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Jharkhand News: हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा पत्र, सरना धर्म कोड को लेकर कह दी यह बात

झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। इसके जरिए उन्‍होंने सरना धर्म कोड की मांग पर सरकार को उचित फैसला लेने का आग्रह किया है। सरना धर्म कोड की मांग काफी लंबे समय से की जा रही है। सरना धर्मावलंबी प्रकृति के उपासक हैं और मूर्ति पूजन में यकीन नहीं रखते हैं। ये अपने लिए एक अलग धर्म चाहते हैं।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenPublished: Wed, 27 Sep 2023 12:40 PM (IST)Updated: Wed, 27 Sep 2023 12:40 PM (IST)
मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखा पत्र।

जासं, रांची। Jharkhand News: झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन ने आदिवासी समुदाय के समुचित विकास के लिए सरना धर्मावलंबियों को जनगणना कोड में शामिल करने की मांग की है। उन्‍होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सरना धर्म कोड पर सकारात्‍मक निर्णय लेने का आग्रह किया है, जिसकी मांग काफी लंबे समय से की जा रही है। 

मैंने पत्र लिखकर माननीय प्रधानमंत्री आदरणीय श्री @narendramodi जी से देश के करोड़ों आदिवासियों के हित… pic.twitter.com/svvzDaTq7C— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) September 27, 2023

क्‍या है सरना धर्म कोड

दरअसल, सरना धर्म कोड का मतलब यह है कि जब देश में जनगणना कराई जाती है, तो हर व्‍यक्ति को एक फॉर्म मिलता है। इसमें हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, जैन, सिख और बौद्ध धर्म के लिए कॉलम बना रहता है।

सरना धर्म को मानने वाले लोगों का कहना है कि फॉर्म में दूसरे धर्मों की तरह सरना धर्म के लिए एक अलग से कॉलम बनाया जाए। 

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कौन हैं सरना को मानने वाले

सरना वे लोग होते हैं, जो मूर्ति पूजा में यकीन नहीं रखते हैं और प्रकृति की पूजा करते हैं। भारत में आदिवासी समुदाय का एक बड़ा हिस्‍सा सरना धर्म को मानते हैं और झारखंड में इनकी संख्‍या सबसे अधिक है।

इसके अलावा, ओडिशा, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम और छत्‍तीसगढ़ में भी ये पाए जाए हैं। आदिवासी सेंगेल अभियान संगठन के अध्यक्ष सालखन मुर्मू का देश की सरकार से बस एक ही मांग है कि अगली जनगणना से पहले सरना धर्म कोड को लागू कर दिया जाए। 

साल 2011 में जब आखिरी बार जनगणना हुई थी, तब देश में आदिवासियों की संख्‍या कुल 11 करोड़ थे। इनमें से 50 लाख से अधिक लोगों ने सरना को अपना धर्म बताया था।

इसमें से भी 42 लाख लोग झारखंड से थे। अब जाहिर सी बात है कि बीते 11 सालों में इनकी संख्‍या और भी बढ़ी है इसलिए इनकी मांग सरना को अलग धर्म के रूप में पहचान दिलाने की है। 

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