Jharkhand Tourism: देश-विदेश के पर्यटकों का खूब भा रहा झारखंड, जुलाई से फरवरी तक इन जगहों पर लगी रहती है भीड़
Jharkhand Tourism झारखंड में कोरोना काल के बाद से पर्यटन का दायरा बढ़ा है। साथ ही पर्यटन से जुड़े व्यापार को भी फायदा हुआ है। सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए 2023-24 के आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। 2013-2019 के बीच घरेलू पर्यटकों की संख्या में 1.5 प्रतिशत और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों की वृद्धि दर 4.7 प्रतिशत थी।
राज्य ब्यूरो, रांची। कोविड प्रतिबंधों में राहत के साथ ही झारखंड में पर्यटन उद्योग का पुनरुत्थान हुआ है। विधानसभा में राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए वर्ष 2023-24 के आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है। साल 2013 से 2019 के बीच झारखंड में घरेलू पर्यटकों की संख्या में औसत वृद्धि 1.5 प्रतिशत थी और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों की वृद्धि दर 4.7 प्रतिशत थी।
इसके बाद कोविड का दौर प्रारंभ हो गया, लेकिन इसके समाप्त होते ही राष्ट्रीय पर्यटकों की संख्या में 31.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। साल 2022 में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों की संख्या में 234.1 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई और यह 1,637 से 1,92,319 तक पहुंच गई।
जुलाई से फरवरी तक आते हैं पर्यटक
आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक झारखंड में पर्यटकों का प्रवाह सावन के महीने में सबसे ज्यादा होता है। जुलाई, अगस्त और दिसंबर, जनवरी, फरवरी तक यहां पर्यटकों का आना शीर्ष पर होता है। पर्यटन रैंकिंग में झारखंड को 2019 में 23वां स्थान मिला था। राज्य सरकार ने पर्यटन के विकास के लिए एक खास नीति भी बनाई है।इसमें भूमि के आवंटन, सड़क, रेल और हवाई परिवहन, उर्जा में निजी क्षेत्र की भागीदारी और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश शामिल है।
कला संस्कृति और खेल नीति का भी मिल रहा लाभ
राज्य सरकार ने अपनी खेल नीति में स्थानीय खेलों को प्राथमिकता देना शुरू किया है। राज्य की सांस्कृतिक विरासत पर जनजातियों के प्रभुत्व को देखते हुए इनकी विरासत को संरक्षित किया जा रहा है। छऊ, खड़िया जैसे सांस्कृतिक नृत्यों के जीवंत प्रदर्शन की व्यवस्था की गई है।आदिवासी कल्याण के लिए हो रहा काम
झारखंड की सामाजिक संरचना में विविध जनसमुदाय की भागीदारी है। हाल ही में राज्य सरकार ने कानूनी संशोधन से कुछ जातियों को अनुसूचित जनजातियों की मान्यता दी है।
सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना-2011 के अनुसार केवल 6.08 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति परिवार और 8.2 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति परिवार में ही वेतनभोगी लोग हैं। वंचित वर्ग को सहायता देने के लिए राज्य सरकार छात्रवृति जैसी योजनाएं चला रही है।ये भी पढ़ें- Geeta Kora: गीता कोड़ा की 'पलटी' पर भाजपा नेता का आया बड़ा बयान, झारखंड में सियासी हलचल तेज
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