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Jharkhand Election: लुइस मरांडी का 'खेल' BJP को करेगा 'फेल'? झारखंड में बैकफुट पर दिख रही भाजपा

झारखंड चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। पूर्व मंत्री लुइस मरांडी समेत कई नेताओं ने पार्टी छोड़कर झामुमो का दामन थाम लिया है। इससे संताल परगना में बीजेपी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। लुइस मरांडी ने 2014 में दुमका सीट से जीत हासिल की थी। उनके पार्टी छोड़ने से बीजेपी को इस महत्वपूर्ण प्रमंडल में नुकसान हो सकता है।

By Pradeep singh Edited By: Rajat Mourya Updated: Tue, 22 Oct 2024 07:13 PM (IST)
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हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन के साथ लुइस मरांडी। फोटो- फेसबुक
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में भारतीय जनता पार्टी को सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने जोर का झटका दिया है। रघुवर सरकार में मंत्री रहीं लुइस मरांडी समेत आधा दर्जन भाजपा नेताओं व पूर्व विधायकों के झामुमो में चले जाने से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। लुइस मरांडी प्रदेश भाजपा की उपाध्यक्ष थीं। उनके दल बदलने से संताल परगना में काफी प्रभाव पड़ेगा, जहां भाजपा इस चुनाव में वापसी की कोशिश कर रही है।

लुइस मरांडी ने झामुमो की परंपरागत दुमका सीट पर कड़ी चुनौती पेश की थी। उन्होंने 2014 के विधानसभा चुनाव में कामयाबी पाई। लुइस के पार्टी बदलने से भाजपा इस महत्वपूर्ण प्रमंडल में फिलहाल बैकफुट पर दिख रही है। बताया गया कि संताल परगना में भाजपा के कुछ और प्रभावी नेता झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल होने की कतार में हैं। शीर्ष नेतृत्व उनके आवेदन पर मंथन कर रहा है।

शिबू सोरेन का पांव छूकर आशीर्वाद लेने पहुंचीं लुइस मरांडी।

लुइस के साथ-साथ वैसे कई नेताओं ने झामुमो का दामन थामा, जो आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को नुकसान पहुंचाने का माद्दा रख सकते हैं। झामुमो की एक कोशिश यह भी होगी कि इन नेताओं को आगे कर भाजपा के खिलाफ हथियार बनाया जाए।

उल्लेखनीय है कि यही प्रयोग भाजपा भी करती रही है। झामुमो से आने वाले चंपई सोरेन जहां लगातार भाजपा की नीतियों की सराहना करते हुए झामुमो को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं, वहीं सीता सोरेन भी झामुमो पर प्रहार करने का कोई मौका नहीं चूकती। ठीक ऐसी ही रणनीति पर मोर्चा काम करेगी, जिससे भाजपा के वैसे मुद्दों की धार कुंद हो सके जो चुनाव के दौरान उछाले जा रहे हैं।

इन प्रभावी नेताओं की आड़ में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने यह भी संदेश देने की कोशिश की है कि भारतीय जनता पार्टी में निष्ठावान कार्यकर्ताओं की पूछ नहीं है और दूसरे दलों से आए नेता तेजी से कब्जा जमा रहे हैं।

स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश में लगे रणनीतिकार

कई नेताओं के एक साथ दल छोड़ने के बाद भाजपा के रणनीतिकार स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश में लगे हैं। दरअसल 66 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा के बाद कई स्तर पर विरोध सामने आ रहा है। उसी का प्रतिफल है कि टिकट की आस खो चुके नेता दल बदल रहे हैं। लुइस मरांडी की नजर दुमका विधानसभा सीट पर थी। वहां से उन्हें मौका नहीं मिला। लक्ष्मण टुडू घाटशिला से टिकट की कतार में थे। गणेश महली सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से चम्पाई सोरेन के विरुद्ध चुनाव लड़ते रहे हैं।

चंपई के भाजपा में शामिल होने के बाद उनके लिए कोई संभावना नहीं बची थी। ऐसे में इन नेताओं ने झामुमो का दामन थाम लिया। हालांकि, डैमेज कंट्रोल के तहत कुछ नेताओं को रोकने में भी कामयाबी मिली है। इसमें पोटका की पूर्व विधायक मेनका सरदार प्रमुख हैं। पोटका से पूर्व केंद्रीयमंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा चुनाव लड़ रहीं हैं। मेनका सरदार ने पहले इसका विरोध किया, लेकिन जब उन्हें मनाने की कवायद तेज हुई तो उन्होंने दल छोड़ने का इरादा त्याग दिया।

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