हेमंत सोरेन जाएंगे या बचेंगे... झारखंड में उलटफेर कितना आसान, कितना मुश्किल... आप भी जानिए
Jharkhand Latest News झारखंड में अभी सियासी संकट की स्थिति है। चुनाव आयोग से खदान लीज मामले में कार्रवाई की चेतावनी मिलने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर अयोग्यता का खतरा मंडरा रहा है। इस बीच प्रवर्तन निदेशालय ईडी की कार्रवाई से सियासत में खलबली मची है।
रांची, [जागरण स्पेशल]। Jharkhand Latest News झारखंड में सियासी संकट की स्थिति लगातार प्रबल होती जा रही है। एक तरफ चुनाव आयोग से अपने नाम पर खदान लीज लेने के मामले में कार्रवाई की कड़ी चेतावनी के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर अयोग्यता का खतरा मंडरा रहा है। वहीं दूसरी तरफ हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा के ठिकानों पर ईडी की ताबड़तोड़ छापेमारी के बाद से राज्य सरकार भारी दबाव में है। राज्य सरकार पर सत्ता पोषित भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लग रहे हैं। इसके साथ ही खनन माफिया के प्रति नरम रुख रखने की बात भी सामने आ रही है। जनता में इन गंभीर मसलों पर कोई स्पष्ट संदेश नहीं होने से असमंजस के हालात बने हैं। चौक-चौराहों पर पक्ष-विपक्ष में जितना मुंह, उतनी बातें हो रही हैं। सियासी अटकलों पर गौर करें तो महाराष्ट्र की तर्ज पर झारखंड में भी सियासी उलटफेर के कयास लगाए जा रहे हैं। उद्धव ठाकरे के अपदस्थ होने और शिवसेना में बड़ी टूट की तरह झामुमो, झारखंड मुक्ति मोर्चा के टूटने की संभावना भी जताई जा रही है। पश्चिम बंगाल में भाजपा के बड़े नेता सुवेंदु अधिकारी ने पहले ही दावा किया है कि महाराष्ट्र के बाद झारखंड का नंबर आएगा। यहां भी हेमंत सोरेन का जाना तय है।
द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने पर कांग्रेस से खटपट
इधर, द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने पहले ही बड़ा आदिवासी दांव खेला। जिसमें उलझकर अंतत: आदिवासी हित की राजनीति करने वाली झामुमो ने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन का एलान कर दिया। जबकि जेएमएम झारखंड की सत्ता में कांग्रेस और राजद की साझीदार है। ये दोनों पार्टियां संयुक्त विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को समर्थन दे रहे हैं। ऐसे में झामुमो और कांग्रेस के बीच खटपट की आहट भी साफ सुनी जा रही है। हालांकि, कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व या फिर आलाकमान की ओर से अबतक कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। दो दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के झारखंड, देवघर आगमन पर सीएम हेमंत सोरेन की अगुआई में झारखंड सरकार ने पीएम के स्वागत में पलक पांवड़े बिछाए थे। तब हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री को परम आदरणीय कहकर संबोधित किया था। ऐसे में भाजपा और झामुमो की नजदीकियां बढ़ने की अटकलें भी जोरों पर लगीं।
पहले परम आदरणीय पीएम मोदी, अब झामुमो ने सुनाई खरी-खोटी
उधर, शनिवार को एक बार फिर झारखंड में सत्तारुढ़ दल झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए एक पर एक कई गंभीर आरोप लगाए। पार्टी ने यहां तक कह दिया कि महाराष्ट्र की तरह झारखंड सरकार को भी भाजपा खा जाना चाहती है। इसके लिए ईडी को बीजेपी एजेंट बनाकर राज्य में इस्तेमाल किया जा रहा है। जबकि झामुमो की सहयोगी कांग्रेस के मंत्री ईडी की कार्रवाई का समर्थन करते हुए पहले ही कह चुके हैं कि प्रवर्तन निदेशालय झारखंड का कचरा साफ कर रहा है। इस बीच गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दूबे हेमंत सोरेन के खिलाफ खासे आक्रामक दिख रहे हैं। वे लगातार उनसे इस्तीफा की मांग कर रहे हैं, साथ ही सोशल मीडिया ट्विटर के जरिये जमकर सरकार पर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं। निशिकांत ने ताजा हालातों से इतर पहले ही दावा किया है कि हेमंत सोरेन को अपने नाम पर खदान लीज लेने के मामले में अंतत: मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना होगा। इसके बाद झारखंड की सरकार खुद-ब-खुद गिर जाएगी।
निशिकांत दूबे ने किया झामुमो में टूट का दावा
भाजपा सांसद निशिकांत दूबे ने हाल में ही एक मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में कहा कि झामुमो, हेमंत सोरेन की सरकार अब चंद दिनों की मेहमान है। राज्य सरकार और मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। उन्हें हर हाल में जाना ही होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी कीमत पर भ्रष्टाचार से समझौता नहीं करेंगे। भाजपा नेता ने कहा है कि झामुमो में बहुत जल्द आंतरिक संघर्ष की स्थिति बनेगी। गुरुजी शिबू सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा कम से कम पांच भाग में बंटेगी। झामुमो के अंत की भविष्यवाणी करते हुए उन्होंने कहा कि 2022 जेएमएम का अंतिम वर्ष साबित होगा। हेमंत सोरेन से निजी खुन्नस, व्यक्तिगत दुश्मनी के सवाल पर निशिकांत ने कहा कि उन्हाेंने मुझ पर 32 केस कराए हैं। जिसका मैं अपने तरीके से जवाब दे रहा हूं।
हेमंत सोरेन पर उठे हैं गंभीर सवाल
हाल के दिनों में झामुमो नेतृत्व की ईमानदारी पर गंभीर सवाल उठे हैं। भाजपा ने सीएम रहते हेमंत सोरेन का खान पट्टा लेना, अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को 11 एकड़ सरकारी जमीन देना, बसंत सोरेन का माइनिंग कंपनी चलाना, मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार और विधायक प्रतिनिधि को खदान लीज दिलाने को बड़ा मुद्दा बनाते हुए राज्यपाल रमेश बैस से शिकायत की है। भाजपा के बड़े नेता ने हेमंत सरकार को गिराने में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष भूमिका से इंकार करते हुए दावा किया कि झारखंड का सत्ता शीर्ष ईमानदार नहीं है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके परिवार के पास 150 करोड़ से अधिक की बेनामी संपत्ति है। वे अपनी करनी से ही अपनी कुर्सी गंवाएंगे। कहा, हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता जाने की स्थिति में वे अपने परिवार के सदस्य को मुख्यमंत्री बनाना चाहेंगे। जिसका झामुमो के जमीनी आदिवासी नेता विरोध करेंगे। बगावत के चलते झामुमो कम से कम पांच भाग में बंट जाएगा। क्योंकि, झामुमो का नेतृत्व भ्रष्टाचार और दलालों के कब्जे में है।
ईडी, प्रवर्तन निदेशालय झारखंड में भाजपा के एजेंट के रूप में काम कर रहा है। महाराष्ट्र की तरह झारखंड में भी उलटफेर की ताक में जुटी भाजपा की कोई चाल यहां कामयाब नहीं हो पाएगी। झामुमो के कार्यकर्ता, नेता, सांसद सड़क से लेकर संसद, न्यायालय तक लड़ाई लड़ेंगे। सुप्रियो भट्टाचार्य, झामुमो महासचिव