Jharkhand Chunav: महागठबंधन में सीट शेयरिंग पर हलचल तेज, इस पार्टी ने रखी बड़ी डिमांड; क्या करेंगे हेमंत?
झारखंड विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर भाकपा माले तनाव बढ़ाने जा रही है। पार्टी की 24 और 25 सितंबर को होने वाली बैठक में सीटों की दावेदारी पर फैसला लिया जाएगा। भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने महागठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का संकेत दिया है। उन्होंने भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर चुनाव लड़ने का आह्वान किया है।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड विधानसभा चुनाव में इस बार महागठबंधन में सीट बंटवारे पर भाकपा माले तनाव बढ़ाएगा। सीटों की दावेदारी पर माले की 24 व 25 सितंबर को होने वाली बैठक में निर्णय लिया जाएगा।
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने महागठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का संकेत दिया है। उन्होंने भाजपा के विरुद्ध एकजुट होकर चुनाव लड़ने का आह्वान किया है।
मासस के विलय के बाद भाकपा माले का मनोबल ऊंचा है। धनबाद में दोनों ही दलों ने नौ सितंबर को एकता रैली के माध्यम से अपना शक्ति परिचय भी दिया था। पार्टी विधानसभा चुनाव के मूड में आ चुकी है। पार्टी से जुड़े प्रमुख नेताओं का झारखंड में आना-जाना लगा हुआ है।
उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के लिए दावेदारी
पिछले दिनों पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल से चुनाव लड़ने की दावेदारी करने पर विचार करने की बात कही थी।
उन्होंने तर्क दिया था कि उत्तरी छाेटानागपुर प्रमंडल में महागठबंधन कमजोर स्थिति में है। महागठबंधन को मजबूत करने के उद्देश्य से ही वे इस प्रमंडल के विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की दावेदारी कर सकते हैं।
महागठबंधन में बढ़ेगी टेंशन
सीटों के बंटवारे पर महागठबंधन के प्रमुख घटक दल झामुमो, कांग्रेस व राजद भी अपनी-अपनी दावेदारी प्रस्तुत करेंगे। इससे सीट बंटवारे की राह तनाव बढ़ाने वाला है, लेकिन राह आसान नहीं दिख रही है।
इन सीटों पर समझौते के मूड में नहीं माले
मासस के विलय के बाद भाकपा माले राज्य की निरसा, सिंदरी, बगोदर व राजधनवार विधानसभा सीट पर किसी भी हाल में समझौते के मूड में नहीं है।
निरसा पूर्व विधायक सह मासस नेता अरुप चटर्जी का क्षेत्र है। वे यहां से वर्ष 2009 व 2014 में विधायक चुने गए थे।
बगोदर में माले से विधायक रहे विनोद कुमार सिंह मजबूत स्थिति में हैं। वे यहां से 2005, 2009 व 2019 में विधायक चुने जा चुके हैं।
इसी प्रकार, राजधनवार से भाकपा माले से राजकुमार यादव वर्ष 2014 में विधायक चुने गए थे। विलय के बाद दोनों ही दल अपनी पकड़ वाले क्षेत्र में समझौते के मूड में नहीं हैं। वे कई अन्य सीटों पर भी चुनाव लड़ने की दावेदारी करेंगे।
यह भी पढ़ें: चुनाव आयोग को झारखंड के 4 सुझाव: BJP 'अड़ी' तो कांग्रेस 'बाहरी' पर बिफरी, JMM को मिलिट्री और AAP को पैसे की चिंता