'फांसी की सजा उचित नहीं', झारखंड HC ने ऑनर किलिंग केस में बदला निचली अदालत का फैसला
Jharkhand High Court झारखंड हाईकोर्ट ने ऑनर किलिंग मामले में फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया है। हाईकोर्ट का कहना है कि यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस की श्रेणी में नहीं है। इसलिए फांसी की सजा देना उचित नहीं होगा। दरअसल 2021 में कोडरमा की निचली अदालत ने इस मामले में फांसी की सजा सुनाया था।
राज्य ब्यूरो, रांची। Jharkhand High Court झारखंड हाई कोर्ट ने कोडरमा में ऑनर किलिंग के मामले में निचली अदालत की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। हाई कोर्ट ने कहा कि यह मामला रेयरेस्ट ऑफ रेयर की श्रेणी में नहीं आता है, इसलिए फांसी की सजा उचित नहीं है।
कोडरमा की निचली अदालत ने वर्ष 2021 में मृतका की मां दुलारी देवी, पिता किसुन साव, चाचा सीताराम साव और चाची पार्वती साव को फांसी की सजा सुनाई थी। इसके बाद सरकार ने फांसी की सजा की पुष्टि के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।
क्या है पूरा मामला
बता दें कि किसुन साव एवं दुलारी देवी की बेटी अपने ही गांव में रहने वाले दूसरी जाति के एक युवक प्रदीप शर्मा के साथ मार्च 2018 को राजस्थान भाग गई थी, जहां उसने शादी कर ली थी। बाद में वे गांव लौट आए थे। मामला पंचायत तक पहुंचा था और सुलह करने की कोशिश होने वाली थी।
इसी बीच लड़की ने सुसाइड कर लिया। पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि कुछ लोग अपनी बच्ची की लाश को आनन-फानन में जला रहे हैं। पुलिस जब वहां पहुंची तो वहां मौजूद लोग भाग गए थे। बाद में पुलिस ने कोडरमा के चंदवारा थाने में प्राथमिकी दर्ज की थी।
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