Hemant Soren: चुनाव आयोग के बाद नजरें राज्यपाल पर, अगले कुछ दिन झारखंड के लिए अहम
Hemant Soren News झारखंड में राजनीतिक घमासान जारी है। अगर झामुमो और कांग्रेस में कोई टूट नहीं हो तभी सत्ता सोरेन परिवार के हाथ में बची रह सकती है। इसलिए दोनों दल अपने विधायकों पर नजर बनाए हुए हैं। उधर भाजपा भी लगातार रणनीति बनाने में जुटी है।
By M EkhlaqueEdited By: Updated: Fri, 26 Aug 2022 08:10 AM (IST)
रांची, डिजिटल डेस्क। Jharkhand Political Crisis झारखंड में एक बार फिर सियासी संकट मंडरा रहा है। पिछले कुछ दिनों से लगातार बदलते घटनाक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी खतरे में मानी जा रही है। चुनाव आयोग ने हेमंत के नाम से खनन लीज आवंटन मामले को जनप्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन माना है। हालांकि अभी राजभवन की ओर से इसकी घोषणा नहीं की गई है, लेकिन निर्वाचन आयोग ने मंतव्य भेजे जाने की पुष्टि कर दी है। हेमंत सोरेन की सदस्यता अगर जाती है तो मुख्यमंत्री के पद पर किसी ओर को बैठाकर झामुमो इसका समाधान निकाल सकता है। सरकार में उसके सहयोगी दल कांग्रेस ने भी झामुमो के साथ खड़े होने की बात कही है। ऐसे में सरकार पर कोई बहुत बड़ा संकट हो सकता है, इस फैसले से नहीं आए, लेकिन हाल के दिनों में जिस तरह से विधायकों खासकर कांग्रेस के विधायकों के छिटकने व खरीद-फरोख्त की खबरें आती रही हैं और तीन विधायक हाल ही में इस मामले में गिरफ्तार भी हुए हैं, उसे देखते हुए किसी आशंका से भी इन्कार नहीं किया जा सकता।
झामुमो व हेमंत के पास अभी यह विकल्प नजर आ रहाझामुमो के भीतर शिबू सोरेन या कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने का विकल्प मौजूद है। हेमंत सोरेन खुद भी इस्तीफा देकर दोबारा सीएम के पद की शपथ ले सकते हैं। साथ ही उपचुनाव जीतकर वापस पुरानी स्थिति में सीएम बने रह सकते हैं। हालांकि चुनाव आयोग अगर हेमंत के चुनाव लड़ने पर कुछ दिनों के लिए रोक लगा देता है तो उस परिस्थिति में हेमंत के लिए यह विकल्प आजमाना संभव नहीं होगा। फिलहाल एक बार फिर राजनीतिक अस्थिरता की आशंका को देखते हुए राज्य की राजनीति में हलचल मची है।
गठबंधन में टूट नहीं हो तो सत्ता सोरेन परिवार के हाथ मेंउधर, बदलते घटनाक्रम के बीच भाजपा में भी मंत्रणा का दौर जारी है। झामुमो व कांग्रेस के विधायकों में अगर कोई टूट होती है तो झारखंड में सियासी रंग कुछ और हो सकता है। झामुमो ने भी अपने सभी विधायकों को रांची तलब किया है। सत्ताधारी गठबंधन में अगर एकजुटता बनी रहेगी तो सोरेन परिवार के हाथ ही सत्ता रहेगी। खैर, सरकार का स्थिर और मजबूत होना राज्य के विकास के लिए आवश्यक है। इससे पहले भी लगातार मुख्यमंत्रियों के चेहरे बदलते हुए हमसभी ने देखे हैं। परिस्थिति जो भी हो आने वाले कुछ दिन झारखंड की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण हैं।
राज्यपाल रमेश बैस के आदेश की सभी कर रहे प्रतीक्षाराज्यपाल रमेश बैस चूंकि अब रांची में मौजूद हैं। चुनाव आयोग की रिपोर्ट उन्हें मिल चुकी है। ऐसे में अब उम्मीद जताई जा रही कि राज्यपाल रमेश बैस किसी भी क्षण हेमंत सोरेन को अपना फैसला सुना सकते हैं। इस फैसले के बाद एक बार पुन: झारखंड की राजनीति परवान चढ़ेगी। झामुमो, कांग्रेस और भाजपा को बस राज्यपाल के अगले कदम की प्रतीक्षा है। राज्यपाल का फैसला आते ही हेमंत सोरेन अगला कदम उठाएंगे। भाजपा की पुरजोर कोशिश होगी कि हेमंत सोरेन किसी भी सूरत में दोबारा मुख्यमंत्री के पद पर आसीन नहीं हो सकें। इसके लिए विधायकों के बीच तोड़फोड़ की आशंका से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है।
कर्मवीर से संगठन का मंत्र सीखेंगे भाजपा कार्यकर्ताउधर, 27 अगस्त से गिरीडीह के मधुवन में झारखंड प्रदेश भाजपा का प्रशिक्षण शिविर शुरू हो रहा है। तीन दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में भाजपा कार्यकर्ता और नेता संगठन की रीत नीत के साथ राजनीति का पाठ भी पढ़ेंगे। भारतीय जनता पार्टी का प्रशिक्षण वर्ग अपने अनुशासन और दिनचर्या के लिए भी जाना जाता है। इसमें शामिल होने वालों के लिए सूर्योदय से पूर्व जगना, प्रार्थना और नियमित क्लास अटेंड करना आवश्यक है। खास बात यह है कि इस बार नए संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह इस प्रशिक्षण शिविर में शामिल हो रहे हैं। यही नहीं, बिहार झारखंड के क्षेत्र संगठन मंत्री नागेंद्र त्रिपाठी भी दायित्व संभालने के बाद पहली बार प्रदेश के किसी प्रशिक्षण शिविर में शामिल हो रहे हैं। संघ के प्रचारक रहे दोनों नेताओं की मौजूदगी में भाजपा कार्यकर्ता राष्ट्रीयता के भावाबोध से संगठन चलाने का मंत्र लेंगे। शिविर में राष्ट्रीय प्रशिक्षण प्रमुख मुरलीधर राव समेत कई केंद्रीय नेताओं की भी हिस्सेदारी रहेगी। तीन दिनों के इस शिविर में 15 सत्र होंगे।
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