Jharkhand Election: न मान-मनौव्वल न रोक-टोक... एक के बाद एक बगावत करते गए कांग्रेस के कई दिग्गज नेता, लंबी है लिस्ट
Jharkhand Assembly Election 2024 झारखंड कांग्रेस में इस्तीफों और बागी उम्मीदवारों की भरमार ने पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। कई पूर्व पदाधिकारी और टिकट से वंचित नेता निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं जिससे सहयोगी दलों के लिए भी चुनौती खड़ी हो गई है। कांग्रेस इन बागियों को मनाने के लिए कोई प्रयास नहीं कर रही है जिससे उनका हौसला बढ़ रहा है।
आशीष झा, रांची। झारखंड कांग्रेस में इन दिनों अलग ही खेल चल रहा है। पार्टी के एक पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष मानस सिन्हा ने इस्तीफा देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली तो कइयों को इस कर्तव्य की भी परवाह नहीं है और वे बिना इस्तीफा दिए दूसरे दलों के लिए अथवा स्वयं के लिए काम कर रहे हैं। ऐसे एक-दो नहीं दर्जन भर से अधिक नेता हैं, जिन्हें पार्टी ने विभिन्न पदों पर रखा।
पूर्व में टिकट देकर चुनाव में उतारा भी और इस बार मौका नहीं मिलने से नाराज हो गए हैं। दूसरे दलों में भी इस प्रकार की गतिविधियां चल रही हैं लेकिन नाराजगी दूर करने के लिए अनवरत प्रयास भी हो रहे हैं।
स्वयं मुख्यमंत्री ने भी नाराज नेताओं को मनाने का काम किया है तो, भाजपा ने एक मुख्यमंत्री और एक पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में केंद्रीय मंत्री को पूरे दिन यही काम करने को छोड़ दिया है। तस्वीरें झारखंड के कोने-कोने से आ रही हैं कि कैसे नेताओं को मनाया जा रहा है। लेकिन, झारखंड में कांग्रेस को अपने यहां से जाने वाले नेताओं से कोई लेना-देना नहीं लग रहा है।
मानस सिन्हा की शृंखला में और भी नाम हो सकते हैं। विशुनपुर से कांग्रेस पार्टी के लिए चुनाव लड़ चुके शिवकुमार भगत इस बार निर्दलीय मैदान में उतर गए हैं।
मनिका से लातेहार के जिलाध्यक्ष मुनेश्वर उरांव, सिसई से प्रदेश कांग्रेस में सचिव रहे रोशन बरवा, तोरपा से पूर्व में चुनाव लड़ चुके पुनीत हेम्ब्रम, खिजरी से पूर्व विधायक स्व. सावना लकड़ा के नाती जितिन टोप्पो आदि ऐसे दर्जनों नाम चुनावी रणक्षेत्र में उभरने लगे हैं, जिससे कांग्रेस भले ही परेशान ना हो, सहयोगी दलों के लिए मुसीबत बढ़ती जा रही है।
अधिसंख्य मामलों में झामुमो और राजद के लिए कांग्रेस के बागी मुसीबत बनते जा रहे हैं। लेकिन कांग्रेस उन्हें मनाने के लिए कोई प्रयास करती नहीं दिख रही है।
ऐसे में बागी उम्मीदवारों का हौसला भी बढ़ रहा है। पार्टी के दो दर्जन से अधिक नेताओं ने अपने और सहयोगी दलों के उम्मीदवारों के खिलाफ नामांकन कर दिया है।
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