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स्टोन बोल्डर को चिप्स बनाने पर देनी होगी रॉयल्टी, हेमंत सरकार के आदेश को HC की हरी झंडी

झारखंड हाई कोर्ट ने खनन के बाद स्टोन बोल्डर और स्टोन चिप्स पर अलग-अलग रॉयल्टी वसूलने के राज्य सरकार के आदेश को सही ठहराया है। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार को खनन के बाद निकले खनिज की प्रकृति बदलने के बाद उस पर अलग-अलग रॉयल्टी चार्ज करने का अधिकार है। इस फैसले से 120 याचिकाएं खारिज हो गई हैं।

By Jagran News Edited By: Rajat Mourya Updated: Tue, 24 Sep 2024 02:45 PM (IST)
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झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एसएन प्रसाद व जस्टिस एके राय की खंडपीठ ने खनन के बाद स्टोन बोल्डर एवं उसकी प्रकृति बदलकर स्टोन चिप्स बनाने पर दोनों की अलग-अलग रायल्टी लिए जाने के सरकार के आदेश को सही ठहाराया है। सोमवार को इस मामले का फैसला सुनाते हुए अदालत ने इस निर्णय को चुनौती देने वाली 120 याचिकाएं खारिज कर दी।

अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि खनन के बाद निकले खनिज की प्रकृति बदलने के बाद उसकी अलग-अलग रायल्टी चार्ज करने का राज्य सरकार को अधिकार है। राज्य सरकार की ओर से स्टोन बोल्डर की रायल्टी 125 प्रति सीएफटी और स्टोन चिप्स के लिए रॉयल्टी 250 रुपये प्रति सीएफटी की दर निर्धारित की गई है।

जिसे प्रार्थियों ने हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा था कि खनन के बाद निकले खनिज की प्रकृति या स्वरूप बदलने के बाद उसकी अलग-अलग रायल्टी निर्धारित करने का अधिकार राज्य सरकार को नहीं है।

राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि स्टोन बोल्डर माइनर मिनरल है। माइनर मिनरल में राज्य सरकार का अधिकार असीमित है। संसद ही इसपर प्रतिबंध लगा सकती है। राज्य सरकार को एमएमडीआर एक्ट के तहत रूल बनाने का अधिकार है। केंद्र सरकार ने स्टोन बोल्डर को माइनर एवं मिनरल नोटिफाई किया है। स्टोन बोल्डर को माइनर एवं मिनरल के रूप में केंद्र सरकार ने घोषित किया है।

राज्य सरकार खनन के बाद निकले खनिज को सब क्लासीफाइड कर अलग-अलग रायलटी दर निर्धारित कर सकती है। प्रार्थी की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि खनन के बाद जो खनिज निकलता है, सरकार उस पर रायल्टी चार्ज कर सकती है। खनन से निकले खनिज का स्वरूप या प्रवृत्ति बदलने के बाद उसकी अलग-अलग रायल्टी नहीं ली जा सकती है।