नहीं रहे झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो, चेन्नई में ली अंतिम सांस, हेमंत सोरेन ने दी जानकारी
झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो का आज सुबह निधन हो गया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसकी जानकारी दी है। उनका चेन्नई में इलाज चल रहा था और यहीं उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे।
By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Sat, 08 Apr 2023 09:26 AM (IST)
जासं, रांची। झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो का आज सुबह निधन हो गया है। उन्होंने चेन्नई में इलाज के दौरान अंतिम सांस ली। गौरतलब है कि उनकी तबीयत पिछले कुछ समय से खराब चल रही थी। बीते महीने एक रात जब उनकी हालत कुछ ज्यादा बिगड़ गई, तो सबसे पहले मंत्री को रांची के पारस हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। फिर बेहतर इलाज के लिए एयर एम्बुलेंस के जरिए चेन्नई के एमजीएम अस्पताल में ले जाया गया। यहीं उनका ट्रीटमेंट चल रहा था। आज अपराह्न दो बजे उनके पार्थिव को रांची एयरपोर्ट पर लाया जाएगा।
अपूरणीय क्षति!
हमारे टाइगर जगरनाथ दा नहीं रहे!
आज झारखण्ड ने अपना एक महान आंदोलनकारी, जुझारू, कर्मठ और जनप्रिय नेता खो दिया। चेन्नई में इलाज के दौरान आदरणीय जगरनाथ महतो जी का निधन हो गया।
परमात्मा दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान कर शोकाकुल परिवार को दुःख की यह विकट घड़ी सहन करने की…
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) April 6, 2023
कोरोना से संक्रमित होने के बाद बिगड़ी तबीयत
बता दें कि रांची के पारस हॉस्पिटल में जब उन्हें एडमिट किया गया था, तब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अस्पताल जाकर उनसे मुलाकात की थी और चेन्नई ले जाकर जांच कराने की सलाह भी दी थी। इस दौरान उन्होंने जगरनाथ महतो को टाइगर बताते हुए उनके जल्दी ठीक होने की कामना की थी। दो साल पहले कोरोना महामारी से संक्रमित होने के बाद उनके फेफड़ों में संक्रमण हो गया था। इस दौरान चेन्नई एमजीएम में ही उनके लंग्स का ट्रांसप्लांटेशन हुआ था और अब फॉलो अप के लिए उन्हें वहीं भेजा गया था। इससे पहले अक्टूबर, 2018 में उन्हें हार्ट अटैक आया था। उनकी एक बार एनजीओप्लास्टी भी हो चुकी है।
टाइगर के नाम से थे मशहूर
जगरनाथ महतो गिरिडीह जिले के डुमरी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते थे, उनकी गिनती झारखंड मुक्ति मोर्चा के कद्दावर नेताओं में होती थी। वह डुमरी विधानसभा से निर्वाचित काफी लोकप्रिय विधायक थे। क्षेत्र में वह टाइगर के नाम से जाने जाते थे। उनके पास उत्पाद विभाग का भी अतिरिक्त प्रभार था। शिक्षा मंत्री के रूप में 65 हजार पारा शिक्षकों के स्थायीकरण के लिए सेवाशर्त नियमावली लागू करना इनकी बड़ी उपलब्धि मानी जा रही थी।
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