Jharkhand: निजी अस्पताल की करतूत! प्रसूता को बनाया बंधक, बकरी के दूध पर 24 दिन जिंदा रहा नवजात, फिर...
बिल नहीं जमा करने पर जेनेटिक अस्पताल प्रबंधन ने एक महिला को नवजात से अलग कर बंधक बना लिया था और अब इस मामले पर झारखंड हाई कोर्ट ने स्वत संज्ञान लेते हुए रांची के सिविल सर्जन को अस्पताल के मामले जांच करने का निर्देश दिया है और इसके अलावा कोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव को भी मामले की जांच रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट ने बिल जमा नहीं करने पर जेनेटिक अस्पताल प्रबंधन द्वारा एक महिला को नवजात से अलग कर बंधक बनाने के मामले पर शुक्रवार को स्वत: संज्ञान लिया है।
जस्टिस आर मुखोपाध्याय व जस्टिस दीपक रोशन की अदालत ने संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य सचिव को मामले की जांच कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।अदालत ने रांची के सिविल सर्जन को अस्पताल के निबंधन की जांच करने का भी निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 18 जुलाई को होगी।
शुक्रवार को मामले की हुई सुनवाई
शुक्रवार को रिम्स से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान अदालत को मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया गया कि जेनेटिक अस्पताल ने मरीज के साथ अमानवीय व्यवहार किया है। रनिया के बनावीरा नवाटोली निवासी सुनीता कुमारी को 28 मई को प्रसव पीड़ा होने पर खूंटी सदर अस्पताल ले जाया गया था।वहां से उसे रिम्स रेफर कर दिया गया, यहां आते ही एक ऑटो चालक ने महिला के पति मंगलू को झांसा देकर जेनेटिक अस्पताल ले गया, जहां महिला ने बच्चे को जन्म दिया। अस्पताल प्रबंधन ने मंगलू से चार लाख रुपये मांगे गए। मंगलू ने जमीन बेचकर दो लाख अस्पताल को दिए।
अस्ताल प्रबंधन ने बनाया बंधक
शेष दो लाख देने में असमर्थता जताई। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने सुनीता को बंधक बना लिया था। सूचना मिलने पर सीआईडी की टीम ने 27 जून को सुनीता को अस्पताल से मुक्त कराया।कोर्ट को यह भी बताया गया कि जब अस्पताल प्रबंधन ने महिला के पति को नवजात शिशु के साथ घर भेज दिया तो उसने बकरी का दूध पिलाकर शिशु को जिंदा रखा। जब उसकी पत्नी अस्पताल से मुक्त होकर गुरुवार को घर पहुंची तो करीब 23 दिन के बाद बच्चे ने अपनी मां का दूध पिया। इस मामले में सीडब्ल्यूसी ने भी संज्ञान लिया है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।