दैनिक जागरण से की Exclusive बातचीत, विस्तार से मुद्दों पर की चर्चा

दैनिक जागरण के वरिष्ठ संवाददाता नीरज अम्बष्ठ ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से आइएनडीआइए के चुनाव अभियान से लेकर आनेवाले चुनाव नतीजे पर लंबी बातचीत की। विधानसभा चुनाव में आइएनडीआइए के बड़े स्टार प्रचारक और राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने चुनाव अभियान को लेकर संतुष्ट हैं। गठबंधन दलों पर उनका पूरा भरोसा भी है। दोबारा सरकार बनाने को लेकर वे खुलकर तो नहीं बोलते लेकिन उनको गठबंधन पर भरोसा है।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Sun, 10 Nov 2024 12:40 AM (IST)
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झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने दैनिक जागरण से की Exclusive बातचीत
 जागरण डेस्क। विधानसभा चुनाव में आइएनडीआइए के बड़े स्टार प्रचारक और राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने चुनाव अभियान को लेकर संतुष्ट हैं। गठबंधन दलों पर उनका पूरा भरोसा भी है। दोबारा सरकार बनाने को लेकर वे खुलकर तो नहीं बोलते, लेकिन इतना जरूर कहते हैं कि इस बार विपक्ष गठबंधन के साथ चुनाव लड़ रहा है तो वे भी उनसे किसी तरह कमजोर नहीं हैं।

यह भी कहते हैं कि 23 नवंबर का इंतजार कीजिए, सब सामने आ जाएगा। उन्होंने एनडीए के आक्रामक प्रचार अभियान पर सवाल भी दागा है कि इन्हें महाराष्ट्र से अधिक झारखंड की चिंता क्यों है? उनका इशारा झारखंड के खनिज संपदा पर विपक्ष की नजर होने की ओर था। हेमंत का मानना है कि उनकी सरकार ने पांच वर्षों में जो लकीर खींच दी है, वह एनडीए के लिए बड़ी दीवार साबित होगी।

हेमंत अपने निजी सचिव सुनील श्रीवास्तव के यहां शनिवार को ही पड़े आयकर छापे के सवाल पर कहते हैं कि पहली बार चुनाव के समय इस तरह की कार्रवाई दिख रही है। उनके अनुसार, केंद्र में मोदी सरकार के आने से पहले चुनाव के दौरान इस तरह की घटना विरले ही होती थी। हालांकि वे चुनाव के दौरान राज्य पुलिस की छापेमारी का भी उल्लेख करते हैं। जवाब के रूप में ही सवाल करते हैं कि विरोधियों के यहां इतना पैसा कहां से आया। उनकी सरकार द्वारा रांची को करांची बना देने तथा बांग्लादेशी घुसपैठियों से संबंधित आरोपों पर पहले तो उन्होंने कहा कि विरोधियों के जवाब देने का उन्होंने ठेका नहीं ले रखा है।

बाद में कहा कि ये लोग इतने पढ़-लिख गए हैं कि ये समझते हैं कि गरीब-गुरबा समझेंगे कि वे जो बोल रहे हैं, सही बोल रहे हैं। उन्होंने असम के मुख्यमंत्री हिमंता विस्वा सरमा के आरोपों पर इतना ही कहा कि वे उनकी सरकार गिराने और हटाने का सुपारी ले रखे हैं।

दैनिक जागरण के वरिष्ठ संवाददाता नीरज अम्बष्ठ ने उनसे आइएनडीआइए के चुनाव अभियान से लेकर आनेवाले चुनाव नतीजे पर लंबी बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश:

विधानसभा चुनाव का प्रचार अभियान चरम पर है। पहले चरण की 43 सीटों पर मतदान के लिए दो-तीन दिन ही बच गए हैं। अभी तक आप दोबारा सरकार बनाने को लेकर कितना आश्वस्त हैं?

