रेलवे ट्रैक पार करते समय दुर्घटना में महिला की हुई थी मौत, रेलवे को देना होगा मुआवजा; झारखंड HC ने सुनाया फैसला
झारखंड हाईकोर्ट ने रेलवे हादसे को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। जस्टिस पीके श्रीवास्तव की अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि फुट ओवरब्रिज और लाइट की सुविधा के अभाव में रेलवे ट्रैक पार करने की कोशिश करने के दौरान जान गंवाने वाली महिला के परिवार को 8 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए। अदालत ने उक्त राशि छह प्रतिशत ब्याज के साथ पीड़ित परिवार को देने का निर्देश दिया।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने रेलवे हादसे को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। जस्टिस पीके श्रीवास्तव की अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि फुट ओवरब्रिज और लाइट की सुविधा के अभाव में रेलवे ट्रैक पार करने की कोशिश करने के दौरान जान गंवाने वाली महिला के परिवार को आठ लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए।
अदालत ने उक्त राशि छह प्रतिशत ब्याज के साथ पीड़ित परिवार को देने का निर्देश दिया है। रेलवे न्यायाधिकरण ने महिला के परिजनों को मुआवजा देने से इनकार कर दिया था।
पति ने दाखिल की थी याचिका
न्यायाधिकरण का कहना था कि महिला की जिस समय ट्रेन से कटकर मौत हुई है, उस समय वह यात्री नहीं थी। इस संबंध में महिला के सुरेश राम ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
वर्ष 2018 में उनकी पत्नी की रेलवे ट्रैक पार करने के दौरान मृत्यु हो गई थी। प्रार्थी के अधिवक्ता चैताली चटर्जी सिन्हा ने अदालत को बताया कि महिला गढ़वा स्टेशन पर उतरी थी और वह ट्रेन से यात्रा समाप्त कर रही थी।
यात्रियों को एक तरफ से दूसरी तरफ जाने के लिए रेलवे स्टेशन के पास कोई फुट ओवरब्रिज नहीं बनाया गया और न ही लाइट की व्यवस्था थी।
यह घटना तब हुई जब महिला अपनी यात्रा खत्म करने के बाद ट्रेन से उतर कर अंधेरे में अपने घर जाने के लिए ट्रैक पार कर रही थी। इसी दौरान वह दूसरी ट्रेन की चपेट में आ गई और उसकी मौत हो गई। ऐसे में उसे भी यात्री माना जाएगा।
सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने अपने फैसले में कहा कि महिला वास्तविक यात्री थी, जिसकी हादसे में मौत हो गई और अपीलकर्ता करने वाले पति को आश्रित होने के कारण रेलवे अधिनियम, 1989 के तहत आवेदन दाखिल करने की तिथि यानी 13 मार्च 2018 से मुआवजा राशि पर छह प्रतिशत ब्याज पाने का हकदार हैं। उक्त आदेश के साथ अदालत ने याचिका निष्पादित कर दी।
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