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आचार संहिता लागू होने से पहले झारखंड की महत्वाकांक्षी योजनाएं होंगी पूरी, राज्य सरकार का निर्माण कार्य पर जोर

झारखंड में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होंगे और चुनाव की घोषणा होते ही राज्य में चुनाव आचार सहिंत लागू हो जाएगी। इससे पहले राज्य सरकार का लक्ष्य आचार संहिता लागू होने से पहले अपनी महत्वाकांक्षी योजनाओं को पूरा करना है और इसको लेकर राज्य सरकार ने तैयारियां तेज कर दी हैं। इसको लेकर मुख्यमंत्री ने खुद निर्देश भी दे दिए हैं।

By Ashish Jha Edited By: Shoyeb Ahmed Updated: Sun, 18 Aug 2024 10:54 PM (IST)
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आचार संहिता लागू होने से पहले झारखंड की महत्वाकांक्षी योजनाओं को लेकर राज्य सरकार ने की तैयारियां (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में नवंबर से लेकर दिसंबर के बीच विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया को पूर्ण करा लेना है और इसको लेकर तैयारियां तेज हैं।

राज्य सरकार चाह रही है कि शहरी क्षेत्रों में आचार संहिता लागू होने से पहले महत्वपूर्ण योजनाओं को पूर्ण करा लिया जाए और इसको लेकर तैयारियां तेज हो चुकी हैं।

मुख्यमंत्री ने स्वयं नगर विकास एवं आवास विभाग के सचिव को निर्देश दिया है कि शहरी क्षेत्रों की योजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर शीघ्र पूरा कराया जाए। झारखंड में पहली बार राज्य सरकार की योजना से ओवरब्रिज का निर्माण रांची में हो रहा है।

झामुमो शहरी आबादी के बीच बनाना चाहती है पैठ

झारखंड मुक्ति मोर्चा इस योजना के माध्यम से शहरी आबादी के बीच अपनी पैठ बनाना चाहती है। योजना को लेकर तैयारियां चरम पर हैं और माना जा रहा है कि पुलों का उद्घाटन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हाथों अगले माह करा लिया जाएगा।

झारखंड में आचार संहिता लागू होने को लेकर अटकलें लगाई जाने लगी हैं और सूत्रों के अनुसार सितंबर के अंतिम अथवा अक्टूबर माह के पहले सप्ताह में आचार संहिता प्रभावी हो सकती है। इसके बाद नई योजनाओं की घोषणा और शुभारंभ होना असंभव होगा।

झामुमो इसी बीच शहरी क्षेत्रों में अपने पैठ बनाने में जुटा हुआ है। माना जा रहा है कि ग्रामीण इलाकों में झामुमो की पैठ अधिक है। इन्हीं इलाकों से इसके विधायक भी चुने जाते हैं। अब शहरी इलाकों में नए सिरे से पार्टी तैयारी कर रही है।

भाजपा का क्या है आरोप?

भाजपा आरोप लगाती रही है कि नगर निकायों का चुनाव नहीं कराने के पीछे झामुमो का डर है कि वह सभी सीटें ना हार जाए। पिछले डेढ़ वर्षों के करीब से झारखंड में नगर निकायों के चुनाव नहीं होने से शहरी स्वशासन सरकारी हाथों में है और अब इसका फायदा झामुमो को मिल सकता है।

विधानसभा चुनाव के पूर्व पार्टी शहरी क्षेत्रों में कुछ काम करके दिखाना चाहती है ताकि विपक्ष को जवाब दिया जा सके। शहरी क्षेत्रों की योजनाओं का शुभारंभ इसी कड़ी में एक अहम पड़ाव साबित होगा।

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