हम कोई चुनाव सर्वे नहीं कराते, जिससे आपको बता सकें कि हम किस स्थिति में हैं। भाजपा की तरह भविष्य वक्ता भी नहीं हैं कि 400 पार का नारा दे दें। जनता के मूड से आपको पता चल रहा होगा कि 23 नवंबर को क्या नतीजा आनेवाला है। बस समझ लीजिए कि इस बार वे मजबूत होकर चुनाव लड़ रहे हैं तो हम भी उनसे किसी तरह कमजोर नहीं हैं। हम मजबूती के साथ उनको चुनौती देने को तैयार हैं।

सवाल- विपक्ष पूरे चुनाव अभियान में आप पर जमीन, बालू, खनिज लूटने से लेकर झारखंड को झामुमो, कांग्रेस और राजद से सबसे अधिक नुकसान होने के गंभीर आरोप लगा रहे हैं?

जिनके घर शीशे के होते हैं, वे दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंका करते। ये समझते हैं कि शुतुरमुर्ग की तरह अपना चेहरा बचाकर रखेंगे, लेकिन उनकी चोरी पकड़ी गई है। जनता सबकुछ जान चुकी है। इन्हें बताना चाहिए कि धन-कुबेर किसके साथ हैं? क्या हमारे साथ हैं? अरबों डकारनेवाले को ये बाल बांका भी नहीं कर सके और बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं। काला धन वापस लाने के वादे का आखिर क्या हुआ? इसपर कुछ क्यों नहीं बोलते? एक बार अखबारों में छापेमारी की हेडलाइन छपी कि 20-25 लाख रुपये मिले। मुझे हंसी भी आती है। अब तो यह स्थिति हो गई है कि हम घर में 20-25 हजार भी नहीं रख सकते। आखिर क्या कारण है कि इनहें महाराष्ट्र से अधिक झारखंड की चिंता क्यों है? आज ही मीडिया से पता चला है कि हमारे इर्द-गिर्द रहनेवाले (निजी सचिव सुनील श्रीवास्तव) के यहां आयकर छापा पड़ा है। पहली बार यह देखने को मिल रहा है कि चुनाव के समय केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर छापेमारी कराई जा रही है।

गठबंधन के बाद भी छत्तरपुर, धनवार, विश्रामपुर में सहयोगी दलों के उम्मीदवार खड़े हैं। यह दोस्ताना संघर्ष क्यों?

कांग्रेस का चुनाव अभियान उतना असरदार नहीं दिख रहा। कई सीटों पर आपके बागी यहां तक कि आपके करीबी भी विपक्ष के खेमे में चले गए हैं। उसका कितना असर आपके अभियान पर पड़ेगा?

सीटों के बंटवारे को लेकर सभी निर्णय सर्व सहमति से हुआ है। इसमें आइएनडीआइए घटक दलों के बीच कोई टकराव नहीं हुआ है। हम एकजुट होकर चुनाव लड़ रहे हैं। जहां तक कांग्रेस के चुनाव अभियान की बात है तो सभी उंगलियां समान नहीं होती। सभी अपने-अपने ढंग से तैयारी कर रहे हैं और बेहतर कर रहे हैं। बागी के सवाल पर कहेंगे कि वे विपक्ष में स्वयं गए या ले जाए गए, दोनों अलग-अलग चीजें हैं और उनका असर भी अलग-अलग पड़ता है। हमारे अभियान पर इसका क्या असर पड़ेगा, इसे जानने के लिए 23 नवंबर का इंतजार कीजिए।

आपको ममता बनर्जी का चुनाव में कितना सहयोग चुनाव में मिल रहा है? क्या ममता आपके समर्थन में चुनाव प्रचार करने आएंगी?

