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Jharkhand Election 2024: झारखंड में किसकी बनेगी सरकार, आदिवासी बेल्ट की ये 28 सीटें करेंगी फैसला

झारखंड की 81 विधानसभा सीटों में 28 सीटें आदिवासी सुरक्षित सीटें हैं वहीं 9 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। वहीं 44 सीटों पर सामान्य वर्ग के उम्मीदवार चुनाव लड़ते हैं। आदिवासी आरक्षित सीटों की झारखंड की राजनीति में अहम भूमिका मानी जाती है। जो राजनीतिक दल इनमें ज्यादा सीट जीतता है उसकी सरकार बनने की संभावना भी उतनी ही ज्यादा होती है।

By Divya Agnihotri Edited By: Divya Agnihotri Updated: Sat, 09 Nov 2024 02:30 PM (IST)
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झारखंड में 28 ST आरक्षित सीटों की सरकार बनाने में अहम भूमिका
चुनाव डेस्क, जागरण, रांची। झारखंड की 81 विधानसभा सीटों में दो चरणों में वोटिंग होनी है। पहले चरण में 13 नवंबर को 43 सीटों पर वोटिंग होगी तो वहीं दूसरे चरण में 38 सीटों पर मतदान होगा। वहीं 23 नवंबर को चुनाव के नतीजे जारी होंगे। झारखंड की राजनीति में किसी भी दल या गठबंधन को सत्ता तक पहुंचाने में आदिवासी सुरक्षित सीटें अहम भूमिका निभाते हैं। वहीं अन्य सीटों पर भी इनका प्रभाव माना जाता है। इस बार के चुनाव में भी एसटी के लिए आरक्षित 28 सीटों में जो भी पार्टी ज्यादा सीट जीतेगी,उसके लिए सत्ता की राह आसान हो जाएगी।

आदिवासी सुरक्षित सीटें निभाती हैं जीत में अहम भूमिका

  • राज्य की 81 विधानसभा सीटों में 28 आदिवासी सुरक्षित सीटें हैं।
  • 9 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं।
  • बाकी 44 सीटों पर सामान्य वर्ग के उम्मीदवार चुनाव लड़ते हैं।
  • किसी भी पार्टी के लिए इन सीटों पर जीत हासिल करना सत्ता के रास्ते को आसान बना देता है।

2019 चुनाव में झामुमो का ST आरक्षित सीटों में बेहतर प्रदर्शन

2019 के विधानसभा चुनाव में आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटों पर झामुमो ने अच्छा प्रदर्शन किया था, जबकि भाजपा उन सीटों पर पिछड़ गई थी। वर्तमान में 28 सुरक्षित सीटों में 19 एसटी सीटों पर झामुमो का कब्जा है. आइएनडीआइए के पास इस कोटे की कुल 26 सीटे हैं। केवल दो सीटें भाजपा के खाते में हैं। इन्हीं सीटों की बदौलत 2019 चुनाव में झामुमो छलांग लगाकर सीधे 30 के आंकड़े तक पहुंच गया।

आदिवासियों को साधने में जुटे नेता

इस बार के चुनाव में भी झामुमो-कांग्रेस गठबंधन इन सीटों पर पूरा जोर लगाए हुए हैं। दूसरी तरफ पांच साल से प्रदेश की सत्ता से दूर भाजपा भी आदिवासियों को साधने में जुटी है। बीजेपी के बड़े नेता लगातार आदिवासी क्षेत्रों के दौरे कर रहे हैं।

बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा

इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे को लेकर झामुमो पर हमलावर है। पार्टी के दिग्गज नेता लगातार इस मुद्दे को लेकर सीएम सोरेन पर निशाना साध रहे हैं। वहीं पार्टी के नेता आदिवासियों को समझा रहे हैं कि कैसे बांग्लादेशी घुसपैठिए उनकी जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं।

इतना ही नहीं पार्टी मतांतरण के मुद्दे को लेकर भी लोगों के बीच जा रही है। आदिवासियों को साधने के लिए 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता नीति और सरना धर्म कोड जैसे मुद्दे सभी दलों की प्राथमिकता में हैं। ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि आगामी चुनाव में जनता किस पार्टी पर भरोसा जताती है।

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