शराब टेंडर घोटाले में झारखंड सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के स्वत: संज्ञान को दी चुनौती
झारखंड हाईकोर्ट में शराब टेंडर घोटाले पर सुनवाई हुई। इस दौरान सरकार ने बताया कि इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। यह मामला सुनवाई के लिए लंबित है। मामले की अगली सुनवाई 30 अप्रैल को निर्धारित कर दी। हाई कोर्ट के स्वत संज्ञान लेकर सुनवाई किए जाने को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट में राज्य में शराब के थोक और खुदरा बिक्री के टेंडर में गड़बड़ी की जांच की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।
सुप्रीम कोर्ट में यह मामला सुनवाई के लिए लंबित है। इसके बाद अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 30 अप्रैल को निर्धारित कर दी। राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा। पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से हस्तक्षेप याचिका दाखिल कर प्रार्थी और उनके वकील की साख पर सवाल उठाया गया था।
इसके बाद अदालत ने दोनों का नाम जनहित याचिका से हटा दिया था। कोर्ट ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई जारी रखने की बात कही थी। हाई कोर्ट के स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई किए जाने को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
25 लाख रुपये नन रिफंडेबल राशि तय की गई थी
अदालत को बताया गया था कि राज्य के जिलों में शराब के होल-सेल के टेंडर में शामिल होने के लिए 25 लाख रुपये नन रिफंडेबल राशि तय की गई थी। राज्य के विभिन्न जिलों में शराब के होल-सेल और रिटेल का टेंडर लेने के लिए कोलकाता से झारखंड के तीन जिलों में अलग-अलग खातों में करोड़ों रुपये भेजे गए थे।
यह उन कंपनियों के खाते में भेजा गया था, जिनके खाते में मात्र दो-चार हजार रुपये हुआ करते थे। उसी खाते का पैसा राज्य के अन्य जिलों में शराब के होलसेल के टेंडर के लिए 25-25 लाख रुपया जमा करने में इस्तेमाल हुआ था। कोलकाता से भेजे गए पैसों का इस्तेमाल शराब माफिया की ओर से झारखंड के सभी जिलों में शराब के होलसेल का टेंडर लेने के लिए किया गया था।
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