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Jharkhand News: नियुक्ति प्रक्रिया में देरी और JPSC की गलती का खामियाजा नहीं भुगतेंगे अभ्यर्थी, हाईकोर्ट का अहम फैसला

झारखंड हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया में देरी और जेपीएससी की गलती की सजा अभ्यर्थी नहीं भुगत सकता। कोर्ट ने कर्रा की अंचलाधिकारी वंदना भारती की नियुक्ति वर्ष 2010 तय करते हुए सरकार को वरीयता सूची में सुधार कर नई सूची जारी करने का निर्देश दिया। जानिए इस मामले की पूरी जानकारी और हाई कोर्ट के फैसले के बारे में।

By Manoj Singh Edited By: Mohit Tripathi Updated: Sat, 05 Oct 2024 07:19 PM (IST)
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जेपीएससी की गलती का नुकसान अभ्यर्थी नहीं भगत सकता, वरीयता सूची में करें सुधार : हाईकोर्ट।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस दीपक रोशन की पीठ ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया में देरी और जेपीएससी की गलती की नुकसान अभ्यर्थी नहीं भुगत सकता है। ऐसा करना न्यायसंगत नहीं होगा।

इसके साथ पीठ ने कर्रा की अंचलाधिकारी वंदना भारती की नियुक्ति वर्ष 2010 तय करते हुए सरकार को वरीयता सूची में सुधार कर नई सूची जारी करने का निर्देश दिया। इस संबंध में वंदना भारती ने हाई

कोर्ट में याचिका दाखिल कर अपनी वरीयता निर्धारित करने की मांग की थी। प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता सौरभ शेखर और अनुराग कुमार ने पीठ को बताया कि प्रार्थी जेपीएससी संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा वर्ष 2010 में शामिल हुई थीं। इनकी नियुक्ति डिप्टी कलेक्टर के पद पर वर्ष 2013 में की गई।

जब नियुक्ति पत्र दिया गया तो उसमें नियुक्ति की अनुशंसा का वर्ष 2010 के बदले वर्ष 2013 अंकित किया गया। जबकि उनके समकक्ष उम्मीदवारों की अनुशंसा वर्ष 2010 की तिथि से की गई।

पीठ को बताया गया कि जेपीएससी की ओर से अंक गणना में चूक के कारण नियुक्ति की अनुशंसा में विलंब हुई। इतना ही नहीं वरीयता सूची में प्रार्थी का स्थान चतुर्थ सिविल सेवा के अभ्यर्थियों से भी नीचे रखा गया।

प्रार्थी ने इसकी शिकायत सरकार से की, लेकिन सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई।

सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि वरीयता नियुक्ति की तिथि से निर्धारित की जाती है, भूतलक्षी प्रभाव से वरीयता देना उचित नहीं है।

सुनवाई के बाद अदालत ने क्या कहा

सभी पक्षों को सुनने के बाद पीठ ने कहा कि नियुक्ति में प्रार्थी का कोई दोष नहीं है। नियुक्ति में विलंब की गलती जेपीएससी ने स्वीकार की है। आयोग की गलती का नुकसान प्रार्थी को उठाना पड़े, यह न्याय संगत नहीं है।

पीठ ने वर्ष 2010 मानते हुए अन्य अभ्यर्थियों की तरह जेपीएससी की तृतीय सिविल सेवा परीक्षा के अभ्यर्थियों में शामिल कर मेरिट लिस्ट में सुधार कर जारी करने का निर्देश दिया।

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