न्यायिक पदाधिकारी नियुक्ति मामले में झारखंड हाई कोर्ट ने जेपीएससी से मांगा जवाब
Jharkhand News High Court Ki Khabren सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि जेपीएससी ने न्यायिक पदाधिकारियों की नियुक्ति के लिए 2018 में विज्ञापन निकाला था। उन्होंने आवेदन भरा था लेकिन उन्हें स्पोर्ट्स कोटा का लाभ नहीं दिया गया।
By Sujeet Kumar SumanEdited By: Updated: Tue, 15 Jun 2021 07:05 PM (IST)
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डाॅ. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में न्यायिक पदाधिकारियों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने जेपीएससी और राज्य सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई सात जुलाई को होगी। इस संबंध में मयंक सिंह ठाकुर ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर न्यायिक पदाधिकारियों की नियुक्ति को चुनौती दी है।
सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि जेपीएससी ने न्यायिक पदाधिकारियों की नियुक्ति के लिए वर्ष 2018 में विज्ञापन निकाला था। उन्होंने भी आवेदन भरा था, लेकिन उन्हें स्पोर्ट्स कोटा का लाभ नहीं दिया गया। जबकि उन्होंने स्पोर्ट्स से संबंधित सभी प्रमाणपत्र आवेदन के साथ संलग्न किए थे। इस पर जेपीएससी के अधिवक्ता संजय पिपरवाल और प्रिंस कुमार सिंह ने कहा कि प्रार्थी का स्पोर्ट्स कोटे के तहत इसलिए चयन नहीं हुआ कि प्रार्थी का स्पोर्ट से संबंधित प्रमाणपत्र विज्ञापन के अनुरूप नहीं था।
सरकार के वर्ष 2007 के संकल्प के अनुसार भारतीय ओलंपिक संघ से संबद्ध खेल फेडरेशन की ओर से आयोजित टूर्नामेंट में शामिल होने के प्रमाणपत्र पर ही उक्त कोटे का लाभ दिया जा सकता है, इसलिए प्रार्थी को इसका लाभ नहीं दिया गया। सुनवाई के बाद अदालत ने जेपीएससी और राज्य सरकार को 30 जून तक शपथ पत्र के माध्यम से अदालत में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई सात जुलाई को होगी।
माॅडल उत्तर पत्र से संबंधित याचिका खारिज झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डाॅ. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में दारोगा नियुक्ति में माॅडल उत्तर पत्र की गड़बड़ी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने प्रार्थी की याचिका को खारिज कर दिया। पूर्व में एकल पीठ की ओर से याचिका खारिज किए जाने के बाद प्रार्थी सोनू कुमार व उपेंद्र कुमार ने हाई कोर्ट में अपील दाखिल की थी।
सुनवाई के दौरान जेएसएससी की ओर से अदालत को बताया गया कि इस मामले में प्रार्थी ने एकल पीठ में याचिका को वापस ले लिया था। बाद में प्रार्थी ने आवेदन देकर फिर से उक्त मामले को मेरिट के आधार पर सुनवाई करने की गुहार लगाई, लेकिन अदालत ने आवेदन को खारिज कर दिया। ऐसे में उक्त याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। इसके बाद अदालत ने प्रार्थी की याचिका को खारिज कर दिया।
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