सुरक्षाबलों के लिए सफलताओं भरा रहा साल 2022, कई क्षेत्रों में तोड़ा नक्सलियों का वर्चस्व, भागते फिर रहे नक्सली
झारखंड में उग्रवादियों के विरुद्ध चल रहे अभियान में लगातार मिल रही सफलताओं के पीछे योजनाबद्ध तरीके से उग्रवादियों के इलाके में सुरक्षा बलों की हो रही चहलकदमी की अहम भूमिका है। पुलिस ने उग्रवादियों का ऐसा घेराव किया कि वे मूलभूत जरूरतों के लिए तरस गए।
रांची, दिलीप कुमार: झारखंड में उग्रवादियों के विरुद्ध चल रहे अभियान में लगातार मिल रही सफलताओं के पीछे योजनाबद्ध तरीके से उग्रवादियों के इलाके में सुरक्षा बलों की हो रही चहलकदमी की अहम भूमिका है। पिछले तीन वर्षों की पुलिस की योजनाओं पर नजर दौड़ाएं तो सुरक्षा बलों ने घोर उग्रवाद ग्रस्त इलाके में अपना ठिकाना बनाया और दिनभर उग्रवादियों की तलाश शुरू की।
सुरक्षा बलों ने जंगलों से लैंड माइंस बरामद किया, सुरक्षा बलों उग्रवादियों के आने-जाने वाले रास्ते पर अपनी पकड़ बनाई, उनके खाने-पीने के सामान से लेकर गोला-बारुद तक की सप्लाई चेन को रोका, आर्थिक स्रोत को ध्वस्त करने में बहुत हद तक सफलता पाई। यह सब हो सका घोर उग्रवाद ग्रस्त क्षेत्रों में सुरक्षा बलों के कैंप की बदौलत।
पिछले तीन सालों में झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ ने मिलकर उग्रवादियों के क्षेत्र में 44 नए सुरक्षा बलों के कैंप बनाए। इनमें सर्वाधिक 22 कैंप वर्ष 2022 में बने हैं। शेष 22 कैंप में 12 कैंप 2020 व दस कैंप 2021 में बने थे, जब वैश्विक महामारी से पूरा राज्य ही नहीं, पूरा विश्व जूझ रहा था। सुरक्षा बलों के इन कैंपों के चलते उग्रवादियों को इलाका छोड़ना पड़ा, उन्हें अपने कैडर बनाने में भी मुश्किलें आईं और उन्हें राशन नहीं मिलने से उनके सामने खाने-पीने की समस्या भी झेलनी पड़ी।
इन कैंपों के माध्यम से झारखंड जगुआर व सीआरपीएफ के जवान हर दिन जंगलों में सर्च अभियान चला रहे हैं। इसके अतिरिक्त पहले से जो कैंप चल रहे थे, उनकी भी लोकेशन बदलकर नक्सलियों के विरुद्ध अभियान को और धारदार बनाया गया। नतीजा यह हुआ कि बूढ़ा पहाड़ और सारंडा नक्सलियों से मुक्त है। ट्राइजंक्शन, पारसनाथ इलाके के अलावा कुछ नए क्षेत्रों में नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना पुलिस तक पहुंची है, जिनके विरुद्ध अभियान तेज है।
416 उग्रवादी गिरफ्तार, 14 ने किया आत्मसमर्पण, 11 मारे गए
नक्सल विरोधी अभियान में 2022 झारखंड पुलिस के लिए बेहतर रहा। इस वर्ष एक जनवरी से 29 दिसंबर तक झारखंड पुलिस ने 416 उग्रवादियों को गिरफ्तार किया। इस दरम्यान 14 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया, जबकि सुरक्षा बलों से मुठभेड़ में अब तक 11 उग्रवादी मारे जा चुके हैं।
इस वर्ष अब तक सुरक्षा बलों ने लेवी-रंगदारी में वसूले गए 99.41 लाख रुपये की भी बरामदगी की है। पिछले तीन साल का आंकड़ा देखा जाय तो एक जनवरी 2020 से अब तक 1315 उग्रवादी गिरफ्तार हुए, 48 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया, जबकि इस अवधि में मुठभेड़ के दौरान 31 उग्रवादी मारे जा चुके हैं। झारखंड पुलिस ने लेवी-रंगदारी के रूप में वसूले गए एक करोड़, 43 लाख 24 हजार रुपये की भी बरामदगी की है।