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    झारखंड में शुरू होगी डीपीएसई की पढ़ाई, सिलेबस को मिली मंजूरी; सचिव ने जारी किया नोटिफिकेशन

    Updated: Fri, 19 Sep 2025 02:20 PM (IST)

    झारखंड में डिप्लोमा इन प्री स्कूल एजुकेशन (डीपीएसई) शुरू होगा जिसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत डीपीईसीई के नाम से भी जाना जाएगा। स्कूली शिक्षा विभाग ने करिकुलम को मंजूरी दे दी है। 12वीं के बाद नामांकन होगा और यह कोर्स नर्सरी केजी और आंगनबाड़ी में शिक्षक बनने के लिए है। गढ़वा में एकमात्र संस्थान है अन्य संस्थान भी जल्द शुरू कर सकेंगे।

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    झारखंड में शुरू होगी डीपीएसई की पढ़ाई, सिलेबस को मिली मंजूरी

    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में भी डिप्लोमा इन प्री स्कूल एजुकेशन (डीपीएसई) की पढ़ाई शुरू होगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत यह पाठ्यक्रम प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा में डिप्लोमा (डीपीईसीई) के नाम से भी जाना जाएगा। यह दो वर्षीय पूर्णकालिक प्रोफेशनल डिप्लोमा पाठ्यक्रम है, जो प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा क्षेत्र के लिए शिक्षक-प्रशिक्षुओं को तैयार करने के लिए डिजाइन किया गया है।

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    स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने झारखंड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा तैयार इस कोर्स के करिकुलम को मंजूरी प्रदान कर दी है।

    विभाग के सचिव उमाशंकर सिंह ने करिकुलम को स्वीकृति देते हुए प्राथमिक शिक्षा निदेशक को अधिसूचना जारी कर संस्थानों को संबद्धता प्रदान करने तथा झारखंड एकेडमिक काउंसिल को परीक्षा आयोजित करने से संबंधित आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

    इस पाठ्यक्रम के लिए परीक्षा प्राधिकारी के रूप में झारखंड एकेडमिक काउंसिल को नामित किया गया है। संस्थानों को संबद्धता प्राथमिक शिक्षा निदेशालय द्वारा प्रदान की जाएगी। साथ ही एनसीटीई से मान्यता लेना अनिवार्य होगा। इस पाठ्यक्रम में नामांकन 12वीं कक्षा के बाद होगा।

    इसमें नेशनल क्रेडिट फ्रेवमर्क के अनुसार कई क्रेडिट होंगे, जिनका उल्लेख भी करिकुलम में किया गया है। इस पाठ्यक्रम को पूरा करने के बाद प्री स्कूल एजुकेशन जैसे नर्सरी, केजी या सरकारी स्कूलों में बाल वाटिका तथा आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए शिक्षक नियुक्त हो सकेंगे।

    राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत इन कक्षाओं के लिए शिक्षकों के पद सृजन किए जाने हैं। करिकुलम तैयार करने में अपनी भूमिका निभाने वाले

    जेसीईआरटी के स्टेट रिसोर्स पर्सन मणिलाल साहू के अनुसार, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा पर जोर दिया गया है। इसे ध्यान में रखकर ही एनसीईआरटी के निर्देश पर इस कोर्स को तैयार किया गया है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से मान्यता प्राप्त किसी भी संस्थान में इस डिप्लोमा पाठ्यक्रम में अधिकतम 50 सीटों पर नामांकन होगा।

    झारखंड में एक ही संस्थान, नहीं हो पा रही थी परीक्षा

    झारखंड में यह कोर्स संचालित करनेवाला एकमात्र संस्थान गढ़वा में है, जिसे एनसीटीई से मान्यता मिली है। अब उक्त संस्थान को प्राथमिक शिक्षा निदेशालय से भी संबद्धता लेनी होगी। निदेशालय द्वारा अधिसूचना जारी होते ही अन्य संस्थान भी इस पाठ्यक्रम को शुरू कर सकेंगे। साथ ही सभी संस्थानों के लिए जैक परीक्षा आयोजित कर सकेगा।