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Hemant Soren: निशिकांत दुबे बोल रहे- बरहेट व दुमका में होगा उपचुनाव, इस्तीफे विकल्प है, दैइए दीजिए

Hemant Soren News हेमंत सोरेन की विधायकी को लेकर झारखंड में सियासत तेज हो गई है। झामुमो-कांग्रेस अलर्ट मोड में आ गए हैं। भाजपा को अपनी जीत नजर आती दिख रही है। इस बीच जनता और नेताओं की निगाहें चुनाव आयोग की प्रतीक्षा कर रही हैं।

By M EkhlaqueEdited By: Updated: Fri, 19 Aug 2022 03:18 PM (IST)
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Hemant Soren vs Nishikant Dubey: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे का फाइल फोटो।
रांची, डिजिटल डेस्क। Jharkhand CM Hemant Soren क्या हेमंत सोरेन की विधायकी खत्म हो जाएगी? मुख्यमंत्री पद से उन्हें इस्तीफा देना पड़ेगा? इन दोनों प्रश्नों का उत्तर चुनाव आयोग के फैसले के बाद स्वत: मिल जाएगा। हां, इतना जरूर है कि झामुमो और कांग्रेस सरकार के भविष्य को लेकर पूरी तरह अलर्ट मोड में है। दोनों दलों के विधायकों की साझा बैठक शनिवार को होने जा रही है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इन विधायकों से संवाद करेंगे। इस संवाद से भी झारखंड की सियासी तस्वीर कुछ अधिक साफ हो जाएगी। इस बीच, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने टवीट किया है- झारखंड मुक्ति मोर्चा औरो कांग्रेस दिल्ली- रांची क्यों दौड़ रहा है रे भाई। हम बोले बरहेट, दुमका विधानसभा में उपचुनाव होगा तो हमको कांके भेज रहे थे? अब तो विधानसभा अध्यक्ष को कनाडा जाने से रोक दिए? इस्तीफे विकल्प है, दैइए दीजिए। एक दूसरे टवीट में निशिकांत दुबे कह रहे- सौ सुनार की एक लोहार की। मुख्यमंत्री जी अगस्त पार कर लें।

इसलिए सातवें आसमान पर पहुंच गई है राजनीति

कुल मिलाकर झारखंड में राजनीतिक गतिविधियां काफी तेजी से बदल रही हैं। आने वाले दिनों में झारखंड की राजनीति में क्या बदलाव होने जा रहा है, इसके बारे में लोग तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं। यह कयास इसलिए लगाया जा रहा क्योंकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता पर चुनाव आयोग का अहम फैसला आने वाला है। उनके खिलाफ विभागीय मंत्री होते हुए अपने नाम से पत्थर खनिज का लीज लेने का आरोप है। उनके खिलाफ भारतीय जनता पार्टी ने शिकायत की थी। इस शिकायत के बाद मामला राज्यपाल से होते हुए चुनाव आयोग के कार्यालय तक पहुंचा। लगातार कई दिनों तक इस मामले में चुनाव आयोग ने सुनवाई की। हेमंत सोरेन के अलावा भारतीय जनता पार्टी का पक्ष सुना गया। मामले में दोनों पक्षों ने चुनाव आयोग के समक्ष अपनी-अपनी बात कही। अपने तर्क दिए। भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को विधानसभा सदस्यता से त्यागपत्र दे देना चाहिए, क्योंकि उन्होंने जनप्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन किया है। हेमंत सोरेन के अधिवक्ताओं का कहना है कि जनप्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन नहीं हुआ हे। यह राजनीतिक साजिश है। दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद चुनाव आयोग अब फैसला सुनाने वाला है। तारीख की घोषणा अभी शेष है। यही मूल वजह है जिसके कारण झारखंड के राजनीति अचानक सातवें आसमान पर पहुंच गई है।

शनिवार को विधायकों की बैठक में साफ होगी तस्वीर

झारखंड मुक्ति मोर्चा व हेमंत सोरेन को इस बात की आशंका है कि फैसला उनके खिलाफ भी आ सकता है। शायद इसी वजह से उन्होंने अपने तमाम झामुमो और कांग्रेस विधायकों को रांची से बाहर नहीं जाने की सख्त हिदायत दे दी है। ऐसी परिस्थितियों में अहम भूमिका निभाने वाले विधानसभा अध्यक्ष भी अलर्ट मोड में हैं। चुनाव आयोग के फैसले के बाद अगर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इस्तीफा देने की नौबत आती है तो वह अपनी जगह किसी व्यक्ति को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन कर सकते हैं। संभवत: उन्होंने नाम भी तय कर लिया हो। संभावना जताई जा रही कि शनिवार की बैठक में इस पर चर्चा हो सकती है। इस बैठक के पश्चात झारखंड की राजनीति की तस्वीर और भी साफ हो जाएगी।

हेमंत और बसंत के खिलाफ भाजपा ने की है शिकायत

उधर, भारतीय जनता पार्टी को इस बात का पूर्ण विश्वास है कि हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता समाप्त हो सकती है। इतना ही नहीं उनके भाई विधायक बसंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता भी समाप्त हो सकती है। भाजपा ने बसंत सोरेन के खिलाफ भी चुनाव आयोग में शिकायत कर रखी है। उसकी भी सुनवाई चल रही है। पहले हेमंत सोरेन के संबंध में फैसला आएगा, इसके बाद बसंत सोरेन के बारे में। भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे की भविष्यवाणी सही साबित होती रही है। इसबार देखना दिलचस्प होगा कि बरहेट और दुमका में विधानसभा उपचुनाव होता है या नहीं। सांसद का यह इशारा भी साफ है कि हेमंत सोरेन अगस्त तक मेहमान हैं। खैर, सांसद के दावे जो भी हों, यह यह सबकुछ चुनाव आयोग के फैसले पर निर्भर करता है।

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे का टवीट पढ़िए:-

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