किसानों को मिल सकती है राहत, कर्ज माफी पर फैसला के लिए दबाव बनाएगी कांग्रेस
किसानाें का कर्ज माफ करने का प्रस्ताव कृषि विभाग का होगा इसके मंत्री कांग्रेस से हैं। वित्त विभाग भी कांग्रेस के कोटे में है। कुल मिलाकर इसे लागू करने में कोई अड़चन नहीं है।
By Alok ShahiEdited By: Updated: Thu, 30 Jan 2020 10:31 PM (IST)
रांची, राज्य ब्यूरो। मंत्रिमंडल में विभागों के बंटवारे में कांग्रेस को अहम विभाग मिल गए हैं और अब पार्टी चुनावी वादों को पूरा करने में लग गई है। पहला निशाना कृषि ऋण माफी की घोषणा पर अमल कराना है। इस मामले में कोई कठिनाई भी सामने आते नहीं दिख रही है और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी इसके लिए सहमत ही रहे हैं। समझा जा रहा है कि कैबिनेट में शीघ्र ही यह प्रस्ताव लाया जाएगा। प्रस्ताव कृषि विभाग का होगा और इसके मंत्री भी कांग्रेस कोटे से बने हैं। पैसे का इंतजाम करने के लिए वित्त विभाग भी कांग्रेस के कोटे में है। कुल मिलाकर इसमें कोई अड़चन नहीं है।
कांग्रेस संगठन इस बात को लेकर बहुत ही संवेदनशील रहा है। छत्तीसगढ़ में जिस प्रकार किसानों को लाभ पहुंचाया गया, वही मॉडल दिखाकर झारखंड में भी वोट मांगे गए थे और नतीजा यह रहा कि अलग राज्य बनने के बाद अब तक सबसे अधिक सीटों पर कांग्रेस को जीत हासिल हुई। अब कांग्रेस पार्टी चाहती है कि किसानों को किए गए वादे पूरे होने चाहिए। पार्टी की ओर से मंत्रियों पर दबाव भी है।
केंद्र से सुखाड़ के मद में राशि मिलने की संभावना हुई क्षीण
झारखंड को सुखाड़ के मद में केंद्र से मिलने वाली राशि की संभावना अब तकरीबन क्षीण हो गई है। वजह विलंब को बताया जा रहा है। विधानसभा चुनाव के कारण खरीफ फसल के सुखाड़ को लेकर राज्य सरकार के स्तर से भारत सरकार को भेजी जाने वाली विस्तृत रिपोर्ट में विलंब हुआ है। बता दें कि खरीफ फसल के दौरान अनियमित बारिश के कारण राज्य के दस जिलों में सुखाड़ की पुष्टि की गई थी।
भारत सरकार ने राज्य की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर सितंबर माह में दस जिलों को सुखाडग़्रस्त माना था। इनमें बोकारो, चतरा, देवघर, गढ़वा, गिरिडीह, गोड्डा, हजारीबाग, जामताड़ा, कोडरमा और पाकुड़ शामिल थे। नियमत: राज्य सरकार को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद केंद्र सरकार को विस्तृत प्रस्ताव भेजना था। लेकिन विधानसभा चुनाव के कारण कैबिनेट की बैठक हुई ही नहीं।
अब बताया जा रहा है कि नई सरकार की अगली कैबिनेट में इस प्रस्ताव को लाया जा रहा है, इसके बाद इसे भारत सरकार को भेजा जाएगा। तकनीकी पहलू यह है कि राज्य सरकार के स्तर से केंद्र को प्रस्ताव भेजने के बाद स्थल निरीक्षण के लिए वहां की टीम आती है और अपनी रिपोर्ट देती है। अब खरीफ के बाद रबी फसल की बुआई की प्रक्रिया भी तकरीबन पूरी हो गई है। ऐसे में केंद्रीय टीम किस आधार पर स्थल भ्रमण कर अपनी रिपोर्ट देगी? बड़ा सवाल है।
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