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Jharkhand Election Result 2024: BJP को आदिवासियों ने दिया झटका! सीता-गीता का पाला बदलना भी नहीं आया काम

लोकसभा चुनाव (Jharkhand Election Result 2024) के परिणाम ने राष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ झारखंड में भी आईएनडीआईए गठबंधन का मनोबल बढ़ाया है। सभी 14 सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित कर आगे बढ़ी राजग को इससे झटका लगा है। यह इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि झारखंड की सभी पांच आदिवासी सुरक्षित सीटों पर आईएनडीआईए के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की।

By Pradeep singh Edited By: Mohit Tripathi Updated: Tue, 04 Jun 2024 10:55 PM (IST)
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भाजपा को प्रत्याशियों का चेहरा बदलना भी काम नहीं आया।

प्रदीप सिंह, रांची। लोकसभा चुनाव के परिणाम (Jharkhand Election Result Latest Update) ने राष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ झारखंड में भी आईएनडीआईए गठबंधन का मनोबल बढ़ाया है। सभी 14 सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित कर आगे बढ़ी राजग को इससे झटका लगा है। यह इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि झारखंड की सभी पांच आदिवासी सुरक्षित सीटों पर आईएनडीआईए के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की।

जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा को भी खूंटी से हार का सामना करना पड़ा। इसे जनजातीय क्षेत्रों में भाजपा की रणनीतिक हार के तौर पर भी देखा जा रहा है, क्योंकि आदिवासी सुरक्षित क्षेत्रों को ध्यान में रखकर जहां योजनाएं संचालित की गई, वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत अन्य प्रमुख स्टार प्रचारकों ने भी इन इलाकों में ध्यान केंद्रित किया।

पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले राजग को राज्य में तीन सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है। आदिवासी सुरक्षित सीटों पर चेहरा बदलना भी कारगर नहीं हुआ।

भाजपा ने लोहरदगा से पूर्व केंद्रीय मंत्री सुदर्शन भगत को हटाकर पूर्व राज्यसभा सदस्य समीर उरांव को चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन यह रणनीति कारगर नहीं हुई। उन्हें कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत ने पराजित कर दिया। अब राजग को जनजातीय इलाकों में पैठ बनाने के लिए नए सिरे से रणनीति बनानी होगी।

आइएनडीआइए गठबंधन ने आरक्षण, सरना धर्म कोड और स्थानीयता का मुद्दा उठाकर इन क्षेत्रों में पैठ बनाई। इसके अलावा, हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को लेकर पैदा हुई सहानुभूति भी इन क्षेत्रों में वोटों में तब्दील हुई, जिसका सीधा असर चुनाव परिणाम पर पड़ा।

राज्य में लोकसभा चुनाव का परिणाम आइएनडीआइए को भी मजबूती प्रदान करेगा। इस वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में गठबंधन के घटक दल बेहतर तारतम्य बनाकर चुनाव लड़ेंगे।

सीता-गीता का पाला बदलना भी नहीं हुआ कारगर

चुनाव के पूर्व झामुमो को झटका देते हुए पार्टी प्रमुख शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन भाजपा में चलीं गई। उनके जरिए भाजपा ने झामुमो को घेरने की कोशिश की। यह रणनीति कारगर नहीं हुई। सीता सोरेन को झामुमो की परंपरागत सीट दुमका से हार का सामना करना पड़ा।

दुमका से दावेदारी कर वह स्वयं को शिबू सोरेन का उत्तराधिकारी साबित करने की कोशिश में थीं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। उधर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुईं गीता कोड़ा को भी हार का सामना करना पड़ा।

कल्पना सोरेन की जीत, विधानसभा चुनाव पर भी असर

लोकसभा चुनाव के साथ-साथ राज्य में गांडेय विधानसभा उपचुनाव के परिणाम पर भी सबकी नजर थी। हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने यहां से भाजपा प्रत्याशी को हराकर जीत हासिल की।

काफी कम समय में राज्य के राजनीतिक फलक पर कल्पना सोरेन प्रभावी तौर पर उभरकर सामने आईं। इससे आने वाले दिनों में उनकी भूमिका व जिम्मेदारी और बढ़ेगी।

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