हमें उनका पूरा सहयोग मिल रहा है। मैंने उन्हें चुनाव प्रचार में आने का आमंत्रण भी दिया है और उन्होंने हमें इसके लिए आश्वस्त भी किया है कि चुनाव प्रचार के लिए वे समय देंगी।

बांग्लादेशी घुसपैठ विपक्ष का सबसे बड़ा मुद्दा है। अमित शाह भी रोटी-माटी-बेटी बचाने का नारा दे गए हैं। रांची को करांची बनाने के आरोप लग रहे हैं। क्या आपको नहीं लगता कि यह राज्य की सबसे बड़ी समस्या है?

इनका षड्यंत्र यहां के लोगों को बांटने का है। लेकिन आप चिंता मत करिए। यहां के लोग बंटेंगे तो नहीं, विपक्ष के लोग चुनाव में जरूर कुटे जाएंगे। ये हर चुनाव में नई शब्दावली लेकर आते हैं। हाल में हुए दूसरे राज्यों के चुनाव मे भी मंगलसूत्र और भैंस जैसी शब्दावली लेकर आए। सच यह है कि ये बुद्धि से शातिर लोग हैं। ये क्या बात करेंगे रोटी-माटी पर? पूरे देश के लोग इतने वेबकूफ नहीं हैं कि ये जो कहें वे सही मान लें। 400 पार के नारे का क्या हुश्र हुआ? ये संख्या इसलिए बढ़ाकर बोल रहे थे कि इतना बोलेंगे तो बहुमत तक पहुंच जाएंगे। नहीं तो ये विपक्ष में बैठने के लायक भी नहीं रहते।

भाजपा इंटरनेट मीडिया पर रेस है। आपकी सरकार पर आरोप पर आरोप लग रहे हैं। आप इसमें पीछे रह जा रहे हैं?

हम बहुत चीजों में इनसे पीछे रह जा रहे हैं। ये न केवल बुद्धि से शातिर हैं, बल्कि संसाधनो से भी भरपूर हैं। इनका भोंपू भी हाई वोल्टेज का है। एम्पलीफायर भी बड़ा है। तकनीक से भी लैस हैं। हम तो आदिवासियों और दलितों के लिए काम करते हैं और अपने संसाधन में ही करते हैं। आदिवासी, दलित, गरीब भी इस चीजों को समझते हैं।

आप युवाओं की प्राथमिकता की बात कर रहे हैं लेकिन झारखंड के युवा नशा के गिरफ्त में आ रहे हैं?

ब्राउन शुगर, ड्रग्स समस्या बन रही है। ये नशीले पदार्थ तो गुजरात के बंदरगाह से ही आते हैं। इनपर न तो ईडी कोई कार्रवाई करता और न ही दूसरी केंद्रीय एजेंसी। ये (भाजपा) जहर बांटनेवाले लोग हैं। इनकी चोरी पकड़ी गई है। जनता इन्हें छोड़नेवाली नहीं है।

आपने 'एक ही नारा, हेमंत दोबारा' का नारा दिया है। यदि आपका नारा हकीकत में बदलता है तो आपकी नई सरकार में झारखंड की क्या दशा होगी?

हम सामाजिक सुरक्षा को ध्यान में रखकर काम करेंगे। युवाओं के लिए अधिक से अधिक रोजगार के अवसर प्रदान करने, महिला सशिक्तकरण, डायन-बिसाही पर रोक हमारी प्राथमिकता होगी। हमने कई नियुक्ति नियमावलियां बनाकर नौकरी के दरवाजे खोल रखे थे। उसमें युवाओं की एंट्री ही होनेवाली थी कि हमारी परीक्षा की घड़ी आ गई। हमने पांच वर्षों में जो लकीर खींच दी है वह एनडीए के लिए बड़ी दीवार साबित होगी।

