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Jharkhand Election 2024: चुनाव से पहले 'प्लस' और 'मानइस' का खेल, भाजपा को भी बनना पड़ेगा 'खतरों की खिलाड़ी'

Jharkhand Election 2024 झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 से पहले राज्य में राजनीतिक दलों में उठापटक तेज हो गई है। कई दलों के नेता भाजपा में शामिल हो रहे हैं जिससे पार्टी के मौजूदा नेताओं और कार्यकर्ताओं में नाराजगी बढ़ रही है। भाजपा को देखना होगा कि कैसे सबको समायोजित करे। साथ ही भाजपा को अपने गठबंधन सहयोगी जदयू के साथ सीटों के बंटवारे को लेकर भी फैसला लेना है।

By Pradeep singh Edited By: Yogesh Sahu Updated: Fri, 04 Oct 2024 01:31 PM (IST)
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Jharkhand Election: चुनाव से पहले भाजपा भी झेलेगी चुनौतियां।

राज्य ब्यूरो, रांची। राज्य में विधानसभा चुनाव को देखते हुए राजनीतिक दलों में विरोधी को परास्त करने के लिए बैठकों, रैलियों व घोषणाओं के साथ ही उठापटक और कूदफांद भी चल रही है। ऐसे में एक दल को छोड़कर दूसरे दलों में जाने वाले नेताओं की संख्या भी बढ़ गई है।

सबसे ज्यादा नेता फिलहाल भाजपा की ओर रुख कर रहे हैं। हालांकि, इससे भाजपा के सामने भी एक मुश्किल आकर खड़ी हो गई है। चुनाव से पहले अन्य दलों से प्रभावी नेताओं के आने का क्रम जारी है।

इनके लिए सीटें सुरक्षित होने से पार्टी में पहले से सक्रिय नेताओं और कार्यकर्ताओं में नाराजगी बढ़ रही है। पलामू में यह सामने भी आया। हुसैनाबाद के एनसीपी विधायक कमलेश कुमार सिंह भाजपा में शामिल होने वाले हैं।

हिमंत बिस्वा सरमा की दो टूक

इससे पूर्व से वहां सक्रिय नेताओं ने विरोध में संगठन पर दबाव बनाया। इस्तीफे की धमकी तक दी गई। नेताओं के साथ-साथ उनके समर्थकों के आने से स्थानीय स्तर पर राजनीति भी बड़े पैमाने पर प्रभावित होती है।

अन्य क्षेत्रों से भी इससे संबंधित शिकायतें पार्टी के प्रदेश नेतृत्व को मिल रही है। संभवत: ऐसी ही परिस्थिति से निपटने के लिए कुछ दिन पूर्व पार्टी के चुनाव सह प्रभारी हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि आने वालों की सूची अधिक है, लेकिन पार्टी विचार करने के बाद ही इस पर निर्णय करेगी।

भाजपा गठबंधन के मोर्चे पर भी दिक्कत

भाजपा की यही दिक्कत गठबंधन के मोर्चे पर भी है। पार्टी ने जदयू के साथ तालमेल किया है। इस तालमेल से जो सीटें निकल रही हैं, उसपर भाजपा के प्रत्याशी चुनाव लड़ते रहे हैं। सीट जदयू के पाले में जाने का नुकसान दल को उठाना पड़ सकता है।

जदयू का संगठनात्मक ढांचा मजबूत नहीं है। ऐसे में उसकी अधिकाधिक निर्भरता भाजपा पर होगी। अन्य दल के पाले में सीट जाने से पार्टी के कार्यकर्ता शिथिल भी हो सकते हैं। भाजपा के प्रदेश नेतृत्व को इसका अहसास है।

एक वरीय पदाधिकारी ने कहा कि तालमेल के तहत चुनाव लड़ने के अपने फायदे-नुकसान हैं। गठबंधन का निर्णय शीर्ष नेतृत्व के जिम्मे हैं। केंद्रीय नेतृत्व से निर्देश प्राप्त होने के बाद कार्यकर्ताओं से बेहतर समन्वय का प्रयास किया जाएगा।

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