मानगो नाबालिग दुष्कर्म मामले में झारखंड हाईकोर्ट का फैसला, स्वास्थ्य मंत्री के भाई सहित 22 पर चलेगा मुकदमा
झारखंड हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्री के भाई सहित अन्य 22 की याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें निचली अदालत ने मानगो नाबालिग से दुष्कर्म मामले में आरोपित बनाए जाने का आदेश दिया था। सभी की ओर से हाईकोर्ट में निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी। सोमवार को अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि निचली अदालत का आदेश बिल्कुल सही है।
By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Mon, 21 Aug 2023 04:15 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्री के भाई सहित अन्य 22 की याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें निचली अदालत ने मानगो नाबालिग से दुष्कर्म मामले में आरोपित बनाए जाने का आदेश दिया था। सभी की ओर से हाईकोर्ट में निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी।
हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया
अदालत ने सभी को सीआरपीसी धारा 319 (आरोपित बनाने) के तहत नोटिस जारी कर आरोपित बनाने का आदेश दिया था। पूर्व में सभी की ओर से बहस पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सोमवार को अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि निचली अदालत का आदेश बिल्कुल सही है। इसमें हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है। सभी को निचली अदालत में ट्रायल फेस करना होगा।
कोर्ट में पीड़िता ने सभी आरोपितों का लिया था नाम
पिछली सुनवाई के दौरान पीड़ित की ओर से अधिवक्ता देवेश आजमानी की ओर से कहा गया कि पीड़िता ने जमशेदपुर एसएसपी को नवंबर 2017 में आवेदन दिया था, लेकिन दो माह बाद जनवरी 2018 में प्राथमिकी दर्ज की गई।
प्राथमिकी के बाद बयान में पीड़िता ने सभी आरोपितों का नाम लिया था। इसके अलावा कोर्ट में गवाही के दौरान भी पीड़िता ने पूरी घटना के बारे में जानकारी दी। ऐसे में निचली अदालत का आदेश बिल्कुल सही है। इससे पहले निचली अदालत की ओर से आरोपित बनाए जाने के आदेश को चुनौती देने वाले 16 आरोपितों की ओर से बहस पूरी कर ली गई है।
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता का भाई भी है आरोपित
इस मामले में आरोपित स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के भाई गुड्डू गुप्ता सहित अन्य की ओर से अदालत को बताया गया कि उनका नाम न तो प्राथमिकी में था और न ही पीड़िता के बयान में आया था, लेकिन अदालत ने दो साल बाद उन्हें सीआरपीसी की धारा 319 (आरोपित बनाना) के तहत नोटिस जारी कर आरोपित बनाया है। उक्त आदेश को निरस्त कर देना चाहिए।
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