झारखंड पहला राज्य है जहां के बच्चे उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाते हैं, जहां सर्वजन पेंशन योजना लागू है, जहां कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देय है, मरीजों को एयर एंबुलेंस से दूसरे राज्यों के अस्पताल पहुंचाए जाते हैं। हमें तो अपने कार्यकाल का पूरा समय भी नहीं मिला। चुनाव पहले हो रहा है। आखिर क्या विपत्ति आ गई कि समय से पहले चुनाव कराना पड़ा? मुझे भी इसका जवाब जानने का जिज्ञासा है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ।

भाजपा के सह चुनाव प्रभारी और असम के मुख्यमंत्री हिमंता विस्वा सरमा आपके विरुद्ध लगातार आक्रामक हैं। पहली बार कोई चुनाव प्रभारी इतना आक्रामक दिख रहा है। इसे आप किस रूप में लेते हैं?

इतना समझ लीजिए कि उन्होंने इस सरकार को गिराने-हटाने की सुपारी ले रखी है। मैं एक बार फिर दोहराता हूं कि जिनके घर शीशे के होते हैं...। 23 तारीख को उन्हें पता चल जाएगा कि जनता उनकी झूठी बातों के झांसे में कितना आ पाई है। असम के मुख्यमंत्री 23 नवंबर के बाद यहां नहीं दिखेंगे। ये आरोप लगाते हैं लेकिन महंगाई आसमान छू रही है, जो इन्हें नजर नहीं आता। हम तो महंगाई से चोट खाए लोगों को मरहम लगाने का काम कर रहे हैं।

विधायक के रूप में कल्पना सोरेन के राजनीतिक भविष्य को लेकर आप क्या कहेंगे?

राज्य की जनता ने जन्म दिया है और वही उसका भविष्य वही तय करेगा।

आप चुनाव आयोग पर समय से पहले विधानसभा चुनाव कराने का आरोप लगा रहे हैं। लेकिन पहले आप कहते थे कि केंद्र कभी भी चुनाव करा ले। झारखंड मुक्ति मोर्चा चुनाव के लिए हमेशा तैयार रहता है। लेकिन अब ऐसा आरोप क्यों?

देखिए, चुनाव समय से पहले कौन करा रहा है, इसे समझने की आवश्यकता है। कोई ताकतवर है तो इसका मतलब यह नहीं कि वह किसी को मारता-पीटता रहेगा। इनके समय में तो दीवारों के भी रंग बदल जाते हैं। जनता सब समझ रही है।

भाजपा प्रतियोगिता परीक्षाओं में धांधली का आरोप लगाते हुए परीक्षा रद करने तथा जांच कराने की बात कर रहा है। आपको नहीं लगता कि आरोप सीधे सरकार पर लग रहे हैं?

सबसे अधिक प्रतियोगिता परीक्षाओं में गड़बड़ी तो भाजपा के कार्यकाल में हुई। जांच की कार्रवाई तो सीबीआइ के कार्यालय में धूल फांक रही है? इन्हें जवाब देना चाहिए कि सीबीआइ जांच में कुछ भी निर्णय पर क्यों नहीं आ सका। हमारे कार्यकाल में तो जेपीएससी की कई परीक्षाएं हुुईं और रिकार्ड समय में इसकी प्रक्रिया पूरी हुई। ये तो नियुक्ति नियमावली तक नहीं बना पाए थे। ये क्या युवाओं को नौकरी देने की बात करेंगे?- मंइयां सम्मान योजना पर लोग चुटकी ले रहे हैं कि इससे सास-बहू में झगड़ा हो गया है। बहू को अधिक राशि मिल रही है, जबकि सास को वृद्धा पेंशन कम मिल रहा है। अगर ऐसा है तो केंद्र सरकार झारखंड का बकाया एक लाख 36 हजार करोड़ रुपये दे दे तो हम विधवा और वृद्धा पेंशन की राशि भी बढ़ा देंगे। भाजपा के बड़बोले नेताओं को इसपर भी तो कुछ बोलना चाहिए। यदि हमारा दावा गलत है तो उन्हें इसका भी जवाब देना चाहिए।

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