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झारखंड सरकार ट्रेनी इंजीनियरों को देगी 15 हजार रुपये, प्रैक्टिकल ट्रेनिंग बोर्ड में कराना होगा रजिस्ट्रेशन

झारखंड में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों और संस्थानों से उत्तीरर्ण छात्र-छात्रों को अब 10 से 15 हजार रुपये तक अप्रेंटिसशिप रूल के तहत स्टाइपेंड के रूप में दिए जाएंगे। बता दें यह स्टाइपेंड पीपीपी मोड में संचालित किए जा रहे इंजीनियिरिंग कॉलेजों से पास हुए ग्रेजुएट की छात्र-छात्राओं को 15 हजार रुपये मिलेगा। जिन छात्र-छात्रों ने राजकीय पॉलीटेक्निक और डिप्लोमा संस्थानों से डिप्लोमा उत्तीर्ण किया है उन्हें 10 हजार रुपये मिलेंगे।

By Neeraj Ambastha Edited By: Shoyeb Ahmed Updated: Mon, 12 Aug 2024 08:54 PM (IST)
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झारखंड सरकार इंजीनियरिंग के अप्रेंटिस प्रशिक्षुओं को देगी 15 हजार स्टाइपेंड (सांकेतिक तस्वीर)

राज्य ब्यूरो, रांची। राज्य के सरकारी तथा पीपीपी मोड पर संचालित इंजीनियिरिंग कॉलेजों से उत्तीर्ण ग्रेजुएट छात्र-छात्राओं को 15 हजार रुपये प्रतिमाह स्टाइपेंड के रूप में मिलेंगे।

वहीं, राजकीय पॉलीटेक्निक तथा डिप्लोमा संस्थानों से डिप्लोमा उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को 10 हजार रुपये स्टाइपेंड मिलेगा। यह राशि अप्रेंटिसशिप रूल के तहत दी जाएगी।

नियम के मुताबिक कितने रुपये देने का है प्रविधान

हालांकि, अप्रेंटिसशिप रूल में इंजीनियरिंग के अप्रेंटिस प्रशिक्षुओं को नौ हजार तथा डिप्लोमा प्रशिक्षुओं को आठ हजार रुपये देने का प्रविधान है। इसमें 50 प्रतिशत राशि का वहन केंद्र सरकार के बोर्ड ऑफ प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (पूर्वी क्षेत्र) द्वारा किया जाता है।

शेष राशि अर्थात क्रमश: 4500 रुपये तथा चार हजार रुपये राज्य सरकार को देना है। राज्य सरकार ने इसकी जगह इंजीनियरिंग उत्तीर्ण प्रशिक्षुओं को 10,500 रुपये तथा डिप्लोमा उत्तीर्ण प्रशिक्षुओं को छह हजार रुपये प्रतिमाह राज्यांश के रूप में देने का निर्णय लिया है।

राज्य सरकार प्रतिवर्ष 6 करोड़ रुपये करेगी खर्च

साथ ही सरकार ने दोनों श्रेणी के प्रशिक्षुओं को एक वर्ष एडवांस अप्रेंटिसशिप कराने का भी निर्णय किया है। इसके लिए क्रमश: 18 हजार रुपये तथा 12 हजार रुपये स्टाइपेंड के रूप में दिए जाएंगे।

अतिरिक्त राशि सहित राज्यांश तथा एक वर्ष के एडवांस अप्रेंटिसशिप पर राज्य सरकार के प्रतिवर्ष छह करोड़ रुपये खर्च होंगे। उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग ने वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए यह राशि संस्थानों का आवंटित कर दी है।

विभाग द्वारा इसे लेकर जारी आदेश में कहा गया है कि संस्थानों की जिम्मेदारी होगी कि प्रशिक्षुओं का रजिस्ट्रेशन कर राशि हस्तांतरित करे। साथ ही प्रैक्टिकल ट्रेनिंग बोर्ड में भी रजिस्ट्रेशन कराए ताकि बोर्ड द्वारा प्रशिक्षुओं के खात में राशि डीबीटी की जा सके।

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