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श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्विद्यालय के कर्मियों को झारखंड हाइकोर्ट ने दी राहत, वेतन वसूली के आदेश पर लगाई रोक

प्रदेश हाईकोर्ट ने रांची के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के तृतीय एवं चतुर्थवर्गीय कर्मियों को राहत देते हुए वेतन से राशि वसूली करने वाले आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने सभी कर्मियों को निर्देश देते हुए कहा है कि ज्यादा वेतन वसूलने के संबंध में जारी किए गए आदेश के आलोक में विश्वविद्यालय को आवेदन दें। विश्वविद्यालय को इन आवेदनों पर दोबारा से विचार करना चाहिए।

By Manoj Singh Edited By: Shoyeb Ahmed Updated: Sat, 10 Aug 2024 09:02 PM (IST)
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श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्विद्यालय के कर्मियों के वेतन वसूली के आदेश पर को झारखंड हाइकोर्ट ने लगाई रोक (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट से डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के तृतीय एवं चतुर्थवर्गीय कर्मियों को राहत मिली है। अदालत ने वेतन से राशि वसूली के विश्वविद्यालय के आदेश पर रोक लगा दी है।

अदालत ने सभी कर्मियों को निर्देश दिया है कि वह अत्यधिक वेतन की वसूली के संबंध में निकाले गए आदेश के आलोक में विश्वविद्यालय को आवेदन दें और विश्वविद्यालय इन आवेदनों पर फिर से विचार करें। उक्त निर्देश के साथ अदालत ने याचिका निष्पादित कर दी।

याचिका में क्या कहा गया?

इस संबंध में मनोज कुमार एवं 37 अन्य कर्मियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया है कि विश्वविद्यालय ने अपने तृतीय और चतुर्थवर्गीय कर्मियों को अत्यधिक वेतन भुगतान वापसी के संबंध में पत्र जारी किया है।

जिसमें कहा गया है कि सातवें वेतनमान के तहत विश्वविद्यालय ने उन्हें अधिक वेतन भुगतान कर दिया है, इसलिए उन्हें दिए गए अतिरिक्त वेतन वापस करना होगा। प्रार्थियों की ओर से कहा गया कि विश्वविद्यालय का यह आदेश गलत है और अतिरिक्त वेतन नहीं दिया गया है।

सातवें वेतनमान की सिफारिश के आलोक में लाभ देने का लिया था निर्णय

अदालत को बताया गया कि झारखंड सरकार के वित्त विभाग के अधिसूचना 18 जनवरी 2017 के तहत राज्य के सभी कर्मियों के एक जनवरी 2016 से केंद्रीय सातवें वेतनमान की सिफारिश के आलोक में लाभ देने का निर्णय लिया गया था।

इसके आलोक में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय ने 25 जनवरी 2023 को अधिसूचना जारी की। जिसके तहत सातवां वेतनमान का लाभ कर्मियों को एक जनवरी 2016 से दिए जाने का निर्णय लिया। विश्वविद्यालय के द्वारा सभी बकाया वेतन कर्मियों एवं शिक्षकों को प्रदान किया गया।

लेकिन 25 जून 2024 को अचानक विश्वविद्यालय ने अपने तृतीय एवं चतुर्थवर्गीय कर्मियों के वेतन से करीब 16 लाख रुपये की वसूली के लिए पत्र निर्गत किया। इस वर्ष जुलाई माह में कर्मियों के वेतन से करीब 22 हजार रुपये की वसूली भी कर ली।

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