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'फाइल' लाखों की 'फोल्डर' करोड़ों का; झारखंड अवैध खनन मामले में भ्रष्टाचार की पोल खोल रही ED के हाथ लगी डायरी

Jharkhand Illegal Mining Case साहिबगंज में 1000 करोड़ के अवैध खनन मामले में मनी लांड्रिंग के तहत ईडी ने सरकार को अपनी जांच रिपोर्ट भेजी है। जिसमें उसने बड़ा खुलासा किया है। आदिवासी कल्याण आयुक्त बनाने के लिए आईएएस कामेश्वर सिंह से राजीव अरुण एक्का ने एक करोड़ रुपये लिए थे। ईडी की रिपोर्ट के अनुसार भ्रष्टाचार का पूरा खेल कोड में होता था।

By Jagran NewsEdited By: Monu Kumar JhaPublished: Sun, 01 Oct 2023 01:02 PM (IST)Updated: Sun, 01 Oct 2023 01:21 PM (IST)
साहिबगंज में 1000 करोड़ का अवैध खनन मामला। फोटो जागरण

 राज्य ब्यूरो, रांची। Sahibganj Illegal Mining Case : साहिबगंज में 1000 करोड़ के अवैध खनन मामले में मनी लांड्रिंग के तहत अनुसंधान कर रही ईडी(ED) ने अपनी जांच रिपोर्ट में बड़ा खुलासा किया है। जांच के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रधान सचिव रह चुके राजीव अरुण एक्का के विरुद्ध भ्रष्टाचार (corruption case) का बड़ा मामला सामने आया है। नेताओं व नौकरशाहों के निवेशक विशाल चौधरी की डायरी से मिले करोड़ों रुपये के लेन-देन, आइएएस राजीव अरुण एक्का (IAS Rajeev Arun Ekka) से पूछताछ में ईडी को कई चौंकाने वाले सबूत मिले हैं।

करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार के सबूत मिलने के बाद ईडी ने राज्य सरकार को पूरी रिपोर्ट भेजी है और इस मामले में एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश की है। ईडी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि राजीव अरुण एक्का ने विशाल चौधरी के साथ मिलकर भ्रष्टाचार किया है।

उन्होंने अपनी काली कमाई अपनी बेटी व पत्नी के वेतन के नाम पर दिखाई है। एक व्हाट्सएप चैट भी ईडी (ED Case) ने सरकार से साझा किया है। जो विशाल व उसकी पत्नी के बीच की है।

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इस चैट के अनुसार राजीव अरुण एक्का (Rajeev Arun Ekka Case) ने विशाल चौधरी के माध्यम से आईएएस अधिकारी मनोज कुमार से जैप आइटी में सीईओ पद पर पोस्टिंग के एवज में 50 लाख रुपये लिए। वहीं, आईएएस कामेश्वर सिंह को आदिवासी कल्याण आयुक्त बनाने के लिए एक करोड़ रुपये की रिश्वत ली थी। रुपयों का लेन-देन विशाल करता था। लेन-देन से संबंधित उसने डायरी भी बना रखी थी।

 एक्का का बहनोई केसरी व विशाल ने मिलकर खपाया काला धन

ईडी (ED News) ने राज्य सरकार को बताया है कि राजीव अरुण एक्का (Rajeev Arun Ekka) का काला धन उनके बहनोई निशिथ केसरी व करीबी विशाल चौधरी ने खपाया। विशाल चौधरी की अपनी कंपनी एफजीएस कंस्ट्रक्शन नाम से है। जिसमें उसने राजीव अरुण एक्का (Rajeev Arun Ekka Case) के बहनोई निशिथ केसरी  (Nishith Kesari) को भी निदेशक बना रखा था। इसमें निशिथ केसरी के मुनाफे की राशि राजीव अरुण एक्का के पारिवारिक सदस्यों के खाते में जमा हुए।

वहीं, निशिथ केसरी (Nishith Kesari) की एक अन्य कंपनी एनकेपीसीएल डेवलपर भी जिसमें विशाल का 60 प्रतिशत हिस्सा है। यहां विशाल ने अपनी काली कमाई के चार करोड़ रुपये से पुंदाग में 59 डिसमिल जमीन खरीदी। विशाल चौधरी ने अपने सहयोगियों के माध्यम से निशिथ केसरी को 1.36 करोड़ रुपये दिए।

इसके बाद निशिथ  (Nishith Kesari) ने उस राशि को बैंकों के माध्यम से विशाल चौधरी को वापस कर दिया। आईएएस राजीव अरुण एक्का ने विशाल चौधरी के साथ मिलकर बाजार से तीन गुणा से भी अधिक कीमत पर सामान खरीदे। इसमें बाजार मूल्य व आपूर्ति मूल्य के बीच जो अंतर आया उसका 50 प्रतिशत उन्होंने कमीशन के रूप में लिया।

कोड में होता था भ्रष्टाचार का पूरा खेल

ईडी की रिपोर्ट के अनुसार भ्रष्टाचार का पूरा खेल कोड में होता था। विशाल चौधरी के यहां से ईडी को जो डायरी मिली थी, उसमें राजीव अरुण एक्का के लिए आरएस व आरएई लिखा था। उसने अपनी पत्नी श्वेता सिंह चौधरी के लिए एसएससी जैसे कोड वर्ड का इस्तेमाल किया। पैसों की लेन-देन में लाख के लिए फाइल व करोड़ के लिए फोल्डर जैसे कोड वर्ड का इस्तेमाल किया गया था।

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