अवैध निर्माण पर हाईकोर्ट सख्त, तीन सदस्यीय वकीलों की कमेटी गठित; जमशेदपुर में 1246 भवनों की करेगी जांच
झारखंड हाईकोर्ट ने जमशेदपुर में अवैध तरीके से बनाए गए भवनों की जांच के लिए वकीलों की कमेटी गठित किया है। इस कमेटी का गठन हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा व जस्टिस आनंद सेन की बेंच ने किया है। आरोप है कि जमशेदपुर में नोटिफाइड एरिया कमेटी और जिला प्रशासन की मिलीभगत से नियमों की अनदेखी कर 1246 भवनों का निर्माण कराया गया है।
राज्य ब्यूरो, रांची। जमशेदपुर में नक्शा विचलन और सरकारी भूमि का अतिक्रमण कर बने भवनों की स्थलीय जांच के तीन सदस्यीय अधिवक्ताओं की कमेटी गठित की गई है।
झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी में वरीय अधिवक्ता आरएन सहाय, सुदर्शन श्रीवास्तव और पांडेय नीरज राय को शामिल किया गया है।
1998 से अब तक बने भवनों की जांच होगी
मामले में याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने बताया कि यह कमेटी 1998 से अब तक बने भवनों की जांच करेगी क्योंकि जमशेदपुर में जी प्लस तीन से अधिक ऊंचा भवन नहीं बनाया जा सकता है।
हालांकि, टाटा, जमशेदपुर नोटिफाइड एरिया कमेटी और जिला प्रशासन की मिलीभगत से 1246 भवनों के निर्माण में नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया गया है।
आठ नवंबर को मामले में अगली सुनवाई
इस मामले में अगली सुनवाई आठ नवंबर को तिथि निर्धारित की गई है। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि यह कमेटी को कोर्ट के आदेश सहित याचिका कॉपी उपलब्ध कराई जाए।
कमेटी जमशेदपुर उपायुक्त को सूचना देकर जांच करने जाएगी। इस संबंध में राकेश कुमार झा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है।
हाईकोर्ट ने खुद संज्ञान लिया
प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने अदालत को बताया कि 2011 में हाईकोर्ट ने सरकारी जमीन पर अतिक्रमण और नक्शा विचलन कर निर्माण पर स्वत: संज्ञान लिया था।
अदालत ने पूरे राज्य में इस तरह के मामलों में कार्रवाई का निर्देश दिया था, लेकिन जमशेदपुर में कोर्ट के आदेश का पालन ही नहीं किया गया।
सुनवाई के दौरान जमशेदपुर के उपायुक्त ने शपथ पत्र में कहा कि इस तरह के मामलों में कार्रवाई की जाएगी। अधिवक्ता ने कहा कि जमशेदपुर में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है, बल्कि म्यूनिसिपल एक्ट 2011 के प्रविधानों का उल्लंघन करते हुए जी प्लस 9 तक का भवन बना लिया गया है।
इतना ही नहीं, बिल्डरों ने पार्किंग की जगहों को कॉमर्शियल उपयोग के लिए बेच दिया है। लोगों के वाहन सड़क पर खड़े किए जा रहे हैं। बिल्डरों ने बिना उपयोगिता और कार्य पूरा करने के प्रमाण पत्र जमा किए ही भवनों में रहने वालों को बिजली और पानी का कनेक्शन दे दिया है।
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हाईकोर्ट ने इन बिंदुओं पर मांगी कमेटी से जांच रिपोर्ट
- क्या भवनों के निर्माण में बिल्डिंग बाइलाज और स्वीकृत योजनाओं (नक्शा) का उल्लंघन हुआ है?
- क्या जमशेदपुर उपायुक्त और अक्षेष आवासीय और वाणिज्यिक मकानों के निर्माण को नियंत्रित करने वाले नियमों के अनुपालन के लिए कोई कदम उठा रहे हैं?
- क्या यातायात नियमों का कोई उल्लंघन हुआ है, क्या प्रत्येक बाजार के पास वाहन पार्किंग के लिए पर्याप्त जगह है। अगर अनाधिकृत पार्किंग पाई गई तो उसकी सूचना दी जाए?
- आयोग यह भी रिपोर्ट करेगा कि क्या वर्ष 2011 में जनहित याचिका में पारित 28 फरवरी 2011 एवं 12 जुलाई 2011 के आदेशों अनुपालन किया गया है अथवा नहीं?
नक्शा पास करने के लिए टाटा जिम्मेदार- अखिलेश
प्रार्थी के अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने बताया कि जमशेदपुर में टाटा स्टील नक्शा पास करने के लिए जिम्मेदार है। पहले नक्शा टाटा के पास जाता है।
फिर उपायुक्त उसे स्वीकृति देते हैं। इसके बाद जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र कमेटी उसको अनुमोदित करती है।
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