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Babulal Marandi: झारखंड हाईकोर्ट में बाबूलाल मरांडी की याचिका पर हुई सुनवाई; जानें, क्या हुआ?

Babulal Marandi झारखंड हाई कोर्ट में स्पीकर पर पक्षपात का आरोप लगाने वाली बाबूलाल मरांडी की याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से स्पीकर के यहां कई अन्य आवेदन होने का जिक्र करते हुए उसे अदालत के रिकॉर्ड पर लाने का आग्रह किया गया।

By Sanjay KumarEdited By: Updated: Wed, 14 Sep 2022 02:32 PM (IST)
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Babulal Marandi: झारखंड हाईकोर्ट में बाबूलाल मरांडी की याचिका पर हुई सुनवाई।
रांची, राज्य ब्यूरो। Babulal Marandi झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में स्पीकर पर पक्षपात का आरोप लगाने वाली बाबूलाल मरांडी की याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान विधानसभा के अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। क्योंकि इस मामले में आदेश सुरक्षित है और आदेश किसी भी पक्ष में आ सकता है। प्रार्थी की ओर से स्पीकर के यहां कई अन्य आवेदन होने का जिक्र करते हुए उसे अदालत के रिकॉर्ड पर लाने का आग्रह किया गया। जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। मामले में अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी।

बता दें कि दल बदल कानून के तहत बाबूलाल मरांडी के खिलाफ स्पीकर न्यायाधिकरण में सुनवाई चल रही है। जिसमें फैसला सुरक्षित रख लिया गया है।

सुनवाई के दौरान पूरी प्रक्रिया का नहीं किया गया पालन

बता दें कि बाबूलाल मरांडी की सदस्यता मामले में दाखिल याचिका में कहा गया है कि स्पीकर के न्यायाधिकरण में सुनवाई के दौरान पूरी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। इस मामले में उनकी ओर से सुनवाई का बिंदु निर्धारण करते हुए गवाही प्रस्तुत करने के लिए आवेदन दिया था। उन्हें पक्ष रखने का भी मौका नहीं दिया गया।

सात मामले स्पीकर के यहां लंबित

इस संबंध में कुल सात मामले स्पीकर के यहां लंबित है। इसमें चार सत्ता पक्ष और तीन भाजपा की ओर से आवेदन दाखिल की गई है। इस मामले में 30 अगस्त को सुनवाई खत्म हो गई है। इस दौरान बाबूलाल मरांडी की ओर से पक्ष रखने वाले अधिवक्ताओं ने हंगामा किया था। आरोप लगाया कि स्पीकर पक्षपात पूर्ण रवैया अपना रहे हैं। न्यायाधिकरण में सुनवाई समाप्त होने के बाद स्पीकर कभी भी अपना फैसला सुना सकते हैं।

दल-बदल कानून के तहत सुनवाई कर रहे हैं स्पीकर

बता दें कि झाविमो के टिकट पर बाबूलाल मरांडी वर्ष 2019 में विधानसभा का चुनाव जीते थे। बाद में उन्होंने पार्टी का विलय भाजपा में कर दिया था। इस मामले में स्पीकर दल-बदल कानून के तहत सुनवाई कर रहे हैं।

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