Hemant Soren: अपने परिवार को क्यों नहीं समय दे पाते हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री ने सुनाई कहानी
Hemant Soren News यूनिसेफ के बाल पत्रकारों संग संवाद में मुख्यमंत्री कहा कि उन्हें पत्नी का भरपूर सपोर्ट मिलता है लेकिन व्यस्तता के कारण परिवार को समय नहीं दे पाते हैं। कहा कि मेरे पिता शिबू सोरेन ही मेरे प्रेरणा स्रोत हैं।
रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Chief Minister Hemant Soren मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन राजनीतिक व्यस्तता के कारण परिवार और बच्चों को समय नहीं दे पाते। बाल दिवस पर यूनिसेफ के बाल पत्रकारों से मुलाकात के दौरान उन्होंने कहा कि 24 में से 20 घंटे काम करता हूं। लोगों को लगता है कि राजनीति में ग्लैमर है, लेकिन उनके मामले में यह एकदम विपरीत है।
सात प्रखंडों के बीस बाल पत्रकारों के सवालों का दिया जवाब
मुख्यमंत्री ने बाल पत्रकारों के विविध विषयों पर पूछे गए सवालों के जवाब दिए। इस कार्यक्रम में रांची जिले के सात प्रखंडों के 20 बाल पत्रकार शामिल हुए। इस मौके पर यूनिसेफ झारखंड की प्रमुख डा. कनीनिका मित्र, यूनिसेफ की संचार विशेषज्ञ आस्था अलंग उपस्थित थीं। इस दौरान मुख्यमंत्री ने सरकार की प्राथमिकताओं के साथ-साथ राजनीति में अपने आने की परिस्थितियों समेत अन्य जिज्ञासाओं का समाधान किया।
हेमंत सोरेन बोले कि संयोगवश मैं राजनीति के क्षेत्र में आ गया
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि संयोग से मैं राजनीतिक क्षेत्र में आया। राज्य की जनता ने आज मुख्यमंत्री बनाया। मेरे पिता शिबू सोरेन मेरे आदर्श हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पढ़ाई लिखाई जीवन में जितनी जरूरी है, उतना ही जरूरी खेल भी है। खेल के क्षेत्र में बच्चे अब अपना करियर के साथ-साथ परिवार और देश-दुनिया में राज्य का नाम भी रोशन कर रहे हैं।
खेल को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने किए कई अहम काम
सरकार ने राज्य में खेल प्रोत्साहन के लिए कई सारे पहल किए हैं। फुटबाल खिलाड़ी अष्टम उरांव का उदाहरण देते हुए कहा कि राज्य में कई बच्चियां हैं जिन्होंने फुटबाल के क्षेत्र में परिवार और राज्य का नाम रोशन किया है। महिला खिलाड़ियों ने हाकी, तीरंदाजी, फुटबाल सहित कई खेल में सीमित संसाधनों के साथ अपने करियर को उड़ान दिया है। अभाव में भी अपने हुनर को आगे बढ़ाया है।
सीएम ने कहा- कुछ खेल को छोड़कर मैंने सब खेल खेला है
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने बचपन में कुछ स्पोर्ट्स को छोड़कर बाकी सब खेल खेले हैं। खेलने के क्रम में कई बार गंभीर चोटें भी लगी हैं। अपनी सफलता में सबसे अधिक अपने माता-पिता का योगदान बताते हुए कहा कि पत्नी का भी सपोर्ट रहा।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कुपोषण झारखंड के लिए चुनौती
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड में सबसे बड़ी चुनौती गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कुपोषण है। हमारी सरकार का प्रयास है कि राज्य में कुपोषण जड़ से समाप्त हो और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराया जा सके। क्वालिटी एजुकेशन को लेकर सरकार निरंतर प्रयासरत है।
शिक्षा में सुधार के लिए सरकार कर रही महत्वपूर्ण काम
राज्य में शिक्षा का नया ढ़ांचा खड़ा किया जा रहा है। अब सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को भी निजी विद्यालयों की तर्ज पर शिक्षा मिल सके, इस निमित्त राज्य सरकार पूरी तैयारी कर रही है। राज्य से कुपोषण को समाप्त करने के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं चलाई जा रही हैं।