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Jharkhand Election: एनडीए गठबंधन में आधा दर्जन सीटों पर फंसा पेच, नीतीश कुमार और चिराग को बड़ी उम्मीदें

झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand Election 2024) के मद्देनजर एनडीए गठबंधन में सीटों को लेकर नया पेच फंसता दिख रहा है। विधानसभा की आधा दर्जन सीटों पर खेल हो सकता है। आजसू के साथ-साथ जदयू लोजपा (आर) और एनसीपी भी गठबंधन के प्रयास में है। सभी दलों का प्रयास है कि जितनी भी सीटें मिले चुनाव एनडीए फोल्डर के तहत ही लड़ा जाए।

By Neeraj Ambastha Edited By: Rajat Mourya Updated: Mon, 16 Sep 2024 03:10 PM (IST)
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चिराग पासवान, जेपी नड्डा और नीतीश कुमार। फाइल फोटो

नीरज अम्बष्ठ, रांची। झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand Election 2024) में जहां आजसू पार्टी के साथ भाजपा का गठबंधन लगभग तय है, वहीं जदयू, लोजपा (आर) तथा एनीसीपी (अजित पवार गुट) ने भी एनडीए गठबंधन के तहत चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। सभी दलों का प्रयास है कि जितनी भी सीटें मिले, चुनाव एनडीए फोल्डर के तहत ही लड़ा जाए।

हालांकि, चारों दलों के गठबंधन में विधानसभा की आधा दर्जन सीटें पेच फंसा रही हैं। इन सीटों पर गठबंधन में सम्मिलित होनेवाले दो या इससे अधिक दल चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।

गांडेय विधानसभा सीट

हाल ही में गांडेय विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी भाजपा-आजसू के गठबंधन में पेंच फंस गया था। आजसू यहां से अपने नेता अर्जुन बैठा को प्रत्याशी बनाना चाहती थी, जबकि भाजपा ने बिना कोई बातचीत के दिलीप वर्मा को चुनाव मैदान में उतार दिया। बाद में अर्जुन बैठा निर्दलीय चुनाव में उतर गए और दोनों की हार हो गई।

अब भाजपा में जयप्रकाश वर्मा की वापसी हो गई है, जो वर्ष 2019 के उपचुनाव में भाजपा से सीट नहीं मिलने पर झामुमो में चले गए थे। ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि गांडेय से जयप्रकाश वर्मा ही भाजपा के प्रत्याशी होंगे। आजसू को इस बार भी यह सीट नहीं मिल पाएगी।

मांडू विधानसभा सीट

इधर, जदयू प्रदेश कार्यसमिति ने जिन सीटों पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव पारित कर पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व को सौंपा है, उनमें मांडू प्रमुख है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो इस सीट से अपने बेटे दुष्यंत पटेल को चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रहे हैं। दूसरी तरफ, इस सीट पर आजसू की भी दावेदारी है। पार्टी यहां से तिवारी महतो को प्रत्याशी बनाना चाहती है। इसी तरह, चंदनक्यारी सीट को लेकर भी बड़ा पेंच है।

भाजपा नेता तथा नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी की यह सीटिंग सीट है तथा वे यहां से वर्ष 2014 से ही चुनाव जीत रहे हैं। ऐसे में यह सीट आजसू को मिलना संभव नहीं लग रहा है। दूसरी तरफ, उनके प्रतिद्वंदी रहे आजसू के केंद्रीय महासचिव सह पूर्व मंत्री उमाकांत रजक इस बार भी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। अमर बाउरी किसी और सीट से चुनाव लड़ें, यह भी संभव नहीं लग रहा है।

हुसैनाबाद विधानसभा सीट

एक अन्य सीट हुसैनाबाद है, जहां से आजसू पार्टी पूर्व विधायक शिवपूजन मेहता को उम्मीदवार बनाना चाहती है। कभी बसपा के विधायक रह शिवपूजन मेहता पिछले विधानसभा चुनाव में ही आजसू में सम्मिलित होकर एनसीपी के प्रत्याशी रहे कमलेश सिंह के विरुद्ध चुनाव लड़े थे। कमलेश सिंह से वे चुनाव हार गए थे। एनसीपी के एनडीए फोल्डर के तहत चुनाव लड़ने पर यह सीट उन्हें मिलना तय है। चर्चा है कि इस सीट से कमलेश सिंह इस बार अपने बेटे सूर्या सिंह को चुनाव मैदान में उतारना चाहते हैं।

छतरपुर विधानसभा सीट

एक अन्य सीट छतरपुर है जिसपर भी गठबंधन में जिच हो सकती है। जदयू इस सीट पर पूर्व मंत्री सुधा चौधरी को चुनाव मैदान में उतारना चाहता है, जबकि यह भाजपा की सीटिंग सीट है। बताया जाता है कि पूर्व मंत्री राधाकृष्ण किशोर भी जदयू के रास्ते इस सीट पर चुनाव लड़ने के प्रयास में हैं। इधर, आजसू के साथ गठबंधन में जिन सीटों को लेकर पेंच फंस सकता है उनमें लोहरदगा और जुगसलाई भी सम्मिलित है। वर्ष 2019 में लोहरदगा सीट को लेकर ही तालमेल नहीं हो पाया था।

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