Jharkhand News: सांसद निशिकांत दुबे को झारखंड HC से मिली राहत, बैल चोरी और मेडिकल कॉलेज खरीदने से जुड़ा है मामला
Nishikant Dubey झारखंड हाईकोर्ट ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ एक मामले में पीड़क कार्रवाई पर लगाई रोक को जारी रखा है। वहीं एक और अन्य मामले में पीड़क कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया है। पहले मामले में सांसद मोहनपुर में बैल चोरी का आरोप लगाया गया है। निशिकांत दुबे का कहना है कि उन्होंने पशु तस्कर को पुलिस के हवाले किया था।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाईकोर्ट से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे को दो मामलों में राहत मिली है। अदालत ने एक मामले में उनके खिलाफ पीड़क कार्रवाई पर रोक की अवधि बढ़ा दी है, जबकि दूसरे मामले में पीड़क कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया है।
पहले मामले में मोहनपुर में बैल चोरी का आरोप लगाया गया है। निशिकांत दुबे का कहना है कि उन्होंने पशु तस्कर को पुलिस के हवाले किया था। पूर्व में अदालत ने निशिकांत दुबे को राहत प्रदान की थी।
दूसरा मामला परित्राण मेडिकल ट्रस्ट के मेडिकल कालेज खरीदने से संबंधित है। मामले में सुनवाई करते हुए अदालत ने शिकायतकर्ता देवघर परित्राण मेडिकल ट्रस्ट के सचिव शिवदत्त शर्मा को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। निशिकांत दुबे की ओर से याचिका दाखिल कर संबंधित प्राथमिकी को निरस्त करने का आग्रह किया गया है।
प्राथमिकी में कहा गया है कि निशिकांत दुबे ने परित्राण ट्रस्ट की संपत्ति जालसाजी कर खरीदी है। अदालत ने इस मामले में निशिकांत दुबे के खिलाफ पीड़क कार्रवाई पर रोक लगा दी है।
सुनील तिवारी पर आरोप गठन पर लगी रोक
झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत में यौन उत्पीड़न के आरोपित पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के सलाहकार सुनील तिवारी की याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने मामले में अगले आदेश तक आरोप गठन पर रोक लगा दी है।उनकी ओर से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव और पार्थ जालान ने पक्ष रखा। बता दें कि खूंटी की एक युवती ने सुनील तिवारी पर दुष्कर्म करने और जाति सूचक शब्द का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।
युवती ने 16 अगस्त 2021 को रांची के अरगोड़ा थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई है। सुनील तिवारी ने निचली अदालत ने दाखिल डिस्चार्ज याचिका वापस ले ली है।उनकी ओर से मामले में 18 जून को अपने आप को निर्दोष बताते हुए डिस्चार्ज याचिका दाखिल की गई थी। 30 जुलाई को दाखिल याचिका वापस लेने का आवेदन दिया। एससी-एसटी कोर्ट ने इसकी अनुमति दी।यह भी पढ़ें -
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