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Jharkhand News: 45 साल बाद भी आदेश का पालन नहीं होने पर हाईकोर्ट की फटकार, कहा- राष्ट्रपति भी जता चुकी हैं चिंता

झारखंड हाईकोर्ट ने इस बात को लेकर कड़ी नाराजगी जताई है कि जब जमीन विवाद का एक केस 45 साल तक चलने और हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से वादी के पक्ष में फैसला आने के बाद भी आदेश का पालन नहीं किया गया है। अदालत ने कहा कि निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक से आदेश मिलने के बाद भी प्रार्थी को लाभ नहीं मिलना दुखद है।

By Manoj Singh Edited By: Mohit Tripathi Updated: Thu, 21 Mar 2024 08:07 PM (IST)
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45 साल बाद भी आदेश का पालन नहीं होने पर हाईकोर्ट की फटकार। (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने इस बात को लेकर कड़ी नाराजगी जताई है कि जब जमीन विवाद का एक केस 45 साल तक चलने और हाई कोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट से वादी के पक्ष में फैसला आने के बाद भी आदेश का पालन नहीं किया गया है।

अदालत ने कहा कि निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक से आदेश मिलने के बाद भी प्रार्थी को लाभ नहीं मिलना बहुत ही दुखद है। इस कठोर सच्चाई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने हाई कोर्ट के नए भवन के उद्घाटन के दौरान अपने संबोधन में उजागर किया था।

राष्ट्रपति ने क्या कहा था?

राष्ट्रपति ने उस दौरान कहा था कि कोर्ट से किसी पक्ष में आदेश मिल जाता है, लेकिन लंबी लड़ाई के बाद आदेश का पालन नहीं हो पाता है। अफसरशाही की लापरवाही से किसी फरियादी को कितना नुकसान उठाना पड़ता है इसका यह उदाहरण है।

सरकार को आदेश का पालन करने का निर्देश

अदालत ने सरकार को कोर्ट के आदेश का पालन करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा की यदि तीन अप्रैल तक आदेश का पालन नहीं किया गया, तो इस दिन अपराह्न चार बजे राज्य के मुख्य सचिव, भू राजस्व सचिव को संबंधित अधिकारियों को अदालत में सशरीर हाजिर होना होगा।

गुमला जिले का यह है पूरा मामला

इस संबंध में गुमला के सुरेंद्र प्रसाद चौधरी ने याचिका दायर की है। एक जमीन पर प्रार्थी के मालिकाना हक को लेकर विवाद चल रहा था। वर्ष 1979 से यह विवाद चल रहा था। इसके बाद निचली अदालत, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक मामला गया। सभी जगह से प्रार्थी के पक्ष में आदेश आया। अदालत ने सरकार को प्रार्थी के पक्ष में लगान रसीद काटने का निर्देश दिया।

निचली अदालत ने 1980 में, हाई कोर्ट ने वर्ष 2010 में और सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2021 में प्रार्थी के पक्ष में फैसला दिया। कोर्ट के फैसले के बाद जब प्रार्थी ने जमीन की रसीद काटने के लिए आवेदन दिया तो उसके आवेदन पर विचार नहीं किया गया और लगान रसीद नहीं काटा गया। इसके बाद प्रार्थी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की।

सरकार ने क्या दलील दी?

सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि इस जमीन पर एक अन्य ने दावा कर दिया है, जिस कारण निचली अदालत में दूसरा टाइटल सूट लंबित है। इस पर अदालत ने नाराजगी जताई और कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट तक ने वादी का जमीन पर मालिकाना हक ठहराया है तो फिर अधिकारी इस तरह की बात कैसे कह सकते हैं।

...नहीं तो मुख्य सचिव को भी होना होगा हाजिर

सुनवाई के दौरान गुमला के रायडीह के अंचलाधिकारी और बरकट्ठा के प्रखंड विकास पदाधिकारी भी मौजूद थे। अदालत ने सभी अधिकारियों को प्रार्थी की लगान रसीद काटने का निर्देश दिया और कहा कि यदि रसीद नहीं काटी गई तो अगली तिथि को इन अधिकारियों के साथ मुख्य सचिव और भू राजस्व सचिव को अदालत में हाजिर होना होगा।

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