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'मेरे पास आया फोन, नहीं देंगे चंपई को समर्थन...', झारखंड में सरकार बनने के 6 दिन बाद गवर्नर का खुलासा

झारखंड के राज्यपाल ने सरकार बनने के 6 दिन बाद बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने कहा है कि मीडिया में जो खबरें आ रही थीं उसमें लग रहा था कि चंपई सोरेन के पास बहुमत नहीं है। उनके पास एक-दो फोन भी आए थे जिसमें समर्थन नहीं देने की बात कही गई थी। ऐसी परिस्थिति में सरकार बनाने का न्योता देने में कुछ समय लेना जरूरी था।

By Neeraj Ambastha Edited By: Rajat Mourya Updated: Thu, 08 Feb 2024 08:08 PM (IST)
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'मेरे पास आया फोन, नहीं देंगे चंपई को समर्थन...', झारखंड में सरकार बनने के 6 दिन बाद गवर्नर का खुलासा
राज्य ब्यूरो, रांची। राज्यपाल सीपी राधाकृष्ण ने पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी तथा सरकार बनाने के लिए न्योता देने में देरी को लेकर हेमंत सोरेन और गठबंधन के नेताओं द्वारा लगाए गए सारे आरोपों को निराधार बताया है। उन्होंने गुरुवार को राजभवन में मीडिया से रूबरू होते हुए राजभवन पर लगाए गए सारे आरोपों को एक सिरे से खारिज कर दिया।

साथ ही वस्तुस्थिति की जानकारी देते हुए कहा कि हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने राजभवन आने से पहले ही ईडी की हिरासत में थे। उन्होंने ईडी द्वारा हेमंत को राजभवन में गिरफ्तार किए जाने से सिरे से इनकार किया। राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए 26.5 घंटे के अंदर झारखंड में नई सरकार का गठन करा दिया।

उन्होंने यह नहीं कहा कि नई सरकार 24 घंटे में बहुमत साबित करे। इसके लिए 10 दिनों का समय दिया। सवाल उठाया कि इससे लोग कैसे कह सकते हैं कि सारी गतिविधियों में राजभवन की कोई भूमिका है और सरकार गिरने में राजभवन भी जिम्मेदार है? राज्यपाल ने कहा कि हेमंत सोरेन ने ही अपने इस्तीफे में स्वीकार किया है कि वे ईडी की हिरासत में हैं तथा वे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना चाहते हैं।

राज्यपाल के अनुसार, ईडी ने उनके प्रधान सचिव डॉ. नितिन मदन कुलकर्णी को फोन कर कहा था कि उसने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया है तथा वे इस्तीफा देना चाहते हैं। इसके बाद मुख्य सचिव एल खियांग्ते ने भी उनके प्रधान सचिव को फोन कर बताया कि हेमंत इस्तीफा देना चाहते हैं। सीएमओ से भी ऐसी जानकारी आई। इसके बाद उन्होंने हेमंत सोरेन का तीन घंटे इंतजार किया।

इसके बाद मुख्य सचिव की ओर से कहा गया कि मुख्यमंत्री अकेले नहीं आएंगे। उनके साथ कुछ वरिष्ठ मंत्री भी आएंगे। इसपर उन्होंने तीन लोगों को आने की अनुमति दी। राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं कहा कि कौन आएगा कौन नहीं। राज्यपाल ने यह भी कहा कि उन्हें पहले सूचना नहीं दी गई थी कि हेमंत के साथ आनेवाले विधायक सरकार बनाने का दावा करेंगे। अचानक उन्होंने 43 विधायकों का समर्थन होने की बात कहते हुए दावा प्रस्तुत कर दिया। इसपर उन्होंने अगले दिन निर्णय लेकर सूचना देने की बात कही। राज्यपाल ने कहा कि जब हेमंत सोरेन राजभवन इस्तीफा देने आए थे तो दो-तीन लोग उनके बगल में खड़े थे। राज्यपाल के अनुसार, वे नहीं जानते थे कि वे कौन लोग थे। ईडी के अधिकारियों को भी वे नहीं पहचानते।

मेरे पास आया फोन, नहीं देंगे चंपई को समर्थन

सरकार बनाने का न्योता देने में देरी के सवाल पर राज्यपाल ने कहा कि मीडिया में जो खबरें आ रही थीं उसमें लग रहा था कि चंपई सोरेन के पास बहुमत नहीं है। उनके पास एक-दो फोन भी आए थे जिसमें समर्थन नहीं देने की बात कही गई थी। ऐसी परिस्थिति में सरकार बनाने का न्योता देने में कुछ समय लेना जरूरी था। उन्होंने कहा कि कि सरकार बनाने का न्योता देने से पहले उन्होंने कानूनी सलाह ली।

सरकार बनाने के लिए एक को बुलाया, एक और आ गए

राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने एक फरवरी को सरकार बनाने का न्योता देने के लिए रात 11 बजे एक विधायक (चंपई सोरेन) को राजभवन बुलाया था।, लेकिन उनके साथ एक और विधायक आ गए। बता दें कि चंपई सोरेन के साथ कांग्रेस विधायक आलमगीर आलम राजभवन गए थे।

नीतीश न ईडी की हिरासत में थे, न गायब

बिहार में चार घंटे में नई सरकार बनने तथा झारखंड में देरी पर लगाए गए आरोपों पर राज्यपाल ने कहा कि बिहार में नीतीश कुमार को ईडी ने हिरासत में नहीं लिया था। न ही नीतीश कुमार दो दिनों से गायब थे। झारखंड में तो मुख्यमंत्री ही दो दिन गायब थे। उन्होंने कहा कि पूरी तरह संतुष्ट होकर उन्होंने सरकार बनाने का आमंत्रण दिया। उन्होंने कहा, अगर लोग राजनीतिक लाभ लेने के लिए कुछ करना चाहते हैं तो वे क्या कर सकते हैं? जब वे आरोप लगा रहे हैं तो उनके पास सबूत कहां है?

राज्यपाल ने कहा, बंद लिफाफे को भी देखेंगे

हेमंत सोरेन के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वे चुनाव आयोग के बंद लिफाफे को भी देखेंगे। उन्होंने कहा कि विधानसभा में उनके अभिभाषण के दौरान जिस तरह का व्यवहार किया गया, वह अपने आप में अजीब था। हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री चंपई सोरेन से यह पूछना चाहिए कि उन्होंने इतना लंबा भाषण क्यों तैयार करवाया।

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