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हेमंत ने पत्र में क्या लिखा? जिसे पूरा पढ़े बिना भावुक हो गए थे चंपई, सियासी गहमागहमी के बीच JMM ने बताई अंदर की बात

Jharkhand Politics पूर्व सीएम चंपई सोरेन के भाजपा में जाने के बाद झारखंड की सियासत तेज है। अब झामुमो लगातार चंपई पर हमलावर है। पार्टी ने चंपई को लेकर ढेर सारी अंदर की बात बताई है। झामुमो ने नए बयान में कहा कि चंपई ने गुरुजी (शिबू सोरेन) का फोन नहीं उठाया वह महत्वाकांक्षा को लेकर भाजपा में शामिल हुए।

By Jagran News Edited By: Mukul Kumar Updated: Mon, 02 Sep 2024 11:13 AM (IST)
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सीएम हेमंत सोरेन और भाजपा नेता चंपई सोरेन। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, रांची। भाजपाई बनने के बाद लगातार सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) पर हमलावर हुए पूर्व सीएम चंपई सोरेन ने पार्टी अध्यक्ष गुरुजी (शिबू सोरेन) का भी फोन नहीं उठाया। गुरुजी को उनपर बहुत विश्वास था। उसी अनुरूप मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी उनका अत्यधिक सम्मान किया।

झामुमो महासचिव सह प्रवक्ता विनोद पांडेय के मुताबिक राजनीतिक महत्वाकांक्षा की वजह से चंपई सोरेन भाजपाई बने हैं। यही हाल लोबिन हेम्ब्रम का है।

उन्होंने कहा है कि भाजपा की ओर से झारखंड में पैदा की जा रही परिस्थितियों से झामुमो वाकिफ है और पार्टी हर स्तर पर मुकाबला करने के लिए तैयार है। व्यक्ति कभी भी संगठन से बड़ा नहीं होता। व्यक्ति को संगठन ही महान बनाता है।

विनोद पांडेय ने कहा कि 1980 में  चंपई सोरेन झामुमो में शामिल हुए और तब से वह गुरुजी के संघर्षों में साथी रहे। पार्टी ने उन्हें संगठन, विधानसभा, संसद और जब भी सत्तासीन हुई, तब मंत्री बनाया, जो सम्मान और अवसर चंपई सोरेन को हासिल हुआ, उतना परिवार और पार्टी में शायद ही किसी को मिला है।

हेमंत सोरेन ने दिया था बंद लिफाफा

उन्होंने कहा कि जेल जाने से पहले आईएनडीआईए की बैठक में तत्कालीन राजनीतिक परिस्थितियों को देखते खते हुए हेमंत सोरेन ने एक बंद लिफाफा दिया और बोले कि जब वे यहां से चले जाएंगे तब इसे खोला जाए। उनके जाने के बाद लिफाफा खोला गया।

विनोद ने बताया कि उसमें हेमंत सोरेन ने चंपई  सोरेन को अपना अभिभावक बताते हुए उन्हें गठबंधन का नेतृत्व सौंपते हुए मुख्यमंत्री बनाने की बात लिखी थी। पूरी बातें चंपई सोरेन पढ़ भी नहीं पाए और भावुक हो गए। अब वे झामुमो में अपमानित किए जाने की बात कह रहे हैं। 

विनोद पांडेय ने कहा कि लोबिन हेम्ब्रम की राजनीतिक महत्वाकांक्षा भी किसी से छुपी नहीं है। उन्हें भी विधायक से लेकर मंत्री तक बनाया, लेकिन बदले में लोबिन विधानसभा के अंदर - बाहर नेतृत्व को ही कटघरे में खड़ा करते रहे।

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