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Jharkhand Education: झारखंड में उत्कृष्ट विद्यालय योजना की उड़ रही धज्जियां, शिक्षा सचिव ने कहा...

Jharkhand Education News झारखंड के प्लस टू विद्यालयों में नियमानुसार नियमित प्राचार्य ही नहीं हैं। जिस वजह से इन विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता महज कागजी रहेगी इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार उत्कृष्ट विद्यालय योजना की धज्जियां उड़ रही है।

By Sanjay KumarEdited By: Updated: Wed, 16 Feb 2022 11:44 AM (IST)
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Jharkhand Education News: झारखंड में उत्कृष्ट विद्यालय योजना की उड़ रही धज्जियां

रांची, जासं। Jharkhand Education News झारखंड सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना उत्कृष्ट विद्यालय योजना है। जिसके अंतर्गत अधिकांश प्लस टू विद्यालय ही आते हैं। इन प्लस टू विद्यालयों में नियमानुसार नियमित प्राचार्य ही नहीं हैं। जिस वजह से इन विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता महज कागजी रहेगी, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। सतही तौर पर पठन पाठन नहीं हो सकेगा। झारखंड में सरकारी प्लस टू शिक्षा व्यवस्था की हकीकत यह है कि आज तक अधिकांश प्लस टू विद्यालयों का संचालन या तो प्रभारी प्रधानाध्यापकों के भरोसे या फिर माध्यमिक विद्यालयों के लिए नियुक्त होने वाले गिने चुने प्रधानाध्यापकों के माध्यम से हो रहा है।

झारखंड में कुल 510 प्लस टू विद्यालय संचालित हैं। जिनमें से 59 एकीकृत बिहार के समय से 171 वर्ष 2007 में तथा 280 वर्ष 2017 में माध्यमिक विद्यालयों को प्लस टू विद्यालय में उत्क्रमित कर बनाए गए। वर्तमान में 125 नए माध्यमिक विद्यालयों को भी प्लस टू विद्यालय में उत्क्रमित करने का निर्णय झारखंड सरकार ने लिया है।

विद्यालयों के संचालन को 2012 में बनी थी नियमावली

विद्यालयों के संचालन के लिए वर्ष 2012 में नियमावली बनाई गई। जिसके अनुसार प्लस टू विद्यालयों में प्राचार्य पद का प्रावधान किया गया। लेकिन नियमावली गठन होने के साढ़े नौ साल बीत जाने के बाद भी आज तक उस पद पर नियुक्ति तो दूर की बात, पद का सृजन तक नहीं किया गया है। जबकि किसी विद्यालय को उत्क्रमित करने के साथ ही विद्यालय प्रधान का पद भी सृजित किया जाता है।

प्रधानाध्यापक पद समाप्त कर प्राचार्य पद का किया गया सृजन

बता दें कि कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय, माडल विद्यालय जब उत्क्रमित कर प्लस टू स्तर के बनाए गए तो उनमें प्रधानाध्यापक पद समाप्त कर प्राचार्य पद का सृजन किया गया। मध्य विद्यालय को भी उत्क्रमित कर जब माध्यमिक विद्यालय बनाया गया तो उन्हें भी माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक का पद सृजित किया गया। लेकिन विभागीय उदासीनता का आलम यह है कि जब सरकारी प्लस टू विद्यालयों को माध्यमिक विद्यालय से उत्क्रमित किया गया तब उनमें माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक के स्थान पर प्राचार्य पद का सृजन नहीं किया गया। जिसका परिणाम यह हुआ कि झारखंड में सरकारी प्लस टू विद्यालय जैसे तैसे संचालित होने लगे।

वर्षों से लंबित प्राचार्य पद सृजन के कार्य को यथाशीघ्र पूरा किया जाए

झारखंड प्लस टू शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष योगेंद्र प्रसाद ठाकुर का कहना है कि प्लस टू विद्यालय में प्राचार्य पद सृजन को ले झारखंड प्लस टू संघ द्वारा शिक्षा विभाग को पिछले कई वर्षों से दर्जनों बार आवेदन के माध्यम से संज्ञान दिया जाता रहा है। फिर भी अभी तक यह कार्य अपूर्ण है। प्लस टू विद्यालय सरकारी शिक्षा के मुख्य केंद्र होते हैं। इस वजह से झारखंड में बेहतर शैक्षणिक परिवेश के लिए उनका संचालन नियमानुसार होना जरूरी है। जिस तरह से शिक्षा विभाग का प्लस टू विद्यालयों के समुचित संचालन एवं प्राचार्य पद सृजन को लेकर सौतेला व्यवहार रहा है। उसका प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रुप से खामियाजा यहां के समाज को भुगतना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा बार बार पद सृजन का आश्वासन तो दिया जा रहा है लेकिन महीनों से यह कार्य शिथिल पड़ा है। हम शिक्षा विभाग से मांग करते हैं कि वर्षों से लंबित प्राचार्य पद सृजन के कार्य को यथाशीघ्र पूरा किया जाए।

जल्द होगी कार्रवाई

झारखंड शिक्षा सचिव राजेश कुमार शर्मा का कहना है कि प्राचार्य पद सृजन को लेकर पूर्व में भी संबंधित पदाधिकारियों से बात हुई है।

उन्होंने कहा कि जल्द ही इस दिशा में कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

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